जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफ़िले पर हुए भयानक आतंकवादी हमले के एक हफ्ते बाद, राहुल गाँधी ने एक ट्वीट पोस्ट किया जिसमें दावा किया गया कि हमले के 3 घंटे बाद पीएम नरेंद्र मोदी फोटो शूट में भाग ले रहे थे। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष ने 14 फ़रवरी को मोदी की कॉर्बेट नेशनल पार्क की यात्रा की तस्वीरें भी पोस्ट कीं, और एक फोटो में दिखाया गया है कि मोदी एक कैमरामैन द्वारा फोटो खिंचवा रहे हैं।
पुलवामा में 40 जवानों की शहादत की खबर के तीन घंटे बाद भी ‘प्राइम टाइम मिनिस्टर’ फिल्म शूटिंग करते रहे।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 22, 2019
देश के दिल व शहीदों के घरों में दर्द का दरिया उमड़ा था और वे हँसते हुए दरिया में फोटोशूट पर थे।#PhotoShootSarkar pic.twitter.com/OMY7GezsZN
इसी आरोप को कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी उठाया। कल (फ़रवरी 21, 2019) को सुरजेवाला ने दावा किया कि 14 फ़रवरी को 3:10 बजे जिस समय आतंकी हमला हुआ था, नरेंद्र मोदी डिस्कवरी चैनल के कैमरा क्रू के साथ नाव की सवारी का आनंद ले रहे थे। उसके बाद, कॉन्ग्रेस समर्थक सोशल मीडिया पेजेज और कॉन्ग्रेस समर्थकों के द्वारा आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हुआ, इस खेल को हवा देने में कॉन्ग्रेस समर्थक कुछ प्रमुख पत्रकार भी शामिल रहें।
यहाँ असली सवाल ये है कि क्या मोदी वास्तव में पुलवामा आतंकी हमले के तीन घंटे बाद तक फोटो शूट करवा रहे थे जैसा कि राहुल गाँधी ने दावा किया? आइए उन सभी के दावों की सत्यता की जाँच करें।
पुलवामा आत्मघाती हमला लगभग 3:10 बजे हुआ और दावे के हिसाब से मोदी शाम 6 बजे के बाद तक भी फोटो खिंचवा रहे थे। अगर हम मोदी की फोटो खींचते हुए देंखे, तो हम साफ़ देख सकते हैं कि जब यह फोटो ली गई है यह दिन का समय है, क्योंकि फोटो की पृष्ठभूमि में खिली हुई धूप और साफ नीला आकाश देखा जा सकता है। अगर ये शाम की होती तो क्या बैकग्राउंड में इतनी खिली धूप होती? जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में सूर्यास्त का समय टाइम एंड डेट वेबसाइट के अनुसार 14 फ़रवरी को शाम 6:02 बजे था। इसका मतलब यह है कि अगर हमले के 3 घंटे बाद भी शूटिंग जारी होती तो बैकग्रॉउंड में अंधेरा हो गया होता। यहाँ तो ये स्पष्ट है कि जब ये तस्वीर ली गई है वह समय सूर्यास्त से पहले का है। न कि हमले के 3 घंटे बाद का समय था।
चलिए ठीक से उस दिन का पूरा घटनाक्रम समझते हैं, यहीं से इस वाकये का सच भी समझ आएगा। पहला सवाल ये है कि उस दिन वास्तव में मोदी राष्ट्रीय उद्यान में कब पहुँचे? प्रधानमंत्री 14 फ़रवरी को दोपहर 3 बजे उत्तराखंड के रुद्रपुर में एक रैली को संबोधित करने वाले थे। इसके लिए, वह लगभग 7 बजे सुबह देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर पहुँचे, जहाँ से उन्हें हेलीकॉप्टर द्वारा आगे की यात्रा करनी थी। लेकिन खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका। इसलिए मोदी ने वहाँ करीब तीन घंटे इंतजार किया। वहाँ से उनका हेलिकॉप्टर सुबह 11:15 बजे कालागढ़ के लिए रवाना हुआ और वहाँ से सड़क के रास्ते जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला जोन जाना था। वह दोपहर लगभग 12 बजे टाइगर रिज़र्व पहुँचे थे और ग्लोबल टाइगर रिजर्व की बैठक में भाग लिया। बैठक के बाद, उन्होंने लगभग 1 बजे जंगल के ढिकाला क्षेत्र में पहुँचने के लिए एक नाव पर सवार होकर रामगंगा नदी को पार किया। क्योंकि उसके कुछ ही समय बाद उनके आगमन की सूचना मीडिया द्वारा दी गई थी।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मोदी ने वन क्षेत्र में केवल 30 मिनट बिताए, जहाँ से वह खिन्नौली वन विश्राम गृह गए। जिसका मतलब है कि पीएम ने पुलवामा में हमले से लगभग एक घंटे पहले ही अपनी वन यात्रा पूरी कर ली थी। उस दौरान कुछ फ़ोटोग्राफ़रों ने उनकी कुछ तस्वीरें लीं। गेस्ट हाउस में, उन्होंने अधिकारियों के साथ बाघ संरक्षण प्रयासों पर चर्चा की और बाद में रुद्रपुर में रैली को फोन से संबोधित किया क्योंकि मौसम में सुधार नहीं हुआ था। भाषण को डीडी न्यूज द्वारा लाइव किया गया था। और लाइव वीडियो के यूट्यूब मेटाडेटा विश्लेषण से, यह देखा जा सकता है कि भाषण का प्रसारण शाम 5:17 बजे शुरू हुआ। इसका मतलब है, हमले के 2 घंटे बाद, मोदी फोन करके रैली को संबोधित कर रहे थे, ताकि उन हजारों लोगों को निराश न करें जो उन्हें सुनने के लिए 5-6 घंटे से इंतजार कर रहे थे। यहाँ भी ये साफ है कि वह फोटो शूट नहीं करवा रहे थे।
कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क में मोदी की यात्रा की तस्वीरें पहले ही 2 बजे के आसपास मीडिया द्वारा प्रकाशित कर दी गई थीं, जिसका साफ अर्थ यह भी है कि तस्वीरें वास्तव में 2 बजे से पहले ली गई थीं। और जैसा कि मोदी ने वन क्षेत्र में लगभग आधे घंटे का समय बिताया, इसका मतलब यह है कि हमले के बारे में सत्यापित जानकारी पहुँचने से पहले ही वह अपनी वन यात्रा से लौट आए थे। इसलिए, नाहक सनसनी बनाकर ये आरोप लगाना कि पुलवामा हमले के बाद पीएम मोदी जिम कॉर्बेट पार्क में एक फोटोशूट करवा रहे थे, यह राहुल गाँधी, उनके ट्रोल सोशल मीडिया के यूजर और फुल टाइम प्रचारक पत्रकारों द्वारा प्रचारित एक और झूठ, उनकी कभी न खत्म होने वाली महाझूठ और प्रोपेगंडा का हिस्सा है। इस तरह से राहुल के इस झूठ को मीडिया गिरोह ने एक बार फिर फैलाकर अपनी विश्वसनीयता को कलंकित किया है।