पश्चिम बंगाल पुलिस और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसी विवाद ने एक और प्रकरण को जन्म दिया है। बता दें कि पश्चिम बंगाल के चर्चित उगाही केस में पश्चिम बंगाल पुलिस ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक (ज्वॉइंट डायरेक्टर) पंकज श्रीवास्तव के नाम एक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस के अनुसार पंकज श्रीवास्तव को एक हफ़्ते में भोवानीपुर पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए कहा गया है।
West Bengal: Police sends notice to CBI Joint Director Pankaj Srivastava in connection with an extortion case. Police has asked him to be present at Bhowanipore Police Station within one week.
— ANI (@ANI) February 21, 2019
सीबीआई सब-इंस्पेक्टर सुनील मीणा के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 341, 342 और 34 के तहत दर्ज एक मामले की जाँच में पंकज श्रीवास्तव को शामिल होने के लिए कहा गया है।
वैभव खट्टर नामक एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि सीबीआई ने उसे एक मामले में अवैध रूप से हिरासत में लिया और प्रताड़ित किया, जिसका उससे कोई लेना-देना नहीं था। खट्टर सेंट्रल रोलर फ्लौर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड का कर्मचारी है जिस पर अगस्त 2018 में CBI ने छापा मारा था। यह आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन निदेशक आलोक कुमार वर्मा और तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच CBI के भीतर अनबन के कारण छापे मारे गए।
मिल के मालिक दीपेश चांडक जो बिहार के चारा घोटाला मामले में लिप्त था उसे सीबीआई ने उठा लिया और कथित तौर पर अस्थाना को फँसाने के लिए उन्हें विवश किया गया। लेकिन वह हिरासत से भागने में क़ामयाब हो गया, जिसके बाद सीबीआई ने खट्टर सहित कंपनी के कर्मचारियों की जमकर लताड़ लगाई और कथित तौर पर उन्हें प्रताड़ित किया था।
चांडक को बाद में कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और वो इस समय हिरासत में है। सीबीआई की ये गतिविधियाँ संयुक्त निदेशक पंकट श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुईं और इसीलिए उनका नाम भी सामने आया।
CBI और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच विवाद में यह एक नया मोड़ आया है जो जाँच एजेंसी और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच दरार को स्पष्ट करता है। हाल ही में, सीबीआई ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से शारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में पूछताछ की थी। इस मामले में TMC सांसद कुणाल घोष को भी तलब किया गया था।
इससे पहले, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कथित तौर पर शारदा चिट फंड घोटाले की जाँच से खुद को बचाने के लिए धरने की राजनीति का सहारा भी लिया गया। ममता बनर्जी कोलकाता पुलिस द्वारा आठ CBI अधिकारियों को बलपूर्वक हिरासत में लेने के बाद धरने पर बैठी थीं, जो शारदा घोटाले के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से मिलने गए थे। हालाँकि बाद में कोर्ट के दखल के बाद यह मामला शांत हुआ था और कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार शिलांग में सीबीआई के समक्ष पूछताछ के लिए पेश हुए थे।