मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस द्वारा किए गए क़र्ज़माफ़ी के वादे की रोज पोल खुलती नज़र आ रही है। किसान पूरी तरह क़र्ज़मुक्त नहीं हो पाए हैं। ऊपर से इसमें कई सारे लोच हैं। सरकार ने 31 मार्च 2018 की स्थिति में क़र्ज़माफ़ी का वादा तो कर दी लेकिन बैंकों को राशि फरवरी 2019 से भेजनी शुरू की। इस से लोचा यह हुआ है कि किसानों के ऊपर 11 महीने का ब्याज का बोझ धरा का धरा रह गया है। किसान तो सरकार के वादे के मुताबिक़ निश्चिंत हो गए कि उनका क़र्ज़ चुका दिया जाएगा और उनके खाते में जीरो बैलेंस हो जाएगा लेकिन कमलनाथ सरकार पिछले 11 महीने का ब्याज नहीं चुकाएगी।
दैनिक भास्कर की ख़बर के मुताबिक़, राज्य के वित्त मंत्री तरुण भनोट ने इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी होने से इनकार कर दिया है। चुनाव जीतने के लिए जल्दबाज़ी में इस आधे-अधूरे क़र्ज़माफ़ी का वादा तो कर दिया गया लेकिन इसका आलम यह है कि इस से जुडी चीजों के बारे में ख़ुद वित्त मंत्री को ही कोई जानकारी नहीं। अव्वल तो यह कि आचार संहिता के चक्कर में पड़ कर किसान और भी बेहाल हो चुके हैं क्योंकि उनके सर पर अतिरिक्त महीने का ब्याज जुड़ेगा। बता दें कि आचार संहिता लागू होने से घंटों पहले ही मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को मैसेज भेज कर आचार संहिता का बहाना बताकर क़र्ज़माफ़ी में देरी होने की बात कही थी।
मध्य प्रदेश में कर्जमाफी: मुख्यमंत्री कमलनाथ की ओर से किसानों के मोबाइल में माफी मांगते हुए एक मैसेज आया कि लोकसभा चुनावों की आचार संहिता के कारण कर्जमाफी की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। @OfficeOfKNath #Farmer
— GaonConnection (@GaonConnection) March 27, 2019
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मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने इस मैसेज को लेकर तंज कसा था कि सीएम कमलनाथ अंतर्यामी हो गए हैं। उनकी आत्मा ने पहले ही सुन लिया था कि तीन घंटे बाद आचार संहिता लगने वाली है। दरअसल, कॉन्ग्रेस तो बहाना तलाश रही थी कि कब आचार संहिता लगे और पैसा न देना पड़े।
बैंकों के नियम के अनुसार अगर कोई खाता 3 वर्ष या उस से अधिक समय से एनपीए (Non Performing Asset) है तो ऋणदाता से 50% राशि लेकर उन खातों को समायोजित कर दिया जाता है। सब सरकार ने क़र्ज़माफ़ी शुरू की तो बैंक उन एनपीए पर ये राशि स्वयं भुगतान करने को तैयार हो गए। इस से बैंक और सरकार, दोनों का ही फ़ायदा हुआ। बैंको को 50% एनपीए वाले ऋण खातों की राशि का लाभ मिला तो सरकार के पास विकल्प रहा कि वह 50% राशि देकर क़र्ज़माफ़ी कर दे। इस योजना के अंतर्गत एक से तीन वर्ष तक वाले एनपीए खातों में बैंक 25% राशि जमा करेगी।
राहुल बाबा से बड़ा झूठा व्यक्ति कहीं नहीं है!
— Chowkidar Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 26, 2019
मध्यप्रदेश में इन्होंने किसानों को कर्जमाफ़ी का झूठा वादा करके ठगा है!#BJPVijaySankalp pic.twitter.com/vdzQuTYjFl
सरकार ने लेट-लतीफी करते हुए फ़रवरी के अंतिम सप्ताह से किसानों की क़र्ज़माफ़ी शुरू की। उसमे भी कुछ किसानों के तो एक रुपए के क़र्ज़ भी माफ़ किए गए। उसके बाद आदर्श अचार संहिता का बहाना मार मध्य प्रदेश सरकार ने पल्ला झाड़ लिया। बता दें की किसान वाले ऋण खातों पर तिमाही ब्याज जोड़ा जाता है। अब देखते हैं कि इस से पहले से ही क़र्ज़ में दबे किसानों पर कितना बोझ पड़ता है? मान लीजिए किसी किसान पर 31 मार्च 2018 की स्थिति में 2 लाख रुपए का ऋण है। अगर क़र्ज़माफ़ी योजना के तहत सरकार ने मार्च 2019 वो ऋण अगर चुका भी दिया तो किसानों को 7% की दर से 14,000 रुपए अतिरिक्त देने पड़ेंगे।
किसान क्रेडिट कार्ड खातों पर 7% ब्याज दर का प्रावधान है। मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार कहते रहे हैं कि सभी किसानों का क़र्ज़ माफ़ किया जाएगा लेकिन जिस तरह से एक-एक कर के रोज इसे लेकर नई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही है, उससे लगता है कि शायद ही किसानों को क़र्ज़ और ब्याज से मुक्ति मिले।