बदले की भावना से समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ़ अर्णब गोस्वामी को एक बंद मामले को फिर से खोलकर उन्हें फँसाने वाले महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बृहस्पतिवार (दिसंबर 10, 2020) को कथित शहरी नक्सल गौतम नवलखा के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाई है। बता दें कि अर्बन नक्सल ‘गौतम नवलखा’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने, भीमा कोरेगाँव में हिंसा भड़काने और वामपंथी आतंकवाद का समर्थन करने के लिए गिरफ्तार किया गया है।
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बृहस्पतिवार को मामला सामने आने के बाद तुरंत इसकी जाँच के आदेश दिए। उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए कहा, “भीमा-कोरेगाँव मामले में आरोपित गौतम नवलखा का चश्मा चोरी हो जाने के बाद जेल प्रशासन ने उनके परिवार द्वारा दिया भेजा गया चश्मा उन्हें नहीं दिया।”
भीमा-कोरेगाव प्रकरणी कारागृहात असलेले गौतम नवलखा यांना त्यांच्या कुटुंबीयांनी चष्मा पाठवूनही देण्यात आला नाही. या बाबतीत संवेदनशील प्रतिसाद अपेक्षित होता. यासंदर्भात सविस्तर चौकशी करण्याच्या सूचना दिल्या आहेत. तसेच असे प्रकार टाळले पाहिजे असे देखील सांगण्यात आले आहे. pic.twitter.com/b8jx3ebTaJ
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) December 10, 2020
उन्होंने लिखा है, “मैंने इस मामले की जाँच का आदेश दिया है। मुझे लगता है कि इसमें संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी, भविष्य में ऐसी घटनाओं के दोहराव से बचना होगा।”
महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने यह भी कहा कि अगर परिवार ने उनका चश्मा भेजा है, तो उन्हें दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें इन चीजों को अधिक संवेदनशील तरीके से संभालने की जरूरत है।”
उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने यह बयान तब दिया जब नवलखा के साथी साहबा हुसैन ने आरोप लगाया था कि नवलखा का चश्मा जेल के अंदर चोरी हो गया है और जेल प्रशासन ने उनके परिवार द्वारा भेजे गए नए चश्में को अस्वीकार कर दिया और वापस भेज दिया। वहीं, परिवार ने दावा किया है कि चश्में के बिना नवलखा लगभग ‘दृष्टिहीन’ हैं।
परिजनों के आरोपों के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेल के अंदर नवलखा के चश्मे की कथित चोरी के मामले की सुनवाई की और जेल अधिकारियों की कैदियों की जरूरतों पर उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए एक वर्कशॉप आयोजित करने की बात कही।
एक तरफ पत्रकारों के खिलाफ हिंसा तो दूसरी तरफ नक्सल-आतंक के आरोपितों के लिए आँसू बहाना
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने नक्सल-आतंक के आरोपित के ’मानवाधिकारों’ को लेकर अपनी संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया तो वहीं कुछ दिनों पहले ही उनकी सरकार ने बदले की भावना दिखाते हुए रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्णब गोस्वामी के साथ काफी दुर्व्यवहार किया था।
बता दें कि अर्णब गोस्वामी ने पालघर साधु लिंचिंग मामले में निष्पक्ष जाँच और बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के कथित आत्महत्या को लेकर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार से तीखे सवाल किए थे। जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार ने उनके खिलाफ अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल किया।
महाराष्ट्र सरकार के इशारे पर रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को चार नवंबर की सुबह उनके घर से पुलिस ने बिना किसी सूचना के गिरफ्तार कर लिया था। अर्णब को दो साल पुराने केस में गिरफ्तार किया गया था, जिसको अदालत द्वारा पहले ही बंद कर दिया गया था। गिरफ्तारी के दौरान मुंबई पुलिस ने अर्णब के अलावा उसके परिजनों के साथ बदसलूकी की थी। हिरासत और कठोर यातनाएँ देने के बाद आखिरकार अर्णब गोस्वामी की जीत हुई और सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी।
सुनवाई के दौरान SC ने कहा था कि राज्य सरकार द्वारा अर्णब के मामले में गिरफ्तारी और हिरासत में पूछताछ के लिए कोई आधार नहीं था, क्योंकि आत्महत्या के लिए उकसाने की बात स्थापित नहीं थी। रिपब्लिक टीवी की मूल कंपनी एआरजी मीडिया आउटलेर्स ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि राशि का बड़ा हिस्सा पहले से ही भुगतान किया गया था और मृतक का अर्णब गोस्वामी के साथ कोई सीधा संपर्क नहीं था।