चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। तारीखों की घोषणा के साथ ही चुनावी सरगर्मियाँ और भी तेज हो गई हैं।
इस चुनावी मौसम में मीडिया वाले भी कुछ ज्यादा ही सक्रिय और उत्तेजित दिखाई देते हैं। इसी चक्कर में कई बार तो ऐसा देखने को मिलता है कि मीडिया में बैठे वरिष्ठ पत्रकार भी अपनी सूझ-बूझ का परिचय नहीं दे पाते हैं और कुछ ऐसी बातें कह जाते हैं जो कि उनकी काबिलियत और कौशल पर सवाल खड़े कर देता है।
ऐसा ही कुछ कर दिया है जाने-माने पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने। वही बाजपेयी जो ‘आज तक’ और ‘एबीपी’ जैसे न्यूज़ चैनल में काम करने के बाद ‘सूर्या समाचार’ में एडिटर-इन-चीफ के ओहदे पर आसीन हैं। शायद ये इनका ‘कर्म’ ही है कि शीर्ष समाचार चैनलों में काम करने वाले वरिष्ठ और अनुभवी पत्रकार आज एक यू ट्यूब चैनल में काम करने को मजबूर हैं। अभी एक बार फिर से वो निशाने पर आ गए, जब उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि आज शाम से केयर-टेकर की भूमिका में आ जाएगी मोदी सरकार।
Bajpai ji, anchoring does not make you a constitutional expert. A government becomes caretaker only if the Lok Sabha is dissolved. Please do not apply Pakistan and Bangladesh Constitution to India. https://t.co/aWs6vmAaMI
— Sanjay Dixit संजय (@Sanjay_Dixit) 10 March 2019
बाजपेयी के इस ट्वीट के बाद लोगों की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ आनी शुरू हो गईं। उनकी बुद्धिमत्ता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। एक आईएएस अधिकारी ने तो यहाँ तक कह दिया, “बाजपेयी जी, एंकरिंग आपको संवैधानिक विशेषज्ञ नहीं बनाती है। लोकसभा भंग होने पर ही सरकार केयर-टेकर बनती है। कृपया भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश का संविधान लागू न करें।”
भारतीय संविधान की बात करें तो पार्लियामेंट के भंग होने के बाद सरकार को केयर-टेकर की भूमिका में रखा जाता है या फिर सरकार को तभी केयर-टेकर के तौर पर रखा जाता है, जब सरकार खुद से इस्तीफा दे दे। इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति के द्वारा तब तक के लिए सरकार को केयर-टेकर की भूमिका में रखा जाता है, जब तक कि चुनावी प्रक्रिया से नए सरकार की नियुक्ति ना हो जाए।
बाजपेयी ने ये ट्वीट तो मोदी सरकार के खिलाफ में किया था और सरकार को नीचा दिखाने की कोशिश की, मगर आधी-अधूरी जानकारी के साथ किया गया यह ट्वीट अब इन पर ही भारी पड़ रहा है। चले तो थे मोदी को घेरने पर खुद ही घिरते हुए नज़र आ रहे हैं। लोगों ने तो उन पर तंज कसते हुए ये तक कह दिया कि पैसे लेकर हेडलाइन बदलने वाले बाजपेयी जी पैसे लेकर संविधान भी बदल सकते हैं।