Sunday, September 1, 2024
Homeसोशल ट्रेंडसंघियों से ज्यादा सावधान ऋचा, तापसी, स्वरा से रहो: 'मैडम चीफ मिनिस्टर' के 'जातिवादी...

संघियों से ज्यादा सावधान ऋचा, तापसी, स्वरा से रहो: ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’ के ‘जातिवादी पोस्टर’ पर लोगों में नाराजगी

"गोरा चेहरा, पंजाबी खत्री महिला मायावती के जीवन पर आधारित एक चरित्र निभा रही है और उसने हाथों में झाड़ू पकड़ी हुई है। जबकि मायावती एक कॉलेज से शिक्षित महिला हैं और.."

ऋचा चड्ढा की एक नई फिल्म का पोस्टर सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया है। यह फिल्म है- ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’। पोस्टर में ऋचा चड्ढा (Richa Chadda) सबसे आगे नजर आ रही हैं। सुभाष कपूर द्वारा लिखित और निर्देशित यह फिल्म ‘Madam Chief Minister’ एक पॉलिटिकल ड्रामा है, जो कि आने वाली 22 जनवरी को रिलीज़ के लिए तैयार है।

टी-सीरीज फिल्म्स और काँगड़ा टॉकीज़ द्वारा निर्मित इस फिल्म के पोस्टर में ऋचा चड्ढा अपने हाथ में झाड़ू लिए देखी जा सकती हैं और उनके साथ मानव कौल और सौरभ शुक्ला नजर आ रहे हैं। साथ ही एक टैगलाइन है, ‘Untouchable, Unstoppable’ यानी, ‘अछूत, अजेय’। ऋचा चड्ढा ने इस पोस्टर को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है।

बताया जा रहा है कि यह फिल्म बसपा प्रमुख मायावती के राजनीतिक जीवन से प्रभावित है। लेकिन ‘दलित राजनीति’ पर बनी यह फिल्म सोशल मीडिया पर लिबरल्स और ‘अम्बेडकरवादियों’ के निशाने पर आ गई है।

इस फिल्म के पोस्टर पर जातिवादी होने के आरोप तो लग ही रहे थे लेकिन यह हंगामा तब बड़ा बन गया जब ‘मिर्जापुर’ और ‘फुकरे’ फिल्म से चर्चा में आए अली फजल ने ऋचा चड्ढा के इस पोस्टर को अपने ट्विटर अकाउंट पर प्रोमोट करना शुरू किया। दिल्ली दंगों के बाद इंटरनेट लिबरल्स के प्रिय बनक्र उभरे अली फजल ने जब यह पोस्टर शेयर किया तो लोगों ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज की, जिसे अली फजल सहन नहीं कर पाए।

अली फजल ने एक ट्वीट के जरिए बेहद सावधानी से और अस्पष्ट तरीके से रखते हुए अपनी भड़ास निकालते हुए लिखा, “लिबरल्स कभी भी खुश नहीं होंगे। फर्जी नैतिकता, जो सब कुछ तोड़-मरोड़ती है। हर बढ़ते कदम का गला घोंटने को तत्पर। मैं उन्हें तमाशबीन कहता हूँ। वो बस देखते हैं और उन्हें लगता है कि वो जी रहे हैं और सीख रहे हैं। लेकिन जब असलियत में उन्हें जाँच लिया तो वो सब निराश करते हैं।”

अली फ़जल के इस ट्वीट ने उनके समर्थकों को और भड़का दिया और उन्हें समझाया कि यह एक जातिवादी फिल्म है और बेचने के लिए दलितों के प्रतिनिधित्व को इस्तेमाल किया जा रहा है। अली फजल से कुछ लोगों ने आपत्ति जताते हुए लिखा है कि दलितों की पहचान को और उनके शोषण का अपमान आपको ‘सिनेमा लाइसेंस’ नहीं देता।

कुछ लोगों का कहना है कि अली फजल जिन लोगों को लिबरल्स कह रहे हैं वो लोग वास्तव में अंबेडकरवादी हैं। लोगों ने अली फजल को अपने किसी दलित मित्र से सलाह लेने तक की भी राय दे डाली है।

एक ट्विटर यूजर, जिसकी प्रोफाइल पिक्चर पर पेरियार की तस्वीर लगी है, ने ऋचा चड्ढा के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए वामपंथी प्रोपेगेंडा मैगजीन ‘कारवाँ’ का एक पोस्टर, जिसमें मायावती नजर आ रही हैं, को शेयर करते हुए लिखा है कि ‘बहन जी (मायावती) के संघर्ष को इस तरह से सामने रखा जाता है। उन्होंने लिखा है कि जब आप एक जातिवादी इन्सान नहीं होते तब आप इस तरह से उन्हें सामने रखते हैं।

‘फ्रंटियर इंडिका’ नाम के एक ट्विटर यूजर ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए लिखा है, “गोरा चेहरा, पंजाबी खत्री महिला मायावती के जीवन पर आधारित एक चरित्र निभा रही है और उसने हाथों में झाड़ू पकड़ी हुई है। जबकि मायावती एक कॉलेज से शिक्षित महिला हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन से पहले एक शिक्षक के रूप में काम किया।”

इस फिल्म के पोस्टर को दलित विरोधी बताते हुए ‘बहुजन कनेक्ट’ नाम के एक और ट्विटर यूजर ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “ऋचा चड्डा, तापसी, स्वरा आदि.. हमेशा ध्यान रखो कि ये नाम संघियों से भी ज्यादा खतरनाक हैं।”

‘अंबेडकर कारवाँ’ ने इस पोस्टर को शेयर करते हुए लिखा है कि सवर्णों के लिए एक दलित को बिना झाड़ू के देखना कितना मुश्किल है?

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जनता की समस्याएँ सुन रहे थे गिरिराज सिंह, AAP पार्षद शहज़ादुम्मा सैफी ने कर दिया हमला: दाढ़ी-टोपी का नाम ले बोले केंद्रीय मंत्री –...

शहजादुम्मा मूल रूप से बेगूसराय के लखमिनिया का रहने वाला है। वह आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है जो वर्तमान में लखमिनिया से वार्ड पार्षद भी है।

चुनाव आयोग ने मानी बिश्नोई समाज की माँग, आगे बढ़ाई मतदान और काउंटिंग की तारीखें: जानिए क्यों राजस्थान में हर वर्ष जमा होते हैं...

बिश्नोई समाज के लोग हर वर्ष गुरु जम्भेश्वर को याद करते हुए आसोज अमावस्या मनाते है। राजस्थान के बीकानेर में वार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -