भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अभिनव कुमार ने UPSC के टॉपर रहे शाह फ़ैसल के इस्तीफे को प्रोपेगंडा बताते हुए उनकी धज्जियाँ उड़ा दी है। इंडियन एक्सप्रेस में लिखे गए एक लेख में अभिनव कुमार ने कहा कि फ़ैसल ये समझते हैं कि कश्मीरी अलगाववाद भारतीय संविधान के साथ पूरी तरह सुसंगत है। अपने लेख में उन्होंने कश्मीर समस्या पर बात करते हुए कहा कि बुद्धिजीवियों और यहाँ तक कि अंतराष्ट्रीय समुदाय ने कश्मीर पर एक गलत धारणा बना रखी है। बकौल अभिनव वो धारणा है, ‘निर्दयी भारतीय गणराज्य 1947 से ही कश्मीर के लोगों पर अत्याचार करता रहा है।’
अभी कश्मीर में अपनी सेवा दे रहे IPS अधिकारी कुमार इस लेख में कहते हैं कि यह एक संकीर्ण विचारधारा है, जो खुद धार्मिक कट्टरता, ज़ेनोफोबिया पर टिकी हुई है। उनके अनुसार इसमें कश्मीर की संस्कृति और उसके इतिहास के लिए कोई जगह नहीं है। ये ‘एकतरफा उत्पीड़न’ की गलत धारणा कश्मीरियों द्वारा उठाए गए कई गलत कदमों को भी नजरअंदाज कर देती है। अभिनव ने इसके लिए कश्मीरी नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन अति महत्वकांक्षी नेताओं ने राज्य को विशेष दर्जा हासिल कराने के लिए अतिशयोक्तिपूर्ण आश्वाशन दिए। साथ ही उन्होंने घाटी से कश्मीरी पंडितों की निर्मम सफाई के लिए भी इस धारणा को आड़े हाथों लिया।
अभिनव कुमार ने अलगावादियों को भी कश्मीर पर भारतीय भावनाओं को समझने की हिदायत देते हुए कहा कि भारतीय भावनाएँ भारत-पाक विभाजन के कड़वे अनुभवों पर आधारित है। साथ ही, भारत-पाक के तल्ख़ रिश्ते भी इसे प्रभावित करते हैं। आतंकवादियों और अलगाववादियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले ‘इन्तिफ़ा’ और ‘जिहाद’ जैसे शब्दों पर करारी चोट करते हुए उन्होंने अपने इस लेख में कहा कि ये शब्द ना तो भारतीय मुख्यधारा को भयभीत कर सकते हैं और न ही हमारे इरादे को तनिक भी हिला सकते हैं।
कश्मीरियों को इस अपरिहार्य त्रासदी लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने लेख में बताया कि इसका निर्माण कश्मीरियों ने ही किया है और वो आज खुद इसमें उलझ गए हैं। शाह फ़ैसल के बारे में बात करते हुए अभिनव कुमार ने लिखा कि भले ही कश्मीर को एक उभरता सितारा मिल गया हो लेकिन उसकी सोच अस्पष्ट है। उन्होंने फ़ैसल द्वारा ‘टारगेट ऑडियंस’ को भरमाने पर भी सवाल खड़ा किया। कुल मिला कर देखें तो पुलिस अधिकारी अभिनव कुमार ने कश्मीर को लेकर चल रही गलत अवधारणा और उसे आगे ले जाने वाले फ़ैसल के इस्तीफे को विशेष प्रोपगेंडा से प्रेरित बताया।
बता दें कि शाह फै़ैसल 2009 में सिविल सेवा की परीक्षा में पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले पहले कश्मीरी बने थे। उसके बाद वो विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। विवादित अधिकारी फ़ैसल अक्सर उलूलजलूल बयान देकर चर्चा में आते रहे हैं। भारत को रेपिस्तान कह कर तीखी आलोचना का सामना करने वाले फ़ैसल ने भारत सरकार पर कश्मीरियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगा कर कुछ दिनों पहले सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद उनके उमर अब्दुल्ला की पार्टी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं।