जैसे-जैसे आम चुनाव के मौसम में सियासी बयार की तेज़ी बढ़ रही है, वैसे-वैसे चुनाव आयोग की सक्रियता भी बढ़ती जा रही है। चुनाव आयोग ने अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 72 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से रोक दिया है। इसका अर्थ ये हुआ कि योगी आदित्यनाथ अगले 72 घंटों तक कोई भी रैली, रोड शो या जनसम्पर्क अभियान में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। बता दें कि उन पर ये बैन चुनाव आयोग ने मेरठ में उनके दिए गए बयान को आपत्तिजनक बताते हुए लगाया है। ज्ञात हो कि मेरठ लोकसभा के सिसौली गाँव में आयोजित जनसभा में सहारनपुर की रैली का ज़िक्र करते हुए योगी ने कहा था, “जब गठबंधन के नेताओं को अली पर विश्वास है और वह अली-अली कर रहे हैं, तो हम भी बजरंगबली के अनुयायी हैं और हमें बजरंगबली पर विश्वास है।“
इसके अलावा चुनाव आयोग ने योगी के हरा वायरस वाले बयान को लेकर भी आपत्ति जताई है। चुनाव आयोग ने कहा कि एक राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते योगी की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह संविधान में वर्णित धर्मनिरपेक्षता के माहौल को बनाए रखें। वेस्ट यूपी से हरा वायरस पूरी तरह खत्म करने की अपील करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा:
“राहुल गाँधी जब लोक सभा चुनाव 2019 के लिए नामांकन करने गए थे, तो उनके आसपास न तो तिरंगा था और न ही कॉन्ग्रेस का झंडा, उनके पास हरे रंग का चाँद-सितारे वाला झंडा था। कॉन्ग्रेस पार्टी ने जब अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था तो उसे देखकर लगता है कि कॉन्ग्रेस के हाथ देशद्रोहियों के पास हैं। वेस्ट यूपी में इस हरे वायरस को खत्म कर दीजिए और देश में मोदी की सरकार बनवाइए ताकि देश और प्रदेश को सुरक्षित किया जा सके।”
इसके अलावा चुनाव आयोग ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को भी 48 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया। मायावती ने मुस्लिम समुदाय से उनका वोट बँटने न देने की खुली अपील कर आचार संहिता को धता बताया था। मायावती ने देवबंद की रैली में कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोग अपना वोट बँटने ना दें और सिर्फ़ महागठबंधन के लिए वोट दें। बता दें कि धर्म एवं जाति के आधार पर वोट माँगना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। सोमवार (15 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट ने भी मायावती के इस बयान को लेकर आपत्ति जताई थी। अदालत में आयोग से पूछा था कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है?
चुनाव आयोग द्वारा मायावती के ख़िलाफ़ एक्शन तभी लिया गया है जब सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा था कि अभी तक इस मामले में नोटिस ही क्यों जारी किया गया है, सख़्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? चुनाव आयोग द्वारा हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक को रिलीज होने से भी रोक दिया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पुनर्विचार करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि आयोग पहले फ़िल्म देख ले और उसके बाद कोई निर्णय ले। इस पर हमने बताया था कि कैसे जो तर्क देकर आयोग ने बायोपिक को रोका है, उस तर्क के हिसाब से कई लोग और मीडिया वालों को प्रतिबंधित करना होगा क्योंकि वो भी मोदी की रैलियों को टेलिकास्ट करते हैं, स्टूडियो से पक्ष लेकर बात करते हैं, इंटरव्यू चलाते हैं।