Saturday, December 21, 2024
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आज UP नहीं लाया जा सका मुख्तार अंसारी: व्हीलचेयर पर मोहाली की कोर्ट में हुआ हाजिर, रोपड़ जेल वापस भेजा गया

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल से यूपी की बांदा जेल भेजने का आदेश दिया था। उसे दो सप्ताह के भीतर यूपी को सौंपने को कहा था।

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी बुधवार 31 मार्च 2021 को उत्तर प्रदेश नहीं लाया जा सका। उसे दोपहर में मोहाली की कोर्ट में पेश किया गया। उसे फिरौती माँगने के मामले में चार्जशीट की कॉपी देने के लिए कोर्ट लाया गया था। पेशी के बाद उसे रोपड़ जेल भेज दिया गया।

मुख्तार अंसारी को व्हील चेयर पर अदालत लाया गया था। इस दौरान वह बेसुध दिखा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पंजाब सरकार ने अदालत से कहा कि वह पूरी तरह से फिट नहीं है, लिहाजा कोर्ट उसे अभी यूपी न जाने दे। वहीं न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार उसने खुद को निर्दोष बताते हुए पंजाब की सरकार पर फँसाने का आरोप लगाया।

मोहाली पुलिस ने बताया कि मुख्तार को कोर्ट की प्रक्रिया के मुताबिक ही लाया गया था। मुख्तार चालान की कॉपी लेने के लिए आरोपित की हैसियत से कोर्ट आया था। अंसारी को चालान की कॉपी रिसीव कराकर कोर्ट से वापस रोपड़ जेल भेज दिया गया। मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया है शिफ्ट करने का आदेश

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल से यूपी की बांदा जेल भेजने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया था कि अंसारी को दो सप्ताह के भीतर यूपी को सौंप दिया जाए और फिर बांदा जेल में रखा जाए। शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार की याचिका पर यह निर्णय दिया। याचिका में अंसारी को पंजाब से यूपी जेल में स्थानांतरित करने की माँग की गई थी।

यूपी सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि पंजाब सरकार गैंगस्टर से नेता बने अंसारी की रक्षा कर रही है। यूपी सरकार ने कहा कि 30 से अधिक एफआईआर और हत्या के जघन्य अपराध सहित 14 से अधिक आपराधिक मुकदमे और गैंगस्टर अधिनियम के तहत विभिन्न एमपी / एमएलए अदालतों में अंसारी के खिलाफ लंबित हैं, जहाँ उसकी व्यक्तिगत उपस्थिति की माँग की जाती है।

इस बीच मुख्तार अंसारी के खिलाफ POTA (आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002) के तहत कार्रवाई करने वाले पूर्व डिप्टी SP शैलेन्द्र कुमार सिंह को यूपी सरकार से बड़ी राहत मिली है। उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा योगी सरकार ने वापस ले लिया। जनवरी 2004 में वे यूपी STF की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी थे। उन्होंने भाजपा विधायक कृष्णनंदन राय हत्याकांड में अहम खुलासा किया था।

उन्होंने पता लगाया था कि इस हत्याकांड के लिए मुख्तार अंसारी ने ‘लाइट मशीनगन (LMG)’ की खरीद की थी। साथ ही उन्होंने उस LMG को बरामद करने में भी सफलता प्राप्त की थी। तब राज्य में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सपा की सरकार थी। तत्कालीन राज्य सरकार शैलेन्द्र के इस कदम से नाराज़ हो गई थी और उन पर POTA वापस लेने का दबाव बनाया जाने लगा था। इसके आगे झुकने से इनकार करते हुए शैलेन्द्र सिंह ने यूपी पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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