Friday, October 18, 2024
Homeविविध विषयअन्यपहली महिला डॉक्टर: आनंदी गोपाल ने आज के दिन कहा था दुनिया को अलविदा

पहली महिला डॉक्टर: आनंदी गोपाल ने आज के दिन कहा था दुनिया को अलविदा

उन्होंने लोगों से कहा कि वह वापस लौटकर भारत में मेडिकल कॉलेज खोलने का भी प्रयास करेंगी। आनंदी की इन बातों से लोगों के मन में विश्वास जगा और देश भर से लोगों द्वारा उन्हें पैसे का सहयोग भी मिला और समर्थन भी।

महिला शिक्षा आज जहाँ अभियानों का एक महत्तवपूर्ण हिस्सा है, वहीं एक समय में महिला शिक्षा का मतलब समाज में विरोध की आवाज़ों को बुलंद करना था। भारत में जब लोग महिला के अपने विचार रखने तक पर नाराज़ हो जाया करते थे उस दौर में आनंदी गोपाल जोशी नाम की महिला ने अपने हिस्से में प्रथम महिला डॉक्टर की उपाधि दर्ज की थी। मात्र 22 साल की उम्र में वह अपने जीवन के हर दौर को देखकर दुनिया को अलविदा भी कह गईं।

टीबी के कारण आज की तारीख़ 26 फरवरी साल 1887 को आनंदी गोपाल जोशी ने अपनी उपलब्धियों को जीवंत छोड़कर शरीर हमेशा के लिए त्याग दिया। आज महिलाओं के लिए आनंदी एक मानक है। उनके संघर्षों और उनके जीवन के अहम बिंदुओं को समय-समय पर याद करते रहना इसलिए भी जरूरी है ताकि शिक्षा को लेकर जागरुकता फैले।

9 साल की उम्र में विवाह

आनंदी गोपाल जोशी का जन्म 31 मार्च 1865 को हुआ और मात्र 9 वर्ष की उम्र में उनका विवाह उनसे बीस साल उम्र में बड़े गोपालराव जोशी से हुआ। शादी से पहले आनंदी का नाम यमुना हुआ करता था लेकिन शादी के बाद उन्होंने इसे बदलकर आनंदी रख लिया। आनंदी के पति पहले कल्याण के पोस्ट ऑफिस में क्लर्क का काम करते थे, लेकिन इसके बाद उनका तबादला पहले अलीबाग और फिर कलकत्ता में हो गया। आनंदी में शिक्षा के प्रति रूझान देखकर उनके पति ने उन्हें बढ़ावा दिया और उन्हें शिक्षा प्राप्त करने और अंग्रजी सीखने में मदद की।

(मराठी उपन्यासकार श्री.ज. जोशी ने आनंदी पर लिखे ‘आनंदी गोपाल’ उपन्यास में लिखा है कि गोपालराव से शादी करने से पहले आनंदी की शर्त थी कि वे आगे पढ़ाई करेंगी, क्योंकि आनंदी के घर वाले भी उनकी पढ़ाई के ख़िलाफ़ थे। लेकिन गोपाल राव ने उन्हें क, ख, ग से पढ़ाया। आनंदी पर लिखा यह उपन्यास इतना प्रसिद्ध हुआ कि इसका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है)

14 साल में संतान

शादी के पाँच साल बाद 14 की उम्र में उन्होंने अपनी पहली संतान को जन्म दिया। लेकिन, स्वास्थ सुविधाओं की कमी के कारण उस नवजात की मृत्यु हो गई। आनंदी के जीवन में उनके बेटे की मौत ही बदलाव का कारण बनी। इस घटना के बाद ही उन्होंने शिक्षा प्राप्त कर डॉक्टर बनने की ठानी।

पति से मिला प्रोत्साहन

पति की तरफ से मिलते प्रोत्साहन ने आनंदी के संकल्प को और भी दृढ़ कर दिया। पत्नी की रूचि मेडिकल में देखते हुए गोपालराव ने अमेरिका के रॉयल विल्डर कॉलेज को खत लिखा और आनंदी की पढ़ाई के लिए आवेदन किया।

इस आवेदन पर विल्डर कॉलेज ने उनके आगे प्रस्ताव रखा कि उन्हें ईसाई धर्म अपनाना होगा, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इसके बाद न्यू जर्सी के निवासी ठोडीसिया कारपेंटर नामक व्यक्ति को इन सब बातों के बारे में पता चला, तो उन्होंने इन्हें पत्र लिखकर अमेरिका के आवास के लिए मदद का आश्वासन दिया।

साल 1883 में गोपाल राव ने आनंदी को मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश भेजने के लिए अपना मन पक्का कर लिया। एक डॉक्टर कपल ने सुझाव दिया कि उन्हें मेडिकल कॉलेज ऑफ़ पेन्सिल्वेनिया से पढ़ाई करनी चाहिए। मन में दृढ़ संकल्प था और रास्ता दिखाने वाले लोग भी आनंदी को मिल रहे थे। लेकिन सामाजिक अड़चनें पीछा नहीं छोड़ रही थी।

