Friday, October 18, 2024
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एंटी-सैटलाइट पर Pak और चीन दोनों गा रहे शांति गीत, मिर्ची बहुत जोर की लगी है!

एशिया में एंटी-सैटलाइट होड़ शुरू करने का श्रेय चीन को ही जाता है। 2007 में अपने एक ख़राब मौसमी उपग्रह को एंटी-सैटलाइट मिसाइल से उड़ाकर चीन ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था।

भारत के मिशन शक्ति पर पाकिस्तान-चीन की वैसी ही प्रतिक्रिया आई है, जैसी की उम्मीद की जा सकती थी। दोनों ने ही भारत से सीधा टकराव लेने से बचते हुए यह जता दिया कि भारत की ताकत में बढ़ोतरी उन्हें फूटी आँख नहीं सुहा रही है।

किताबों-किरदारों की आड़ में पाकिस्तान

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि अन्तरिक्ष मानवता की साझी विरासत है और हर देश की यह जिम्मेदारी है कि वह ऐसी हरकतों से बचे, जिनसे कि अंतरिक्ष में सैन्यीकरण को बढ़ावा मिले। हालाँकि इस बयान में पाकिस्तान भारत का सीधे-सीधे नाम लेने से बचता हुआ दिखा।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि वह देश जिन्होंने अतीत में दूसरों की ऐसी ताकतों के प्रदर्शन की कड़ी निंदा की थी, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे उपायों के विकास में सहयोग करेंगे, जिनसे अन्तरिक्ष में सैन्य खतरों को रोका जा सके।”

अपने बयान में उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी क्षमताओं का प्रदर्शन डॉन क्विक्सोट के पवन चक्कियों को धकेलने की याद दिलाता है। उनका इशारा 17वीं शताब्दी के स्पेनिश उपन्यास के भ्रमित नायक की ओर था। उपन्यास के लेखक मिगुएल दे सेरवान्तेस थे।

इस प्रतिक्रिया के बाद पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाने की भी खबर आई, जिसका एजेण्डा पाकिस्तान की सुरक्षा को लेकर चर्चा ही माना जा रहा है।  

भुनभुना रहा चीन

चीन का जवाब पाकिस्तान के मुकाबले अधिक सधा हुआ और डिप्लोमैटिक रहा। समाचार एजेंसी पीटीआई के प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान दिया, “हमने रिपोर्टें देखी हैं और हम उम्मीद करते हैं कि हर देश अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेगा।”

चीन का इतना सधा हुआ जवाब दो कारणों से महत्वपूर्ण है। एक इसलिए क्योंकि एशिया में एंटी-सैटलाइट होड़ शुरू करने का श्रेय चीन को ही जाता है। 2007 में अपने एक ख़राब मौसमी उपग्रह को एंटी-सैटलाइट मिसाइल से उड़ाकर चीन ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था।

दूसरा इसलिए क्योंकि इस समय चीन, रूस और अमेरिका के साथ जिनेवा में दूसरों देशों को ऐसी ही तकनीक पाने से रोकने के लिए नूराकुश्ती में लगा हुआ है। माना जा रहा है कि अंतिम ध्येय इस नूराकुश्ती के बिना पर अन्य देशों के हाथ यह तकनीक लगने या उनके इसे खुद विकसित करने को रोकना है, ताकि यह तीन देश इस तकनीक पर एकछत्र राज स्थापित करके अपने स्वार्थ साधने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकें। ऐसे में भारत ने ऐन मौके पर यह परीक्षण कर के इनके मंसूबों पर कुछ हद तक पानी फेर दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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