Sunday, December 22, 2024
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कनाडाई सांसद ने की कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की निंदा, कहा- पुनर्वास के लिए PM मोदी के प्रयास सराहनीय

19 जनवरी, 1990 के दिन मस्जिदों से घोषणाएँ कीं गईं कि कश्मीरी पंडित काफ़िर हैं और पुरुषों को या तो कश्मीर छोड़ना होगा, इस्लाम में परिवर्तित होना होगा या फिर उन्हें मार दिया जाएगा।

मार्खम यूनियनविले, कनाडा के सांसद बॉब सरोया (Bob Saroya) ने जनवरी, 1990 में सरहद पार के इस्लामी आतंकवादियों द्वारा कश्मीर की हिन्दू आबादी के नरसंहार की निंदा की और कश्मीर घाटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनके पुनर्वास के लिए किए जा रहे प्रयासों का समर्थन किया है।

समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीर की हिंदू आबादी पर हमले की 31वीं वर्षगांठ पर कनाडा स्थित ओंटारियो इलाके के मार्खम यूनियनविले से सांसद ने एक बयान में लिखा, “मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने और मानवता के खिलाफ इस प्रकार के अपराधों को रोकने का आग्रह करता हूँ। कश्मीरी हिन्दुओं को अपने घर सुरक्षित वापस लौटने के लिए मैं भारत सरकार की मदद करने की योजना का समर्थन करता हूँ।”

Tahir Aslam Gora ताहिर गोरा طاہر گورا (@TahirGora) | Twitter
कनाडाई सांसद द्वारा दिया गया बयान सोशल मीडिया पर भी खूब शेयर किया जा रहा है

दुनियाभर में विस्थापित कश्मीरी पंडित हर साल 19 जनवरी को ‘प्रलय दिवस’ (होलोकॉस्ट/एक्सोडस डे) के रूप में मनाते हैं। यह जनवरी 1990 में कश्मीर घाटी की हिंदू आबादी पर बर्बर हमले की 31वीं वर्षगाँठ है, जो पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार इस्लामी आतंकवादियों द्वारा किया गया था।

जनवरी, 1990 में कश्मीरी पंडितों के भीषण नरसंहार और जातीय सफाए को याद करते हुए बॉब सरोया (Bob Saroya) ने लिखा, “मैं इस हत्याकांड में मारे गए, बलात्कार का शिकार हुए और घायल हुए सभी लोगों के परिवारों और दोस्तों के प्रति संवेदना व्यक्त करना चाहूँगा।”

बॉब सरोया ने कश्मीर में प्राचीन हिंदू मंदिरों की बदहाली की निंदा के साथ ही स्थानीय पंडित समुदाय की निष्ठा और साहस की सराहना की। सोशल मीडिया पर भी कनाडाई सांसद के कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार पर दिए गए इस बयान की तारीफ हो रही है।

उल्लेखनीय है कि कश्मीरी पंडितों ने अपना निर्वासन (बलपूर्वक निकाल देना) खत्म कराकर उनकी घर वापसी कराने की अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से की थी। इस नर संहार के परिणामस्वरुप कश्मीरी पंडितों की करीब 07 लाख की जनसंख्या पूरे विश्व में फैल गई और तबसे आज तक अपनी शर्तों पर अपनी मातृभूमि लौटने का इंतजार कर रही है।

19 जनवरी, 1990 के दिन मस्जिदों से घोषणाएँ कीं गईं कि कश्मीरी पंडित काफ़िर हैं और पुरुषों को या तो कश्मीर छोड़ना होगा, इस्लाम में परिवर्तित होना होगा या फिर उन्हें मार दिया जाएगा। मई, 1990 तक करीब 05 लाख कश्मीरी पंडित जान बचाने के लिए अपनी मातृभूमि छोड़ कश्मीर से पलायन कर चुके थे, जो स्वतंत्रता के बाद भारत का सबसे बड़ा पलायन माना जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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