अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) द्वारा वामपंथी लेखिका अरुंधति रॉय (Arundhati Roy) की किताब के विरोध के बाद इस किताब को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में मनोनयनियम सुंदरनार विश्वविद्यालय (Manonmaniam Sundaranar University in Tirunelveli) ने अपने पाठ्यक्रम से हटाने का फैसला किया है। दरअसल, अरुंधति रॉय की यह पुस्तक माओवादी ठिकाने की उसकी यात्रा पर आधारित थी। इस किताब में लेखिका ने माओवादियों का महिमामंडन किया था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, कुलपति केपी पिचुमानी (Vice-Chancellor K. Pitchumani) ने कहा कि यह फैसला पिछले सप्ताह एबीवीपी के आयोजकों की शिकायत मिलने के बाद यूनिवर्सिटी द्वारा गठित एक समिति ने लिया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अपनी शिकायत में कहा था कि पुस्तक ‘Walking with the Comrades’ (वॉकिंग विद दी कॉमरेड्स) में अरुंधती रॉय के माओवादी क्षेत्रों की यात्रा को लेकर विवादास्पद सामग्री को दर्शाया गया है।
इस शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए विश्विद्यालय ने जाँच समिति का गठन किया। जाँच में यह पता चला कि माओवादी और नक्सल विचारधारा पिछले तीन वर्षों से छात्रों पर थोपी गई है। जिस पर तिरुनेलवेली में मनोनयनियम सुंदरनार विश्वविद्यालय ने बुधवार (11 नवंबर, 2020) को अरुंधति रॉय द्वारा लिखित पुस्तक को अपने पाठ्यक्रम से वापस लेने का फैसला किया।
राफेल को एयरक्राफ्ट वाहक बताने वाली अरुंधती रॉय की एक दशक पुरानी ‘Walking with the Comrades’ में भारतीय राज्य और सशस्त्र गुरिल्ला बल, माओवादियों के बीच मध्य भारत के जंगलों में हुई भिड़त के बारे में बताया गया है। पुस्तक को 2017 में तीसरे सेमेस्टर में बीए अंग्रेजी भाषा और साहित्य के छात्रों के लिए राष्ट्रमंडल साहित्य श्रेणी के तहत विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था।
कुलपति केपी पिचुमानी ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि अकादमिक डीन और बोर्ड ऑफ स्टडी के सदस्यों वाली एक समिति ने शिकायत को संज्ञान में लिया और पुस्तक को वापस लेने का फैसला किया क्योंकि छात्रों के लिए विवादास्पद पुस्तक पढ़ाना अनुचित हो सकता है। कुलपति ने बताया कि इसके स्थान पर लेखक एम कृष्णन की “My Native Land: Essays on Nature” पुस्तक को शामिल किया गया है।
गौरतलब है कि एबीवीपी दक्षिण तमिलनाडु के संयुक्त सचिव सी विग्नेश ने ‘राष्ट्रविरोधी माओवादियों’ द्वारा हत्या के इलाकों और दंगों का खुलकर समर्थन करने की पुस्तक का विरोध किया था। साथ ही इसके खिलाफ कुलपति को एक शिकायत पत्र भी लिखा था। इसके अलावा, विग्नेश ने चेतावनी दी थी कि यदि विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम से पुस्तक को जल्द नहीं हटाया तो एबीवीपी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से मामले से संबंधित कार्रवाई की माँग करेगा।
ऑर्गनाइजर की एक रिपोर्ट के अनुसार, “पुस्तक कथित रूप से नक्सलियों का महिमामंडन करती है, जिन्हें भारत के सबसे आंतरिक सुरक्षा खतरे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।”