विरोध की आवाज़ें उठीं, लेकिन आनंदी ने उन्हें समर्थन में बदल दिया

आनंदी के बढ़ते कदमों को देखकर लोगों में विरोध की आवाज़ बड़े पैमाने पर सुनाई पड़ी। लोगों में संतोष जगाने के लिए आनंदी ने श्रीराम कॉलेज में अपना पक्ष लोगों के सामने रखा। उन्होंने इसकी जरूरत से लोगों को अवगत कराया और साथ ही आश्वासन दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए वो और उनका परिवार ईसाई धर्म नहीं स्वीकारेंगे। उन्होंने लोगों से कहा कि वह वापस लौटकर यहाँ मेडिकल कॉलेज खोलने का भी प्रयास करेंगी। आनंदी की इन बातों से लोगों के मन में आश्वासन पसरा और देश भर से लोगों द्वारा उन्हें पैसे का सहयोग भी मिला और समर्थन भी।

डॉक्टर बनने की राह में…

साल 1883 में वह अमेरिका पहुँची और मेडिकल कॉलेज ऑफ पेंसिल्वेनिया को आवेदन किया। उनकी इच्छा को कॉलेज द्वारा स्वीकार लिया गया और मात्र 19 साल की उम्र में मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया।

इसके बाद 1886 में उन्होंने अपनी एमडी की शिक्षा पूर्ण की, जिसके लिए क्वीन विक्टोरिया ने खुद इसके लिए बधाई दी। लेकिन शिक्षा के दौरान वह अमेरिका के ठंड से भरे मौसम को झेल नहीं पाई और लगातार बीमार पड़ती चलीं गई। नतीजन कुछ समय बाद वह टीबी की चपेट में आ गई।

भारत लौटकर महिलाओं का किया इलाज

डिग्री प्राप्त करने के बाद से आनंदी भारत लौटी और सबसे पहले उन्होंने कोलाहपुर में अपनी सेवा प्रदान की। यह भारत की महिलाओं के लिए बेहद गर्व और संतोष की बात थी कि पहली बार उनके इलाज के लिए कोई महिला डॉक्टर उपलब्ध थी।

टीबी ने 22 साल की उम्र में ली उनकी जान

लेकिन, टीबी की बीमारी से जूझती इस डॉक्टर ने बीमारी के आगे हार मान ली, 26 फरवरी यानि आज के ही दिन 1887 में उनका निधन हो गया। केवल 22 वर्ष की उम्र में उनका निधन देश के लिए बहुत बड़ी क्षति थी। अपनी छोटी सी उम्र में उन्होंने वो कर दिखाया जिसका अंदाजा किसी को भी नहीं था।

उन्होंने महिला शिक्षा को आगे बढ़ने के लिए उम्मीद की किरण दिखाई। जिस समय वह गई उस समय पूरा देश उनकी मृत्यु के शोक में था, लेकिन उनकी उपलब्धियाँ जिंदा थीं। आनंदी की राख को न्यू जर्सी ठोडिसिया कारपेंटर को भेजा गया, इसे वहाँ के कब्रिस्तान में जगह मिली है।

आज आनंदी गोपाल जोशी के नाम पर मेडिकल क्षेत्र में बड़े सम्मान दिए गए। इसमें इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च एंड डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंस और लखनऊ के एक गैर सरकारी संस्थान ने मेडिसिन के क्षेत्र में आनंदीबाई जोशी सम्मान देने की शुरुआत की यह उनके प्रति एक बहुत बड़ा सम्मान है। साथ ही महाराष्ट्र की सरकार ने इनके नाम पर युवा महिलाओं के लिए एक फेलोशिप प्रोग्राम की पहल की। इसके साथ ही शुक्र ग्रह पर एक क्रेटर का नाम भी उनके ही नाम पर रखा गया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

पत्नी सेक्स से करे इनकार, तो क्या पति के पास तलाक ही विकल्प: वैवाहिक बलात्कार पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल, मैरिटल रेप को ‘अपराध’...

सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की माँग करने वालों से पूछा कि यदि पति को सेक्स ना मिले तो क्या उसके पास तलाक ही विकल्प है।

‘उन्हें पकड़ा जरूर, लेकिन मारा नहीं’: सरफराज-तालिब के ‘एनकाउंटर’ पर बोली रामगोपाल मिश्रा की विधवा, परिजन बोले- वे बिरयानी खाकर कुछ दिन में बाहर...

रामगोपाल मिश्रा के सभी परिजन आरोपितों के जिंदा पकड़े जाने से खुश नहीं है। उनका कहना है कि आरोपित कुछ दिन जेल काटेंगे, फिर बिरयानी खाकर छूट जाएँगे।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -