चीन का आतंकवाद के प्रति दोहरा रवैया भारत समेत पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा और समस्या बना हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन जहाँ पाकिस्तान में बैठे मसूद अजहर को आतंकी नहीं मानता है, वहीं अपने यहाँ के उइगर उसको आतंकी दिखाई देते हैं। चीन ने उइगर समुदाय पर कई तरह की पाबंदियाँ लगा रखी हैं। लाखों उइगरों को हिरासत केंद्रों में रखा गया है और चीन इन हिरासत केंद्रों को व्यावसायिक शिक्षा केंद्र कहता है। चीन उनके ऊपर नियंत्रण का जाल बिछा रहा है, जो कम्युनिस्ट पार्टी के स्वचालित तानाशाह के दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी निंदा की जा रही है।
दरअसल, चीन के उत्तर-पश्चिम में काशगर नामक एक प्राचीन शहर है। जहाँ लाखों उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों को कैम्पों में एक बंदी की तरह रखा जाता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, उन्होंने काशनगर के लोगों की स्थिति जानने के लिए वहाँ का कई बार दौरा किया, लेकिन वो लोग स्थानीय लोगों का इंटरव्यू ले पाए, क्योंकि ये काफी जोखिम भरा था। पुलिस लगातार पीछा कर रही थी और हर जगह प्रतिबंधित था। हर 100 गज की दूरी पर पुलिसकर्मी बंदूकों के साथ चेकपॉइंट्स पर मौजूद थे। वहाँ से निकलने के लिए कतार में लगे अल्पसंख्यकों के चेहरे पर कोई भाव नहीं था, वे अपने आधिकारिक आईडी कार्ड को स्वाइप करने के लिए कतारबद्ध थे। बड़े चेकपॉइंट पर उन्होंने अपना सिर ऊपर उठाया ताकि उनकी तस्वीरें मशीन द्वारा ली जा सकें। उनकी पुष्टि हो जाने के बाद उन्हें जाने दिया गया।
इतना ही नहीं, पुलिस कभी-कभी जरूरी सॉफ्टवेयर जाँचने के बहाने उइगरों का फोन ले लेती है, ताकि उनके कॉल और मैसेज पर नज़र रखी जा सके। शिनजियांग चीन के सुदूर पश्चिम में मौजूद है, लेकिन यह मध्य एशिया का हिस्सा ज्यादा लगता है। उइगर, कजाख और ताजिक जनसंख्या के मामले में यहाँ के हॉन समुदाय से ज्यादा हैं। वे ज्यादातर सुन्नी समुदाय के लोग हैं जिनकी अपनी संस्कृति और भाषा है।
उइगरों की निगरानी के लिए पड़ोसियों को छोड़ रखा गया है। निगरानी कर रहे लाखों पुलिस और अधिकारी उइगरों से कभी भी पूछताछ कर सकते हैं और उनके घरों की छानबीन कर सकते हैं। सर्विलांस कैमरा हर तरफ है चाहे वह सड़क हो, दरवाजा, दुकान या मस्जिद। एक रास्ते पर 20 कैमरे मौजूद हैं। बंदियों के बच्चों को अनाथालय उससे दूर ले जाते हैंं। सरकार का कहना है कि पिछले साल अनाथालय में 7,000 बच्चे काशनगर के ही थे।
शुक्रवार समुदाय के लोगों के लिए प्रार्थना के लिए खास दिन होता है। इस दिन जहाँ मस्जिदों में काफी भीड़ होती है, वहीं यहाँ पर इस दिन भी मस्जिद में केवल कुछ ही लोग आए, जबकि कुछ सालों पहले यहाँ पर हजारों लोग नमाज अदा करने के लिए इकट्ठा हुए थे। इस मस्जिद में नमाज पढ़ने आए लोगों का रजिस्ट्रेशन होता है और फिर वो मस्जिद के अंदर कैमरे की निगरानी में नमाज पढ़ते हैं, ताकि पुलिस उन पर नजर रख सके। इस दौरान बच्चों से भी उनके माता-पिता के कुरान पढ़ने को लेकर सवाल किए जाते हैं।
शहर को नियंत्रित करने के लिए आसान बनाने के लिए काशगर की वास्तुकला को बदल दिया गया है। मिट्टी से बने ज्यादातर घरों को नष्ट कर दिया गया है। सरकार ने कहा कि यह सुरक्षा और स्वच्छता के लिए था। पुनर्निर्माण में अच्छी सड़कें भी बनाई हैं, जिससे मानीटरिंग और पेट्रोलिंग करने में आसानी होती है। कुछ क्षेत्रों में अभी भी पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा है। ईंट से बने नए घर देखने में काफी अच्छे लगते हैं, लेकिन उइगर आज भी अपने उसी पुराने दर्द से गुजर रहा है। यहाँ घूमने आए पर्यटक अक्सर उन प्राचीन गलियों से अनजान होते हैं, जिन्हें बदल दिया गया है। इसके साथ ही आगंतुकों को शहर के किनारे पर स्थित आवास शिविरों से दूर रखा जाता है।
अगस्त 2016 में दक्षिणी काशगर का एक टुकड़ा खाली था। आज यह लगभग 20,000 लोगों की क्षमता वाला एक पुन: शिक्षा शिविर है। सरकार का कहना है कि यह एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र है। एक हालिया उपग्रह चित्र से पता चलता है कि शिविर 2 मिलियन वर्ग फुट से अधिक का है। इस तरह से आगे बढ़ने वाला यह शिविर अकेला नहीं है। पिछले साल काशगर में तेरह शिविर 10 मिलियन वर्ग फीट से अधिक तक पहुँच गए थे। वहाँ पर घूमने पर्यटक तो आ रहे हैं, लेकिन अभी भी वहाँ पर लाखों उइगर भय में जीने को मजबूर हैं।