Monday, November 18, 2024
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चीन से दुनिया को नया खतरा, 21 टन का रॉकेट आउट ऑफ कंट्रोल: आबादी वाले इलाके पर गिरा तो होगी भारी तबाही

इसके मलबे को CZ-5B नाम दिया गया है। चूँकि ये पृथ्वी की धुरी की ओर 41 डिग्री से झुका हुआ है, इसलिए इसके 41N और 41S लैटीट्यूड में गिरने की आशंका है। इससे सबसे खतरनाक स्थिति में स्पेन, इटली या ग्रीस पर असर पड़ सकता है।

पूरी दुनिया को कोरोना वायरस संक्रमण देने के बाद अब चीन से एक नया खतरा पैदा हो गया है। असल में उसका रॉकेट ‘लॉन्ग मार्च 5B’ नियंत्रण से बाहर हो गया। 21 टन वजनी यह रॉकेट यदि आबादी वाले इलाके पर गिरा तो भारी तबाही हो सकती है।

यह रॉकेट चीन के ‘स्पेस स्टेशन मॉड्यूल’ को लेकर गया था। यह 30 मीटर लंबा है। अब यह प्रति सेकेंड 7 किलोमीटर की रफ़्तार से दुनिया भर में घूम रहा है। न्यूयॉर्क, मैड्रिड, बीजिंग, चिली और न्यूजीलैंड के ऊपर से भी गुजरा है।

इससे पहले मई 2020 में इसी तरह का रॉकेट लॉन्च किया गया था, जिसके मलबे कई गाँवों में गिरे थे। आशंका जताई जा रही है कि ये रॉकेट भी कहीं भी गिर सकता है। ये सोमवार (मई 10, 2021) से पहले धरती पर गिर सकता है। फ़िलहाल ये हर 90 मिनट में पृथ्वी की कक्षा का चक्कर काट रहा है। ‘लॉन्ग मार्च 5B कोर’ का स्टेज SpaceX के ‘Falcon 9‘ के सेकेंड स्टेज से 7 गुना ज्यादा बड़ा है।

ये पहली बार नहीं है कि कोई नियंत्रण से बाहर रॉकेट धरती पर गिरने जा रहा हो, लेकिन ये सबसे ज्यादा खतरनाक हो सकता है। 1990 के बाद से 10 टन से ज्यादा वजन वाला ऐसा कुछ भी पृथ्वी पर नहीं गिरा है। मई 2020 में एक चीनी रॉकेट धरती पर गिरा था। इसके अधिकतर मलबे अटलांटिक महासागर में गिरे थे। आइवरी कोस्ट पर भी इसका कुछ हिस्सा गिरा था। अगर कुछ मिनट भी इधर-उधर होता तो ये न्यूयॉर्क में तबाही मचा सकता था।

इससे पहले चीन की स्पेस एजेंसी CNSA का ‘Tiangong-1‘ स्पेस स्टेशन से संपर्क टूट गया था, जिसके बाद वो 2017 में पृथ्वी पर गिर गया था। ये दक्षिणी प्रशांत महासागर के ऊपर जल कर गिरा। मौसम और हवाओं की वजह से ये कुछ ही देर में एक महादेश से दूसरे में जा सकते हैं, इसलिए वैज्ञानिकों के लिए इसके गिरने की जगह का अंदाज़ा लगाना कठिन है। हालाँकि कहा जा रहा है कि इसके किसी आबादी वाले इलाके में गिरने की आशंका कम ही है।

वैज्ञानिकों ने कहा है कि लोगों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि पृथ्वी की कक्षा में आते ही इसके अधिकतर हिस्से जल गए होंगे। जो हिस्से बचे होंगे, वो है मेल्टिंग पॉइंट वाले मैटेरियल से बने होंगे लेकिन वो भी किसी वीरान इलाके या फिर महासागर में ही गिरेंगे। धरती का 75% हिस्सा पानी से भरा है और बाकी के 25% में भी अधिकतर इलाके वीरान पड़े हुए हैं, इसलिए लोगों को इससे नुकसान होने का खतरा बेहद ही कम है।

इसके मलबे को CZ-5B नाम दिया गया है। चूँकि ये पृथ्वी की धुरी की ओर 41 डिग्री से झुका हुआ है, इसलिए इसके 41N और 41S लैटीट्यूड में गिरने की आशंका है। इससे सबसे खतरनाक स्थिति में स्पेन, इटली या ग्रीस पर असर पड़ सकता है। अंतरिक्ष में अमेरिका को टक्कर देने के लिए चीन खुद का स्पेस स्टेशन बना रहा है। पश्चिमी स्पेस एजेंसियों ने रॉकेट के गिरने को चीन की नज़रअंदाज़ी का परिणाम बताया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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