Saturday, December 21, 2024
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भारत में अशांति फैलाने के लिए चीन ले रहा आतंकी समूहों का सहारा: म्यांमार के ‘अराकान सेना’ को दे रहा पैसे और हथियार

चीन के द्वारा नयपिटाव आतंकवादी समूह अराकान सेना को मदद की जा रही है। चीन अराकान सेना के खर्चे का लगभग 95 प्रतिशत तक दे रहा है। उन्होंने कहा कि अराकान सेना के पास लगभग 50 MANPADS (मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम) यानी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं।

गलवान घाटी में उपजे विवाद के बाद चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा। ताजा खबर के मुताबिक भारत में अशांति फैलाने के लिए चीन अब आतंकवादियों का सहारा ले रहा है।

स्थानीय लाइसस (licas) समाचार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन म्यांमार के आतंकी संगठनों को पैसे और अत्याधुनिक हथियार की आपूर्ति कर रहा है। इसके अलावा उसका इरादा जम्मू कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए पाक के आतंकी संगठन अल बद्र को सक्रिय करना भी है।

रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि चीन के द्वारा नयपिटाव आतंकवादी समूह अराकान सेना को मदद की जा रही है। खुद दक्षिण-पूर्व एशिया की जानकारी रखने वाले एक सैन्य सूत्र ने इसकी पुष्टि की है।

उन्होंने बताया कहा कि चीन अराकान सेना के खर्चे का लगभग 95 प्रतिशत तक दे रहा है। उन्होंने कहा कि अराकान सेना के पास लगभग 50 MANPADS (मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम) यानी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हैं।

जानकारी के मुताबिक, चीन की यह रणनीति अपने प्रभाव को अपनी सीमा के दक्षिण में अच्छी तरह से धकेलने के लिए है। अराकान सेना को समर्थन देने की इस रणनीति ने चीन को पश्चिमी म्यांमार यानी भारत-म्यांमार सीमा की ओर अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने में सक्षम बनाना है।

एक ऑस्ट्रेलियाई बुद्धिजीवी के अनुसार, “चीन दक्षिण एशिया में एक बहुआयामी खेल-खेल रहा है। चीन भारत को कमजोर करना चाहता है। भारत का पाकिस्तान से संबंध अच्छे नहीं हैं और म्यांमार को नया दुश्मन बनाना चाहता है।”

इसी प्रकार एक भारतीय सूत्र के मुताबिक, चीन नहीं चाहता है कि म्यांमार में भारतीय प्रभाव बढ़े। वह एकाधिकार चाहता है। म्यांमार में भारत के खिलाफ अराकान सेना का चीन का समर्थन स्पष्ट रूप से काफी प्रभावी रहा है।

इसे समझने के लिए पिछले दिनों का ही एक वाकया देखिए। साल 2017 के जून माह में भारत के सी एंड सी कंस्ट्रक्शन को 220 मीलियन डॉलर के सड़क निर्माण का ठेका मिला था। लेकिन म्यांमार सरकार ने जनवरी 2018 तक मंजूरी में देरी कर दी। इसके बाद जब निर्माण कार्य शुरु हुआ, तो अराकान सेना ने भारतीय नागरिकों, अग्निशामकों सहित चालक दल, म्यांमार के संसद सदस्य का अपहरण कर लिया।

सुबीर भौमिक के एक लेख के अनुसार, चीन से हाल ही में हथियारों की डिलीवरी की गई है। इस खेप में 500 असॉल्ट राइफल, 30 यूनिवर्सल मशीन गन, 70,000 गोला-बारूद थे, जो समुद्र के रास्ते पहुँचाया गया। फरवरी के तीसरे सप्ताह में म्यांमार और बांग्लादेश के तटीय जंक्शन से ज्यादा दूर मोनाखली समुद्र तट पर हथियारों को उतार दिया गया था।

इतना ही नहीं लेख के अनुसार, अराकान आर्मी के करीब सूत्रों ने यह भी दावा किया था कि इस डिलीवरी में एफएन-6 मैनपैड भी शामिल थे।

वहीं, क्षेत्र के एक राजनयिक ने इस संबंध में कहा था कि मयांमार में अराकान सेना सहित सात विभिन्न समूहों को चीनी हथियार और समर्थन प्राप्त हुआ। उनके मुताबिक चीन का उद्देश्य हमेशा से खराब मानवीय रिकॉर्ड के साथ म्यांमार को कमजोर और सीमित रखकर पश्चिम को म्यांमार से दूर रखना रहा है।

यहाँ बता दें अराकान सेना म्यांमार के राखीन राज्य में सबसे बड़ा विद्रोही समूह है और राजनीतिक दल, यूनाइटेड लीग ऑफ़ अराकान का सशस्त्र विंग है। 23 मार्च को म्यांमार सरकार ने उनमें डर व्याप्त करने के लिए आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। 2019 में इस समूह ने 4 पुलिस थानों पर हमला बोला था। जिसमें 20 से अधिक जवान हताहत हो गए थे।

इनमें से कुछ की चोट लगने के कारण मौत भी हो गई थी। लेकिन, इतने के बावजूद भी चीन ने इस घटना का विरोध नहीं किया था। बल्कि अपने बयान में यह कह दिया था कि म्यांमार की हर पार्टी को चीन का समर्थन है। जानकारी के अनुसार, चीन सिर्फ़ वहाँ हथियार सप्लाई नहीं करती। बल्कि म्यांमार में हिंसा भड़काकर पैसे भी कमाती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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