Sunday, December 22, 2024
Homeराजनीतिजावेद 'ट्रोल' अख़्तर ने रावण से कर दी साध्वी प्रज्ञा की तुलना, अब झेलेंगे...

जावेद ‘ट्रोल’ अख़्तर ने रावण से कर दी साध्वी प्रज्ञा की तुलना, अब झेलेंगे मानहानि का मुक़दमा

"भाजपा को अगर जीत का थोड़ा सा भी विश्वास होता तो वह प्रज्ञा ठाकुर को टिकट नहीं देती। उन्हें भी प्रज्ञा को उम्मीदवार बनाने में तकलीफ हुई होगी, मगर मजबूरी के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ा होगा।"

स्क्रिप्ट लेखक से गीतकार और फिर ट्विटर ट्रोल बने जावेद अख़्तर के ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मुक़दमा दर्ज कर उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की माँग की गई है। भोपाल की एक अदालत में इससे जुड़ी याचिका दाखिल की गई। न्यायिक मजिस्ट्रेट विजय सूर्यवंशी की अदालत में अशोका गार्डन निवासी राजेश कुंसारिया ने परिवाद पेश करते हुए निवेदन किया कि जावेद अख़्तर को कठोर सजा दी जाए। अदालत 24 जून को शिकायतकर्ता के बयान दर्ज करेगी। शिकायत में कहा गया है कि जावेद अख्तर ने गुरुवार (मई 2, 2019) को भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मानहानिकारक शब्द कहे थे।

जावेद अख्तर ने साध्वी प्रज्ञा को रावण बताते हुए कहा था, “उसकी वेशभूषा पर मत जाओ। सिर्फ़ इसलिए कि एक व्यक्ति संत की तरह दिखता है, इसका मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति संत ही है। यह मत भूलिए कि जब रावण सीता का अपहरण करने के लिए आया था, तो उसने भी एक संत की तरह कपड़े पहने हुए थे।” शिकायतकर्ता ने कहा कि चूँकि जावेद अख्तर के ये बयान सार्वजनिक मंच पर दिए गए और इसे टीवी न्यूज़ से लेकर अख़बारों तक में भी दिखाया गया, इससे उन्हें आघात पहुँचा है। जावेद अख़्तर ने भाजपा को सलाह दी थी कि साध्वी प्रज्ञा को उस क्षेत्र से लड़ाया जाए, जहाँ सबसे ज्यादा अशिक्षित और सांप्रदायिक लोग रहते हों।

जावेद अख्तर ने साध्वी प्रज्ञा और भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए आगे कहा,

मुझे लगता है कि भाजपा ने प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से उम्मीदवार बनाकर पहले ही अपनी हार मान ली है। भाजपा ने यह मान लिया है कि अब अपने को अच्छा दिखाने का ड्रामा नहीं करना चाहिए और असली मुद्दे पर आ जाना चाहिए क्योंकि चुनाव में वही काम आने वाला है। अभी तक जो पर्दा ओढ़ा गया था, उसे हटा दिया गया है। भाजपा को अगर जीत का थोड़ा सा भी विश्वास होता तो वह प्रज्ञा ठाकुर को टिकट नहीं देती। उन्हें भी प्रज्ञा को उम्मीदवार बनाने में तकलीफ हुई होगी, मगर मजबूरी के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ा होगा।

जावेद अख़्तर इधर कई दिनों से अलूल-जलूल बयान दे रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने कहा था कि अगर बुर्क़ा पर प्रतिबन्ध लगता है तो घूँघट पर भी लगना चाहिए। उनके इस बयान के बाद बवाल मचा और करणी सेना ने उन्हें परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी है। जावेद अख्तर ने कहा था कि लोकतंत्र तभी आगे बढ़ता है और फलता-फूलता है जब राजनीति और धर्म को अलग-अलग रखा जाए।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -