राफ़ेल सौदे में भारत की तरफ़ से कीमतों को तय करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने कहा कि एयर- II के उप सचिव एसके शर्मा इस टीम का हिस्सा नहीं थे।
एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने राफ़ेल सौदे के लिए भारतीय वार्ता टीम (INT) का नेतृत्व किया था। उन्होंने राफ़ेल मुद्दे पर द हिंदू की रिपोर्ट पर आश्चर्य व्यक्त किया है। सिन्हा ने कहा इस रिपोर्ट में तथ्यों को छिपाकर पेश किया गया है। सिन्हा ने आगे यह भी कहा कि इस तरह के लेख राफ़ेल सौदे को खराब करने का प्रयास है।
एसपी सिन्हा ने कहा कि हिन्दू में इस मामले में लेख लिखने वाले एसके शर्मा इस टीम का हिस्सा ही नहीं थे। सिन्हा ने लेख पर सवाल उठाते हुए कहा कि शर्मा ने रक्षा सौदे को बिगाड़ने के लिए कहीं किसी के इशारे पर यह लेख तो नहीं लिखा है?
दरअसल इंडियन नेगोशिएटिंग टीम (INT) का नेतृत्व भारतीय वायु सेना के उप-प्रमुख द्वारा किया गया था। संयुक्त सचिव और अधिग्रहण प्रबंधक (वायु), संयुक्त सचिव (रक्षा ऑफसेट प्रबंधन विंग), संयुक्त सचिव और अतिरिक्त वित्तीय सलाहकार इस टीम के हिस्सा थे। इसके अलावा वायु स्टाफ के सहायक प्रमुख (योजना) सदस्य के रूप में, प्रबंधक (वायु) सलाहकार (लागत) भी इस टीम में होते हैं।
ऐसे में यह आश्चर्य की बात है कि एसके शर्मा जब इस दल के हिस्सा ही नहीं थे, तो उन्हें राफ़ेल डील से जुड़ी कोई जानकारी कैसे हो सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि द हिंदू के लेख में जो लिखा गया है वह राफ़ेल डील से जुड़ी आंतरिक सूचना है। ऐसे में एयर II के उप सचिव एसके शर्मा को डील से जुड़ी जानकारी नहीं है तो उन्होंने बगैर किसी तथ्य के यह लेख कैसे लिखा यह सोचने वाली बात है।
यह एक आतंरिक नोट है। एसपी सिन्हा ने यह भी कहा कि इस नोट का भारतीय निगोशिएशन टीम से कोई लेना-देना नहीं है। संयुक्त सचिव और एक्वीजीशन मैनेजर (एयर) ने भारतीय निगोशिएशन टीम का हिस्सा होने के बावजूद उस नोट को कैसे आगे बढ़ाया जिसे रक्षा मंत्रालय ने ख़ारिज कर दिया था। निगोशिएशन टीम को बताए बगैर उन्होंने ऐसा करके रक्षा मंत्रालय के नियमों का उल्लघंन किया है।
‘द हिंदू’ की राफ़ेल कहानी का उल्लेख करते हुए, एसपी सिन्हा ने यह भी कहा कि यह लेख तथ्यों को छिपाकर 36 राफ़ेल जेट की खरीद के लिए हुई बातचीत को खराब करने का प्रयास था। उन्होंने कहा कि नोट एक आंतरिक मामला था और इसका भारतीय वार्ता टीम से कोई लेना-देना नहीं था।
सिन्हा की मानें तो अखबार में छपी बातों का राफ़ेल के मूल्य निर्धारण से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बातचीत न केवल मूल्य निर्धारण के लिए बल्कि अन्य चीजों के लिए भी है। उन्होंने अखबार में छपी खबर के बारे में कहा कि यह संप्रभु गारंटी और सामान्य नियमों और शर्तों के बारे में था। इससे ज्यादा इसका निगोशिएशन से कुछ लेना देना नहीं है।