Monday, October 7, 2024
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₹42 करोड़ में बना हाटकेश्वर ब्रिज, ₹52 करोड़ तोड़ने में लगे? : ‘गुजरात मॉडल’ का मजाक उड़ाने के लिए कॉन्ग्रेस ने बोला झूठ, गृह राज्यमंत्री ने सच्चाई बताई

सांघवी ने बताया कि इस 52 करोड़ की लागत में नया पुल बनाने का खर्च भी शामिल है, न कि सिर्फ तोड़ने का खर्च। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुल के निर्माण में आने वाली लागत पुराने ठेकेदार से वसूल की जाएगी, जिससे सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।

अहमदाबाद का हाटकेश्वर ब्रिज एक बार फिर से राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। इस पुल को लेकर हाल ही में मीडिया चैनलों और कॉन्ग्रेस पार्टी ने सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट्स में इस ब्रिज को बनाने में 42 करोड़ रुपये का खर्च आया था, और अब इसे तोड़ने में 52 करोड़ रुपये की लागत बताई जा रही है। कॉन्ग्रेस ने इसे ‘गुजरात मॉडल’ की विफलता के तौर पर पेश किया, लेकिन सच्चाई कुछ और है।

कॉन्ग्रेस का आरोप और मीडिया रिपोर्ट

न्यूज़ चैनल ‘आजतक’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि अहमदाबाद के हाटकेश्वर ब्रिज को बनाने में 42 करोड़ रुपये का खर्च आया था, लेकिन अब इसे गिराने में 52 करोड़ रुपये की लागत आ रही है। कॉन्ग्रेस ने इसे सोशल मीडिया पर उठाया और एक इन्फोग्राफिक जारी कर ‘गुजरात मॉडल’ पर तंज कसा। कॉन्ग्रेस ने इस पूरे मामले को भ्रष्टाचार और गुजरात सरकार की विफलता के रूप में प्रस्तुत किया।

कॉन्ग्रेस के इस आरोप के बाद, वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र और विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया। सोशल मीडिया पर इसे लेकर कई सवाल उठाए गए।

गृह राज्य मंत्री ने किया ‘फैक्ट चेक’

कॉन्ग्रेस और मीडिया रिपोर्ट्स के बाद, गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और तथ्यों को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस का दावा भ्रामक है। सांघवी ने स्पष्ट किया कि 52 करोड़ रुपये सिर्फ पुल को तोड़ने की नहीं, बल्कि इसे तोड़कर फिर से बनाने की कुल लागत है। उन्होंने आगे बताया कि पुराने पुल को बनाने वाले ठेकेदार से इस खर्च की वसूली की जाएगी।

सांघवी ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर कॉन्ग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा, “झूठा गिरोह कॉन्ग्रेस दावा कर रही है कि वह अहमदाबाद में हाटकेश्वर ब्रिज को तोड़ने के लिए ₹52 करोड़ खर्च करने जा रही है। यह भ्रामक है।” उन्होंने आगे कहा, “तथ्य यह है कि पुराने पुल को ध्वस्त करने और नए पुल के निर्माण की कुल लागत ₹52 करोड़ है।”

गृह राज्य मंत्री ने मीडिया चैनल ‘आजतक’ पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह की भ्रामक खबरें फैलाने से पहले तथ्यों की जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “एक जिम्मेदार और अग्रणी समाचार चैनल के रूप में, आपको प्रकाशन से पहले तथ्यों की जाँच करनी चाहिए।”

सांघवी ने बताया कि इस 52 करोड़ की लागत में नया पुल बनाने का खर्च भी शामिल है, न कि सिर्फ तोड़ने का खर्च। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुल के निर्माण में आने वाली लागत पुराने ठेकेदार से वसूल की जाएगी, जिससे सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।

अहमदाबाद के खोखरा इलाके में स्थित इस हाटकेश्वर ब्रिज का निर्माण 2017 में किया गया था और इसे सार्वजनिक उपयोग के लिए खोला गया था। हालाँकि, केवल पाँच साल बाद, वर्ष 2022 में पुल में संरचनात्मक खामियाँ पाई गईं, जिससे इसे बंद कर दिया गया। विशेषज्ञों द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद यह निर्णय लिया गया कि पुल को पूरी तरह से गिराकर नए सिरे से बनाया जाना चाहिए।

मार्च 2024 में अहमदाबाद मिरर ने रिपोर्ट दी थी कि अहमदाबाद नगर निगम ने पुल को ध्वस्त करने और उसके स्थान पर एक नया चार-लेन पुल बनाने के लिए निविदा जारी की है। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 51.70 करोड़ रुपये बताई गई थी।

पुल को दोबारा बनाने की योजना

गौरतलब है कि इस 52 करोड़ रुपये की लागत में सिर्फ पुल को गिराने का खर्च नहीं है, बल्कि इसे दोबारा बनाने का खर्च भी शामिल है। अहमदाबाद नगर निगम ने इसके लिए एक निविदा जारी की है, जिसमें पुल को गिराकर नए सिरे से एक चार-लेन पुल का निर्माण किया जाएगा। इससे यह साफ हो जाता है कि कॉन्ग्रेस और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स द्वारा जो दावे किए जा रहे थे, वे तथ्यात्मक रूप से गलत थे। पुल की कुल लागत में निर्माण और विध्वंस दोनों शामिल हैं, और यह खर्च जनता के करों पर नहीं बल्कि पुराने ठेकेदार से वसूला जाएगा।

अहमदाबाद के हाटकेश्वर ब्रिज का मुद्दा भले ही राजनीतिक हो गया हो, लेकिन तथ्य यह है कि 52 करोड़ रुपये की लागत केवल पुल को गिराने पर खर्च नहीं की जा रही है। इसमें नए पुल का निर्माण भी शामिल है, और यह रकम ठेकेदार से वसूली जाएगी। इस मुद्दे पर कॉन्ग्रेस और विपक्ष ने इसे ‘गुजरात मॉडल’ की विफलता के रूप में प्रस्तुत किया, लेकिन सरकार द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से साफ है कि कॉन्ग्रेस का दावा पूरी तरह से गलत है।

यह समाचार मूल रूप से गुजराती भाषा में प्रकाशित है। मूल रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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