ऋचा चड्ढा की एक नई फिल्म का पोस्टर सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया है। यह फिल्म है- ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’। पोस्टर में ऋचा चड्ढा (Richa Chadda) सबसे आगे नजर आ रही हैं। सुभाष कपूर द्वारा लिखित और निर्देशित यह फिल्म ‘Madam Chief Minister’ एक पॉलिटिकल ड्रामा है, जो कि आने वाली 22 जनवरी को रिलीज़ के लिए तैयार है।
टी-सीरीज फिल्म्स और काँगड़ा टॉकीज़ द्वारा निर्मित इस फिल्म के पोस्टर में ऋचा चड्ढा अपने हाथ में झाड़ू लिए देखी जा सकती हैं और उनके साथ मानव कौल और सौरभ शुक्ला नजर आ रहे हैं। साथ ही एक टैगलाइन है, ‘Untouchable, Unstoppable’ यानी, ‘अछूत, अजेय’। ऋचा चड्ढा ने इस पोस्टर को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है।
Glad to present to you all, my new movie #MadamChiefMinister, a political drama about an 'untouchable' who hustles and makes it big in life! Out in cinemas on 22nd January! Stay tuned! pic.twitter.com/7dXDY1KRIX
— TheRichaChadha (@RichaChadha) January 4, 2021
बताया जा रहा है कि यह फिल्म बसपा प्रमुख मायावती के राजनीतिक जीवन से प्रभावित है। लेकिन ‘दलित राजनीति’ पर बनी यह फिल्म सोशल मीडिया पर लिबरल्स और ‘अम्बेडकरवादियों’ के निशाने पर आ गई है।
इस फिल्म के पोस्टर पर जातिवादी होने के आरोप तो लग ही रहे थे लेकिन यह हंगामा तब बड़ा बन गया जब ‘मिर्जापुर’ और ‘फुकरे’ फिल्म से चर्चा में आए अली फजल ने ऋचा चड्ढा के इस पोस्टर को अपने ट्विटर अकाउंट पर प्रोमोट करना शुरू किया। दिल्ली दंगों के बाद इंटरनेट लिबरल्स के प्रिय बनक्र उभरे अली फजल ने जब यह पोस्टर शेयर किया तो लोगों ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज की, जिसे अली फजल सहन नहीं कर पाए।
अली फजल ने एक ट्वीट के जरिए बेहद सावधानी से और अस्पष्ट तरीके से रखते हुए अपनी भड़ास निकालते हुए लिखा, “लिबरल्स कभी भी खुश नहीं होंगे। फर्जी नैतिकता, जो सब कुछ तोड़-मरोड़ती है। हर बढ़ते कदम का गला घोंटने को तत्पर। मैं उन्हें तमाशबीन कहता हूँ। वो बस देखते हैं और उन्हें लगता है कि वो जी रहे हैं और सीख रहे हैं। लेकिन जब असलियत में उन्हें जाँच लिया तो वो सब निराश करते हैं।”
अली फ़जल के इस ट्वीट ने उनके समर्थकों को और भड़का दिया और उन्हें समझाया कि यह एक जातिवादी फिल्म है और बेचने के लिए दलितों के प्रतिनिधित्व को इस्तेमाल किया जा रहा है। अली फजल से कुछ लोगों ने आपत्ति जताते हुए लिखा है कि दलितों की पहचान को और उनके शोषण का अपमान आपको ‘सिनेमा लाइसेंस’ नहीं देता।
Fuck things up and when the affected group calls you out conveniently blame liberals.
— pinkpaisley پنک پیسلی (@pinkpaisley3) January 4, 2021
Disrespecting the pain and oppression of millions of people does not fall under “cinematic license”. https://t.co/umUwG3up6L
कुछ लोगों का कहना है कि अली फजल जिन लोगों को लिबरल्स कह रहे हैं वो लोग वास्तव में अंबेडकरवादी हैं। लोगों ने अली फजल को अपने किसी दलित मित्र से सलाह लेने तक की भी राय दे डाली है।
एक ट्विटर यूजर, जिसकी प्रोफाइल पिक्चर पर पेरियार की तस्वीर लगी है, ने ऋचा चड्ढा के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए वामपंथी प्रोपेगेंडा मैगजीन ‘कारवाँ’ का एक पोस्टर, जिसमें मायावती नजर आ रही हैं, को शेयर करते हुए लिखा है कि ‘बहन जी (मायावती) के संघर्ष को इस तरह से सामने रखा जाता है। उन्होंने लिखा है कि जब आप एक जातिवादी इन्सान नहीं होते तब आप इस तरह से उन्हें सामने रखते हैं।
This is how you portray behenji if you understand her struggle. This is how you tell her story if you aren't a casteist scumbag.https://t.co/zV4BwKOin3 https://t.co/t8TDL3SLM1 pic.twitter.com/C9HkRqeT5E
— Kodunthamizhan (@kodunthamizhan) January 4, 2021
‘फ्रंटियर इंडिका’ नाम के एक ट्विटर यूजर ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए लिखा है, “गोरा चेहरा, पंजाबी खत्री महिला मायावती के जीवन पर आधारित एक चरित्र निभा रही है और उसने हाथों में झाड़ू पकड़ी हुई है। जबकि मायावती एक कॉलेज से शिक्षित महिला हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन से पहले एक शिक्षक के रूप में काम किया।”
Fair skinned Punjabi Khatri woman playing a character based on Mayawati's life while holding a broom even though Mayawati was a college educated person who worked as a teacher before her political career. Oh man, beems are going to have a field day ripping this thing apart. https://t.co/vNlFshkqzH
— Frontier Indica (@frontierindica) January 4, 2021
इस फिल्म के पोस्टर को दलित विरोधी बताते हुए ‘बहुजन कनेक्ट’ नाम के एक और ट्विटर यूजर ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “ऋचा चड्डा, तापसी, स्वरा आदि.. हमेशा ध्यान रखो कि ये नाम संघियों से भी ज्यादा खतरनाक हैं।”
Richa Chadda, Tapsi, Sawra Bhaskar….. Etc
— Shadow Home Minister of India 🇮🇳 (@Bhaujan_connect) January 4, 2021
Always remember these name more dangerous than Sanghi https://t.co/DVAxH7yOt3
‘अंबेडकर कारवाँ’ ने इस पोस्टर को शेयर करते हुए लिखा है कि सवर्णों के लिए एक दलित को बिना झाड़ू के देखना कितना मुश्किल है?
How difficult it is for Savarnas to imagine Dalits without a broom?
— #DalitLivesMatter (@AmbedkarCaravan) January 4, 2021
"The Discreet Charm of the Savarnas" https://t.co/CqD6Snkhk6 https://t.co/i1a9CbuiuK