राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने केरल सोना तस्करी मामले में आतंकी गतिविधि की संलिप्तता की आशंका जाहिर की है। NIA ने खुलासा किया है कि पिछले 10 महीनों में केरल में लगभग 150 किलोग्राम सोने की तस्करी की गई थी।
एजेंसी ने अदालत को बताया कि जाँच में यह भी पता चला है कि तस्करी मुख्य रूप से आभूषण बनाने में नहीं बल्कि आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता था, क्योंकि नकदी में लेन-देन करना मुश्किल हो गया था। एनआईए ने अदालत में कहा कि आरोपितों ने सोना तस्करी के लिए यूएई दूतावास की सील और राजकीय चिन्ह से छेड़छाड़ कर अपराध को अंंजाम दिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, “कई एजेंसियों द्वारा की गई शुरुआती जाँच से पता चला है कि गिरोह सितंबर 2019 से सोने की तस्करी कर रहा था। उन्होंने अब तक लगभग 150 किलोग्राम सोने की तस्करी की थी। संदिग्धों से पूछताछ से उनके तौर-तरीके और अन्य लोगों पर प्रकाश डाला जा सकता है।”
बता दें कि एनआईए कोर्ट ने सोमवार (13 जुलाई, 2020) को प्रमुख संदिग्धों स्वप्ना सुरेश और संदीप नायर को 21 जुलाई तक एजेंसी की हिरासत में भेज दिया। एनआईए ने मामले में दोनों को हिरासत में लेने की माँग की थी।
एनआईए ने केरल हाईकोर्ट को बताया था कि राजनयिक के सामान के जरिए सोने की तस्करी करने की कोशिश करने वाली महिला स्वप्ना सुरेश के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
हिरासत के आवेदन को आगे बढ़ाते हुए, एजेंसी ने अदालत को बताया कि गृह मंत्रालय ने प्रारंभिक जाँच की थी और पाया था कि तस्करी का सोना आतंकवादी गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता था। एनआईए के अनुसार, एक विस्तृत जाँच की आवश्यकता है क्योंकि इसमें भारत-यूएई द्विपक्षीय संबंध शामिल हैं। यूएई ने भी इस घटना की जाँच शुरू की है।
कोच्चि स्थित एनआईए अदालत को सूचित किया गया कि स्वप्ना सुरेश और सरिथ, जो पहले यूएई वाणिज्य दूतावास के कर्मचारी थे, ने राजनयिक सामान की आवाजाही के बारे में सीखा और सोने की तस्करी करने के लिए इसे मॉडस ऑपरेंडी के रूप में इस्तेमाल किया।
अदालत की कार्यवाही के दौरान, एक अभियुक्त संदीप नायर ने दावा किया कि खेप को यूएई के राजनयिक को संबोधित किया गया था जिसका नाम राशिद अल शिमिली है। उन्होंने सवाल किया कि राजनयिक की भूमिका की जाँच क्यों नहीं की जा रही है।
सोने की तस्करी के मामले में रविवार (12 जुलाई, 2020) को सीमा शुल्क विशेष जाँच दल द्वारा मलप्पुरम स्थित व्यवसायी के टी रमीज की गिरफ्तारी से जाँच में और तेजी आने की उम्मीद है।
केरल में सोने की तस्करी के रैकेट के लिंचपिन माने जाने वाले रमीज को रविवार की रात में पेरिन्थलम्ना के पास वेटाठूर में उसके निवास से गिरफ्तार किया गया था।
कस्टम अधिकारी के अनुसार, रमीज की गिरफ्तारी सोने की तस्करी मामले की जाँच की तेजी के लिए महत्वपूर्ण थी। इसने राज्य पर आरोप लगाया है कि तस्करी के रैकेट में एक अन्य प्रमुख खिलाड़ी स्वप्ना सुरेश का केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के कार्यालय से घनिष्ठ संबंध है।
रमीज को एक निवेशक और राज्य में सोने की तस्करी का वितरक कहा जाता है और कस्टम अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि उसकी हिरासत में पूछताछ से सोने की तस्करी रैकेट में निवेशकों का ब्योरा मिल सकता है। इसके साथ ही तस्करी के समन्वय में शामिल प्रमुख कर्मी और स्वप्ना सुरेश एवं संदीप नायर की भागीदारी केे बारे में खुलासा हो सकता है।
बता दें कि स्वप्ना और सरिथ दोनों यूएई वाणिज्य दूतावास के कर्मचारी थे और अज्ञात कारणों के चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। हालाँकि, उन्हें वहाँ काम करने के दौरान राजनयिक सामान की आवाजाही के बारे में पता चल गया था। बाद में, उन्होंने संदीप सहित अन्य संदिग्धों के साथ साजिश रची और 2019 में सोने की तस्करी शुरू कर दी।
गौरतलब है कि जाँच एजेंसी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया था कि केरल सोना तस्करी मामले में गैर कानूनी गतिविधि (निवारक) अधिनियम, 1967 की धारा 16, 17 और 18 के तहत चार आरोपितों– पीएस सरिथ, स्वप्ना प्रभा सुरेश, फाजिल फरीद और संदीप नायर के खिलाफ त्रिवेंद्रम अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से पाँच जुलाई को कस्टम (प्रीवेंटिव) कमिश्नरेट, कोचीन द्वारा 14.82 करोड़ रुपए मूल्य के 24 कैरेट के 30 किलोग्राम सोने की बरामदगी के सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है।