रामराज्य की संकल्पना को साकार करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जिस प्रकार से धर्मस्थलों को उनके प्राचीन एवं पौराणिक नामों से पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया है, उसकी झलक महानगरों में भी दिखने वाली है। इसकी शुरुआत सबसे पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से हो रही है।
विदित हो कि अब लखनऊ के धर्मस्थलों के आसपास के इलाके मांसाहारी दुकानों से मुक्त होने वाले हैं, क्योंकि उनके 100 मीटर दायरे में मांस-मछली की सभी दुकानें प्रतिबंधित होंगी। प्रतिबंधित 100 मीटर में कोई मांसाहारी रेस्टोरेंट भी चलाने की अनुमति नहीं होगी।
व्यापक जन समर्थन मिल रहे इस प्रस्ताव को नगर निगम लखनऊ की कार्यकारिणी ने गत गुरुवार (30 सितम्बर 2021) की रात पारित कर दिया है। हिंदुस्तान के अनुसार, लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इसको सख्ती से पालन भी करवाया जाएगा।
इसके अलावा, राजाजी पुरम क्षेत्र के एक चौराहे का नाम भगवान परशुराम चौक रखा गया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भगवान परशुराम के नाम से ये पहला चौराहा है। इसी प्रकार लेबर कालोनी में आने वाले सर्वोदय पार्क का नामकरण महर्षि कश्यप के रूप में होगा। वहीं, डालीगंज के निराला नगर स्थित पार्क भी अब सरदार बल्लभ भाई पटेल पार्क के नाम से जाना जाएगा।
इस बैठक में लिए गए अन्य प्रमुख फैसलों में हैदरगंज द्वितीय वार्ड का नाम बुद्धेश्वर वार्ड, फैजुल्लागंज प्रथम वार्ड का नाम महर्षि नगर, फैज़ुल्लागंज तृतीय वार्ड का नाम केशव नगर और फैजुल्लागंज चतुर्थ का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय वार्ड रखना तय हुआ।
इसी के साथ पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, भाऊराव देवरस, केशव नगर और परशुराम वार्ड आदि नए नामकरण अलग अलग वार्डों के किए गए। लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया के अनुसार, नाम बदलने के ये सभी प्रस्ताव स्थानीय सभासदों के द्वारा आए थे, जिसको जन भावना व जन अपेक्षा मान कर फैसले लिए गए।
जानकारी हेतु ये भी बता दें कि इस से पहले मथुरा वृन्दावन के क्षेत्रों को मांस-मछली की दुकानों से मुक्त करने के आदेश दिए गए थे। बताया ये भी जा रहा है कि भविष्य में उत्तर प्रदेश के कई अन्य शहरों में भी इसी प्रकार के नियम लागू किए जा सकते हैं।
1947 के बँटवारे के समय भारत में शरणार्थी बन कर आए लोगों के लिए भी लखनऊ नगर निगम की ये मीटिंग अभूतपूर्व ख़ुशी का कारण बनी। पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को मोहन रोड पर जीवन यापन के लिए किराए पर दी गईं 327 दुकानों को उन्हें स्थाई तौर पर आवंटित कर देने निर्णय लिया गया।