Saturday, November 23, 2024
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107 Vs 99: आठ वोटों से गिर जाती कमल-सरकार, आज ही खिल जाता मध्य प्रदेश में ‘कमल’

अभी कॉन्ग्रेस के विधायकों की संख्या कितनी होगी - सिर्फ 92! यदि 4 निर्दलीय, 1 सपा और 2 बसपा विधायकों को भी जोड़ दिया जाए तो कलनाथ के समर्थन में होंगे कुल 99 विधायक जबकि भाजपा की संख्या 107 है। यानी साफ़ है कि...

सिंधिया गुट के कॉन्ग्रेसी विधायकों के बागी होने के बाद से मध्य प्रदेश विधानसभा में शक्ति परीक्षण से भाग रही कमलनाथ सरकार को आज 10 दिन की मोहलत और मिल गई है। राज्यपाल के कहने पर आज 16 मार्च को सरकार को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना था। लेकिन स्पीकर एनपी प्रजापति ने कोरोना का हवाला देकर विधानसभा की कार्यवाही ही 26 मार्च तक स्थगित कर दी। यानी आज का बहुमत परीक्षण अब कम से कम स्पीकर के निर्णय के अनुसार 26 मार्च तक सम्भव नहीं।

हालाँकि विधानसभा स्पीकर के निर्णय को गैर संवैधानिक बताते हुए भाजपा इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई है। फ्लोर टेस्ट में जानबूझ कर अनावश्यक देरी के विरोध में भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। जानकारों के अनुसार सुनवाई के दौरान भाजपा सुप्रीम कोर्ट से यह माँग करेगी कि स्पीकर को जल्द फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए जाएँ। इसके अतिरिक्त वो यह भी माँग कर सकती है कि विधानसभा स्पीकर 16 बागी विधायकों का इस्तीफा भी बिना देरी स्वीकार करें।

इस सबके बीच यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर विधानसभा स्पीकर के इस निर्णय के पीछे सच में घातक कोरोना वायरस से जुड़ी चिंताएँ हैं या कमलनाथ सरकार को बचाने की अंतिम कोशिश।

समझें MP विधानसभा का गणित

मध्य प्रदेश में कुल विधानसभा सदस्यों की संख्या 230 है, जिसमें से दो विधायकों (भाजपा के मालवा से विधायक मनोहर उंटवाल और मुरैना जिले से कॉन्ग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा) की मृत्यु के कारण वर्तमान संख्या 228 रह गई है। यानी बहुमत का आँकड़ा पहुँचता है 115 विधायकों पर। कॉन्ग्रेस में हुई बगावत के पहले पार्टी के पास थे 114 ( स्पीकर को मिलाकर, जिन्हें सिर्फ निर्णायक वोट करने का अधिकार है ) विधायक, भाजपा के पास थे 107, सपा के एक , बसपा के दो और निर्दलीय विधायक थे कुल चार।

अब इसमें से अगर उन 22 कॉन्ग्रेसी विधायकों को निकाल दिया जाए, जिन्होंने अपने इस्तीफे विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति को भेज रखे हैं तो इसके बाद विधानसभा की वर्तमान स्ट्रेंथ आ जाएगी 206 और बहुमत का आँकड़ा गिरकर आ जाएगा 104! जिसमें कॉन्ग्रेस के विधायकों की संख्या कितनी होगी – सिर्फ 92! अब यदि 4 निर्दलीय, 1 सपा और 2 बसपा विधायकों को भी जोड़ दिया जाए तो कलनाथ के समर्थन में होंगे कुल 99 विधायक जबकि भाजपा की संख्या 107 है। यानी साफ़ है कि इस स्थिति में कमलनाथ सरकार के बचने की कोई भी गुंजाइश नहीं है।

मामले पर नजर रख रहे जानकारों की मानें तो विधानसभा का यह गणित ही आज के घटनाक्रम की प्रमुख वजह हो सकती है, जिसमें विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक टाल कर कमलनाथ को अपने बागी विधायकों को मनाने का समय दिया गया।

कौन हैं वो बागी, जिन्होंने ला रखा है MP में सियासी भूचाल

मीडिया के अनुसार जिन 22 कॉन्ग्रेस विधायकों के कारण एमपी समेत देश की राजनीति में पिछले कई दिनों से उठा-पटक चल रही है, इनमें से 6 विधायकों का इस्तीफा विधानसभा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया है। ये हैं:

  1. साँची से विधायक व स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी
  2. महिला एवं बाल कल्याण मंत्री डबरा से विधायक इमरती देवी
  3. स्वास्थ्य मंत्री, सरकार के दलित चेहरे और सांवेर से विधायक तुलसी सिलवट
  4. सागर की सुर्खी सीट से विधायक और कमलनाथ सरकार में राजस्व मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत
  5. गुना की बमोरी सीट से विधायक, सरकार में श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया
  6. कमलनाथ सरकार में सिविल सप्लाई मिनिस्टर, ग्वालियर से विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर

ये सभी सिंधिया लॉयलिस्ट्स के रूप में विख्यात थे। इनके अलावा जिन बाकी सिंधिया गुट के 16 विधायकों के इस्तीफे अभी तक स्वीकार नहीं किए गए हैं, वो हैं: 1. अशोक नगर से जयपाल सिंह ‘जज्जी’, 2. ग्वालियर के करेरा से जसवंत जाटव, 3. मंदसौर की सुवासरा से हरदीप सिंह डांग, 4. चंबल क्षेत्र से रणवीर जाटव, 5. अन्नुपुर सीट से बिसाहू लाल सिंह, 6. विधायक मुन्ना लाल गोयल, 7. मुरैना से रघुराज सिंह कंसाना, 8. धार की बदनावर सीट से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, 9. चंबल क्षेत्र से ओपीएस भदौरिया, 10. चंबल क्षेत्र से कमलेश जाटव 11. चंबल से बृजेन्द्र यादव 12. चंबल से ही सुरेश रठखेड़ा, 13. दतिया से रक्षा संतराम सरोनिया, 14. मुरैना जिले की दिमानी सीट से गिरिराज दंडोतिया, 15. मुरैना की ही सुमावली सीट से दिग्विजय कैंप के माने जाने वाले ऐदल सिंह कंसाना और 16वें बागी विधायक हैं राज्य कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी। इन 16 विधायकों के इस्तीफे अभी तक स्पीकर के पास पेंडिंग हैं।

इस बीच भाजपा की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है। इस पर अदालत ने 12 घंटों के भीतर सुनवाई करने को कहा है। अपनी याचिका में शिवराज ने विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री कमलनाथ और मुख्य सचिव को पार्टी बनाया है।

वहीं आज राज्यपाल लालजी टंडन ने भी अभिभाषण को पूरा न पढ़, विधानसभा स्पीकर और सरकार के निर्णय के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। विधानसभा स्पीकर और सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से हिदायत देते हुए उन्होंने सभी को शांतिपूर्वक तरीके से अपने-अपने दायित्वों का पालन करने को कहा। राजयपाल से मिलने राजभवन दिग्विजय सिंह के आलावा, शिवराज भी भाजपा विधायकों संग पहुँचे।

अब इस पूरे सियासी ड्रामे और उठा-पटक का क्या नतीजा निकलेगा, इसका दारोमदार कुछ हद तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी निर्भर करेगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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