डिफेंस रिसर्च एंड डेवल्पमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने सोमवार की सुबह ओडिशा के समुद्री तट पर स्थित परीक्षण रेंज से सब-सोनिक क्रूज मिसाइल ‘निर्भय’ का सफल परीक्षण कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मिसाइल के सफल परीक्षण से भारतीय सैन्य बल को नई ताकत मिली है। भारत का वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (आईएडीई) के वैज्ञानिकों ने इसके सफल परीक्षण के बाद कहा कि निर्भय सब-सोनिक क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता 1,000 किलोमीटर है।
Today India’s 1,000 km strike range sub-sonic cruise missile ‘Nirbhay’ was successfully test fired off the coast of Odisha. pic.twitter.com/wDT3YTwNpB
— ANI (@ANI) April 15, 2019
यह स्वदेशी तकनीक पर विकसित भारत की पहली क्रूज मिसाइल है। यह मिसाइल बिना भटके लंबी दूरी तक लक्ष्य साधने में सक्षम है। जल्द ही इसे सेना में शामिल कर लिया जाएगा। इस मिसाइल से भारत की सैन्य ताकत को मजबूती मिलेगी। पाकिस्तान, चीन समेत कई देश इस मिसाइल की पहुँच में है। यह मिसाइल कुछ सेकेंड में ही दुश्मन देशों के किसी भी इलाके को नेस्तानाबूद करने में सक्षम है। निर्भय मिसाइल 200 से 300 किलोग्राम तक के परमाणु वारहेड को अपने साथ ले जा सकती है।
सब-सोनिक क्रूज मिसाइल ‘निर्भय’ की खास बातें:-
- यह मिसाइल 6 मीटर लंबी और 0.52 मीटर चौड़ी है
- इसका अधिकतम वजन 1500 किलोग्राम है
- यह मिसाइल 0.6 से लेकर 0.7 मैक की गति से उड़ सकती है
- यह मिसाइल दो चरणों में उड़ान भरती है
- यह मिसाइल धरती से कुछ ही मीटर की ऊँचाई पर उड़ने से यह आसानी से राडार की पकड़ में नहीं आती, यानी इसे मिसाइल रोधी तंत्र से भी रोकना काफी मुश्किल है
- पहली बार में यह पारंपरिक रॉकेट की तरह लबंवत आकाश में जाती है फिर दूसरे चरण में क्षैतिज उड़ान भरने के लिए 90 डिग्री का मोड़ लेती है
गौरतलब है कि इससे पहले भी DRDO के वैज्ञानिक इस मिसाइल का कई बार परीक्षण कर चुके हैं। निर्भय का पहला परीक्षण 12 मार्च 2013 को किया गया था और उस समय मिसाइल में खराबी आने के कारण उसने बीच रास्ते में ही काम करना बंद कर दिया था। दूसरा परीक्षण 17 अक्तूबर 2014 को किया गया जो सफल रहा था। 16 अक्तूबर 2015 को किए गए अगले परीक्षण में मिसाइल 128 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अपने रास्ते से भटक गई थी।
इसके बाद 21 दिसंबर 2016 को परीक्षण किया गया। उस समय भी यह निर्धारित रास्ते से भटक गई थी। इसके अलावा नवंबर 2017 में इस मिसाइल का परीक्षण किया गया था। वैज्ञानिकों ने इस परीक्षण को सफल बताया था। यह सभी परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर में DRDO के परीक्षण रेंज से किए गए थे।