दक्षिण मिस्र (south egypt) के एक गाँव में 74 वर्षीय ईसाई महिला को नग्न कर बेरहमी से घसीटने और पीटे जाने के मामले में वहाँ के न्यायालय ने 3 लोगों को बरी कर दिया है। इस घटना का कारण यह था कि गाँव में यह अफ़वाह उड़ी थी कि ईसाई महिला के बेटे का प्रेम प्रसंग (अफेयर) एक मुस्लिम महिला के साथ है। इस बात की जानकारी मिलते ही लगभग 300 लोगों की इस्लामी भीड़ ने ईसाई महिला के साथ इस बर्बर घटना को अंजाम दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ यह घटना 2016 की है। सोड थाबेत (Soad Thabet) नाम की वृद्ध महिला को इस्लामी भीड़ ने पीटने के बाद निर्वस्त्र कर गाँव में घुमाया था। इस घटना के दौरान उस क्षेत्र में रहने वाले ईसाई समुदाय के लोगों के घरों में जम कर तोड़फोड़ और लूट की वारदात अंजाम दी गई थी। करीब 7 घरों को आग के हवाले कर दिया गया था। ईसाई समुदाय के लोगों को गाँव छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। शुरुआत में इस मामले में एक आरोपित और उसके दो बेटों को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। लेकिन, दोबारा सुनवाई में तीनों को बरी कर दिया गया।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता ने इस आदेश की जानकारी मिलने पर दुःख जताया। उन्होंने कहा, “घटना के इतने सालों बाद आखिर कैसे उन्हें छोड़ा जा सकता है। उन्होंने मुझे सभी के सामने निर्वस्त्र करके पीटा था। मैं इसके अलावा और क्या कह सकती हूँ। ईश्वर मेरे अधिकार मुझे वापस देगा।” इस घटना के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियाँ बटोरने के बाद मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फ़तह अल-सिसी (Abdel Fattah al-Sisi) ने भी इसे अस्वीकार्य बताया था। मिस्र के कई दिग्गज मानवाधिकार संगठनों ने भी इस घटना की काफी आलोचना की थी।
मिस्र की कुल आबादी लगभग 10 करोड़ है। इसमें ईसाई आबादी करीब 15 फ़ीसदी है। बीते कुछ सालों में ईसाई समुदाय पर अत्याचार के मामलों में काफी तेज़ी देखने को मिली ही। ISIS ने भी मिस्र में मौजूद चर्च को जम कर निशाना बनाया है। इस मामले में 74 वर्षीय महिला के बेटे पर आरोप लगाया गया था कि उसका एक मुस्लिम व्यवसायी की पत्नी के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है। दोनों ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया था। 74 वर्षीय महिला का कहना था कि भीड़ ने उनके घर को आगे के हवाले किया फिर उन्हें निर्वस्त्र करके घुमाया।
मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक़ मिस्र में अल्पसंख्यकों के साथ इस तरह के अत्याचार की घटनाएँ आम होती जा रही है। उनके घर जलाए जाते हैं। चर्च में उपद्रव किया जाता है। महिलाओं के साथ ज़्यादती होती है और लोगों को पलायन करने पर मजबूर किया जाता है। मिस्र के मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। इसकी वजह से अत्याचार करने वाले कट्टरपंथी इस्लामियों के हौसले बुलंद रहते हैं।