पाकिस्तान में ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर कट्टरपंथियों की भीड़ के हमले की दुनिया भर में निंदा हो रही है। शुक्रवार (जनवरी 3, 2019) को मुस्लिमों की दंगाई भीड़ ने गुरुद्वारे को घेर लिया और ‘या अल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह’ के नारे लगाते हुए गुरुद्वारे को तहस-नहस करने की धमकी दी। पत्थरबाजी भी की गई। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सिख पहले से ही जबरन धर्मान्तरण और प्रताड़ना के शिकार रहे हैं।
वहीं एनडीटीवी सरीखे चैनलों को इस बात से कोई दिक्कत नहीं है कि पाकिस्तान में कट्टरपंथियों ने एक गुरुद्वारे को घेर कर भड़काऊ नारेबाजी की। गुरु नानक के जन्मस्थल को क्षतिग्रस्त करने की धमकी दे रहा था। एनडीटीवी व उसके पत्रकारों को इस बात से परेशानी है कि कहीं इस घटना का इस्तेमाल सीएए के पक्ष में न कर लिया जाए। एनडीटीवी ने पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने सिखों के ख़िलाफ़ मुस्लिम भीड़ के उपद्रव पर टिप्पणी करते हुए लिखा:
“ये काफ़ी बुरी ख़बर है। आशा कीजिए कि इसका इस्तेमाल नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा के पक्ष में न किया जाए। बता दूँ कि सीएए में दिसंबर 2014 का कट-ऑफ डेट रखा गया है। इसीलिए, इसका पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों से कुछ भी लेना-देना नहीं है।”
ये दिखाता है कि एनडीटीवी के श्रीनिवासन जैन को इससे कोई मतलब नहीं है कि मोहम्मद हसन नामक युवक ने एक सिख लड़की जगजीत कौर का अपहरण कर लिया और जबरन उससे इस्लाम कबूल करवाया। इससे भी एनडीटीवी को कोई दिक्कत नहीं है कि आरोपित हसन के समर्थन में मुस्लिम भीड़ ने ‘उलटा चोर कोतवाल को डाँटे’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए गुरु नानक के पवित्र जन्मस्थान को निशाना बनाया। एनडीटीवी को ये डर सता रहा है कि कहीं सीएए के पक्ष में इस घटना का इस्तेमाल न किया जाए।
श्रीनिवासन जैन को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की निंदा करनी चाहिए, जो बांग्लादेश का फेक वीडियो शेयर कर के भारत में ‘अल्पसंख्यकों पर पुलिस के अत्याचार’ की बात करते हैं और फजीहत होने पर वीडियो डिलीट कर लेते हैं। श्रीनिवासन जैन को सीएए का स्वागत करना चाहिए, जिसके कारण सिखों सहित पाकिस्तान के कई प्रताड़ित अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ़ हुआ है। लेकिन, श्रीनिवासन लिखते हैं कि इसका कट-ऑफ डेट दिसंबर 2014 है, इसीलिए फ़िलहाल पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को इससे फ़ायदा नहीं है।
Terrible news. Let’s hope it’s not used for pro-CAA propaganda. The CAA cutoff is 2014, and so of little use to minorities presently in Pakistan or the other notified countries. https://t.co/ZGhbvg9xNF
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) January 4, 2020
श्रीनिवासन जैन से एक सवाल- अगर सीएए से वहाँ पहले रह रहे अल्पसंख्यकों को फ़ायदा हुआ है तो फिर इसका विरोध क्यों? वो ख़ुद मान रहे हैं कि इस क़ानून को अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए लाया गया है। फिर वे सीएए के पक्ष में माहौल बनने से चिंतित क्यों हैं? जिस चैनल में रवीश कुमार कार्यरत हों, वहाँ के पत्रकारों से ऐसा ही अपेक्षित भी है।