अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भी नेता राजनीति करने से बाज नहीं आते हैं। इसी राजनीति का शिकार इस साल का राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार जीतने वाली जेन सदावर्ते हुई हैं। सदावर्ते ने महिला दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शिवसेना नेता पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया है। हालाँकि, शिवसेना की ओर से अभी तक इन आरोपों पर कोई सफाई नहीं दी गई है।
जेन सदावर्ते ने कहा कि महिला दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिवसेना नेताओं द्वारा उन्हें भाषण देने सिर्फ इसलिए रोक दिया गया क्योंकि वो मराठी में नहीं बोल रही थीं। उन्होंने कहा, “जब मैंने हिंदी और अंग्रेजी में बात की, तो हर किसी के पास मेरा संदेश पहुँचा। लेकिन मुझे नहीं पता कि मंच पर बैठे लोगों के साथ क्या हुआ। वे अचानक से गुस्सा हो गए और मुझ पर हमला किया। मंच पर पैनल में शिवसेना नेता भी मौजूद थे।”
Zen Sadavarte: But I don’t know what happened to the respected Shiv Sena leaders who were present on the stage. They started humiliating me and told me if you want to live in India then you need to learn Marathi. (08.03) https://t.co/GH6Mr8H8Ft
— ANI (@ANI) March 8, 2020
सदावर्ते ने कहा, “मैं उन मुद्दों के बारे में बात कर रही थी जो भारत में गलत हो रहे हैं जैसे कि शनिवार और रविवार को बच्चों को मध्याह्न भोजन नहीं दिया जा रहा है। मैंने ट्रांसजेंडर को समानांतर आरक्षण दिए जाने के बारे में बात की है। ये वो मुद्दे हैं, जिसके बारे में मैंने बात की।” वो आगे कहती हैं, “मुझे नहीं पता कि वहाँ मौजूद विधायकों और शिवसेना के प्रतिनिधियों के साथ क्या हुआ। उन्होंने मुझे अपमानित करना शुरू कर दिया। वे मंच पर झूठ बोलने लगे कि हमने आरक्षण दिया है और दावा किया है कि वे उस राज्य के हैं और वो हमसे बेहतर जानते हैं।”
सदावर्ते ने कहा कि उन्हें अपनी इच्छा से किसी भी भाषा में बोलने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने आगे कहा, “वे लोग हमारे अभिव्यक्ति के अधिकार का शोषण कर रहे हैं। मेरे पास अंग्रेजी और हिंदी दोनों संघीय भाषा में बोलने का अधिकार है। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं भारत में रहना चाहती हूँ तो मुझे मराठी सीखनी पड़ेगी।” उन्होंने कहा कि वो जिस भाषा को बोलना चाहती हैं, उसे बोलने का उनको पूरा अधिकार है।
बता दें कि सदावर्ते को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीरता पुरस्कार से सम्मानित कर चुके हैं। वो सातवीं कक्षा में पढ़ती हैं, लेकिन समाज में फैली कुरीतियों को लेकर उनका नजरिया किसी वयस्क व्यक्ति से कम नहीं है। वह समाज की बुराइयों को लेकर आवाज उठाती रहती हैं। इससे पहले भी उन्होंने शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन के दौरान 4 महीने की बच्ची की मौत पर आवाज उठाते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बोबडे को पत्र लिखा था और इस मामले पर संज्ञान लेने के लिए कहा था।
जेन ने सीजेआई बोबडे को भेजे पत्र में लिखा था कि जनवरी 30, 2020 को शाहीन बाग में एक बच्ची की मौत पर संज्ञान लेते हुए ऐसे विरोध प्रदर्शनों में बच्चों को शामिल किए जाने पर रोक लगाई जाए। जिस पर सीजेआई ने संज्ञान लिया था।