इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दो बालिग़ लोगों को स्वेच्छा से शादी करने का अधिकार है, भले ही वो किसी भी मजहब से हों। साथ ही एक इंटरफेथ जोड़े को सुरक्षा भी दी। जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस दीपक वर्मा की अदालत ने ये फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि यहाँ तक कि इन दोनों के माता-पिता को भी इसमें हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है, अगर दोनों बालिग एक-दूसरे से शादी करना चाहते हैं।
इलाहाबाद उच्च-न्यायालय ने कहा, “दो बालिगों को स्वेच्छा से एक-दूसरे को शादी के लिए अपना पार्टनर चुनने का अधिकार है, भले ही दोनों किसी भी मजहब का पालन करते हों। इस चीज को कोई चुनौती नहीं दे सकता है। मौजूदा याचिका दो बालिगों ने दाखिल की है, जो एक-दूसरे के प्यार में होने का दावा कर रहे हैं। इसलिए, कोई भी, यहाँ तक कि उनके अभिभावकगण भी, इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।”
साथ ही उच्च-न्यायालय ने पुलिस-प्रशासन को ये सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि इस जोड़े को किसी के द्वारा प्रताड़ित न किया जाए। शिफा हसन नाम की महिला ने इस याचिका को दायर किया था। वो और उसके पार्टनर ने कहा था कि दोनों एक-दूसरे के साथ जीवन गुजारना चाहते हैं। हसन मुस्लिम हैं, वहीं उनके पार्टनर हिन्दू हैं। शिफा हसन ने हिन्दू धर्म में ‘घर-वापसी’ के लिए भी एप्लिकेशन दिया हुआ है।
Adults have right to choose their matrimonial partner irrespective of religion: Allahabad High Court
— Bar & Bench (@barandbench) September 16, 2021
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इस मामले में सम्बंधित डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने स्थानीय पुलिस थाने से रिपोर्ट माँगी थी। जहाँ लड़के के पिता इस शादी के लिए राजी नहीं है, उसकी माँ को इस रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं है। वहीं शिफा हसन के तो माता-पिता, दोनों ही इस रिश्ते के खिलाफ हैं। इसलिए, अपने जीवन को खतरे के मद्देनजर इस जोड़े ने हाईकोर्ट का रुख किया। दोनों की उम्र 19 व 24 साल है। हाईकोर्ट ने कहा कि अभी शुरुआती तथ्यों पर ही फैसला सुनाया गया है, इसीलिए इसे अंतिम न माना जाए।