लोकसभा के मद्देनजर कॉन्ग्रेस पार्टी ने जनता से वादा किया है कि अगर वह सत्ता में आती है, तो देश के 25 फीसदी गरीब परिवारों को हर साल ₹72,000 दिए जाएँगे। कॉन्ग्रेस पार्टी इस वादे का जोर-शोर से प्रचार कर रही है और इस वादे के दम पर चुनाव जीतने का भी ख्वाब देख रही है, लेकिन अब कॉन्ग्रेस पार्टी ‘न्याय योजना’ को लेकर परेशानियों में घिरती नजर आ रही है। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस वादे को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के खिलाफ मानते हुए कॉन्ग्रेस पार्टी को नोटिस जारी किया है।
बता दें कि, कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि इस तरह की घोषणा वोटरों को रिश्वत देने की कैटगरी में क्यों नहीं आती और क्यों न पार्टी के खिलाफ पाबंदी या दूसरी कोई कार्रवाई की जाए? कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से भी जवाब माँगा है। कोर्ट का मानना है कि इस तरह की घोषणा रिश्वतखोरी व वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश है। इसलिए अदालत ने कॉन्ग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया है।
यह आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और एसएम शमशेरी की डिवीजन बेंच ने वकील मोहित कुमार और अमित पाण्डेय द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका पर दिया है। इस याचिका में कहा गया है कि कॉन्ग्रेस ने चुनावी घोषणापत्र में ₹6 हजार प्रतिमाह के हिसाब से ₹72 हजार सालाना 25 फीसदी गरीबों के खाते में भेजने का वादा किया है। यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने कॉन्ग्रेस के खिलाफ कार्रवाई की माँग करते हुए कहा है कि इस घोषणा को घोषणापत्र से हटाया जाए।
Election Commission issued notice yesterday to Rahul Gandhi for violation of model code of conduct over Congress NYAY banner put up on a wall in Amethi. EC says banner was put up without permission of the owner of building. He has been asked to reply in 24 hours (file pic) pic.twitter.com/cmUInS7VmU
— ANI (@ANI) April 19, 2019
वहीं, कॉन्ग्रेस के न्याय योजना को लेकर चुनाव आयोग ने राहुल गाँधी को आचार संहिता उल्लंघन का नोटिस जारी किया है। आयोग ने उनसे अमेठी में एक मकान की दीवार पर ‘न्याय’ योजना के दावे के प्रचार संबंधी बैनर लगाने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयोग का कहना है कि यह बैनर बिना मकान मालिक के आदेश के लगाया गया था। इसको लेकर आयोग ने 24 घंटे के अंदर उनसे जवाब माँगा है।