अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ ने जाँच के लिए एसआईटी (SIT) का गठन करने का आदेश दिया है। प्रयागराज के डीआईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने विशेष जाँच दल (एसआईटी) का गठन कर टीम का नेतृत्व डेप्यूटी एसपी अजीत सिंह चौहान को सौंपा है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार (21 सितंबर 2021) को प्रयागराज में श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन करने के बाद उनको श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने कहा
”महान संत की मौत के मामले में जाँच में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी और किसी पर भी संदेह होने पर उसके साथ सख्ती से पेश आया जाएगा।”
फिलहाल, पुलिस महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उनके शिष्य योगगुरु आनंद गिरि, हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ कर रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामले में प्रयागराज में गठित एसआईटी में डेप्यूटी एसपी अजीत सिंह चौहान के साथ इंस्पेक्टर महेश को भी रखा गया है। इस मामले में डीआइजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि जरूरत पड़ी तो कुछ लोगों का लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कराए जाएँगे।
बताया जा रहा है कि पुलिस महंत नरेन्द्र गिरि की मौत से जुड़े दो वीडियो की जाँच कर रही है। एक वीडियो में नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल करने की बात कही जा रही है। इस वीडियो का जिक्र महंत नरेन्द्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में भी किया गया है। वहीं, दूसरे वीडियो को महंत गिरि ने खुद बनाया था, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ हो रही साजिश के बारे में बताया है। इन वीडियो के आधार पर जाँच के बाद बड़ा खुलासा हो सकता है।
बता दें कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि महंत नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में बलवीर गिरि को मठ और मंदिर की व्यवस्था देखने को कहा था। उन्होंने लिखा था, ”प्रिय बलवीर गिरि मठ, मंदिर की व्यवस्था का प्रयास करना, जिस तरह से मैंने किया। इसी तरह से करना। नितेश गिरी एवं मणि सभी महात्मा बलवीर गिरि का सहयोग करना। परमपूज्य महंत हरिगोविंद गिरि एवं सभी से निवेदन है कि मढ़ी का महंत बलवीर गिरि को बनाना।”
इस पूरे मामले (सुसाइड नोट) पर अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महासचिव जीतेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि वह (महंत नरेंद्र गिरि) इतना बड़ा सुसाइड नोट लिख ही नहीं सकते। उन्हें जानने वालों का कहना है कि वो कामचलाऊ रूप से ही लिखते-पढ़ते थे और सामान्यतः हस्ताक्षर से काम चलाते थे।