कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में जारी लॉकडाउन के बीच भी हिंदुओं से घृणा वाले प्रोपेगेंडा सोशल मीडिया पर देखे जा रहे हैं। झारखंड पुलिस को टैग करते हुए एक युवक ने हिन्दू संगठनों के पोस्टर लगी फल विक्रेता की एक दुकान पर आपत्ति जताई है। उसका आरोप है कि झारखंड सरकार के बजाए अब हिन्दू संगठन फलों की दुकानों और व्यवसायों को परमिशन दे रहे हैं।
फल विक्रेता की इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑपइंडिया के सीईओ राहुल रौशन ने लिखा है – “इस तरह से चरणबद्ध तरीके से आप एक इस्लामी राज्य की ओर अग्रसर होते हैं। अपने हर उत्पाद पर हलाल की मोहर लगाते हुए हिन्दू प्रतीकों को गैरकानूनी बताओ। पुलिस और राज्य ने यह करने में उनकी मदद की है।”
दूसरे ट्वीट में राहुल रौशन ने कटाक्ष करते हुए लिखा है – “अपनी दुकानों पर राम-शिव की तस्वीर नहीं लगा सकते। अपनी कैब पर एंग्री-हनुमान पोस्टर नहीं लगा सकते। ऑफिस में कलावा और तिलक लगाकर नहीं जा सकते। जबकि आप आलू-भिंडी को हलाल बनाते हैं और पकाने के इस्लामिक तरीकों को वैध बना रहे हैं।”
This is how you move towards an Islamic state. One step at a time. Make Hindu symbols illegal, while insist on your Halaal stamp on everything. The state and police helped here in taking that step. https://t.co/ReazBHtDia
— Rahul Roushan (@rahulroushan) April 25, 2020
वहीं, एक अन्य ट्विटर यूजर ने एहसान राज़ी के ट्वीट के जवाब में हलाल मीट की दुकान की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा है कि यह हलाल मीट की दुकानों की तस्वीरें हैं, इनके खिलाफ भी कार्रवाई करो।
एक अन्य ट्विटर यूजर ने झारखंड में ही मौजूद ऐसी कई अन्य दुकानों की तस्वीरों को शेयर किया, जिनमें बिस्मिल्लाह ढाबा से लेकर खान मुस्लिम होटल जैसे पोस्टर स्पष्ट देखे जा सकते हैं। साथ ही झारखंड पुलिस से गरीब फल विक्रेताओं को निशाना ना बनाने की भी अपील की है।
Hello @JharkhandPolice, take similar action against all these restaurants.
— Strategic Spaminder Bharti (@attomeybharti) April 25, 2020
Cc: @LegalLro @BJP4Jharkhand, please help those poor fruit vendors who are being harassed by Jharkhand Police.https://t.co/pDtmsr8YE8 https://t.co/pjUrxmorGC
हलाल
ज्ञात हो कि हलाल की प्रकिया पूर्ण रूप से इस्लामिक रीति-रिवाजों पर आधारित है। इसमें खाने-पकाने से लेकर इसे ग्रहण करने तक में पूर्ण रूप से मुस्लिम तरीकों को अपनाया जाता है, जिसमें अन्य किसी भी धर्म के व्यक्ति का योगदान नहीं होता है। इस तरह यह एक प्रकार से गैरमुस्लिमों के आर्थिक बहिष्कार की प्रक्रिया का हिस्सा होता है।