Tuesday, May 7, 2024
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CPI(M) सरकार ने महादेव मंदिर पर जमाया कब्ज़ा, ताला तोड़ घुसी पुलिस: केरल में हिन्दुओं का प्रदर्शन, कइयों ने की आत्मदाह की कोशिश

उक्त मंदिर 1970 की दशक में खुद ही काफी बुरी स्थिति में हुआ करता था। लेकिन, भक्तों ने इस मंदिर को समृद्ध बनाया। स्थानीय लोगों ने इस मंदिर के पुनरुद्धार में बड़ी भूमिका निभाई।

श्रद्धालुओं के भारी विरोध के बावजूद केरल की CPI(M) सरकार ने कन्नूर में स्थित मत्तनूर महादेव मंदिर का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की सरकार ने मालाबार देवस्वोम बोर्ड के माध्यम से इस मंदिर का प्रबंधन और प्रशासन अपने हाथों में लिया। बुधवार (13 अक्टूबर, 2021) को भारी संख्या में पुलिस बल के साथ अधिकारी यहाँ पहुँचे और मंदिर का नियंत्रण अपने हाथों में लिया।

श्रद्धालु इतने आक्रोशित थे कि उन्होंने अधिकारियों को रोकने की भरपूर चेष्टा की, लेकिन अधिकारीगण किसी तरह मंदिर परिसर का ताला तोड़ कर भीतर घुसने में कामयाब रहे। कई श्रद्धालुओं ने मंदिर व उसकी संपत्ति पर सरकारी कब्जे के विरोध में वहीं पर आत्मदाह का भी प्रयास किया, लेकिन केरल पुलिस ने किसी तरह उन्हें वहाँ से पकड़ के हटाया। भक्तों ने केरल सरकार पर समृद्ध मंदिरों की संपत्ति पर कब्जे का आरोप लगाया।

हिन्दू श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया कि मालाबार देवस्वोम बोर्ड के अधिकारियों के साथ-साथ सत्ताधारी वामपंथी दलों के कई कार्यकर्ता भी साथ आए थे, जिन्होंने जबरन मंदिर परिसर में घुस कर बोर्ड लगा दिया। बताया जा रहा है कि इसके लिए पहले से कोई नोटिस नहीं दी गई थी। मंदिर प्रशासन का कहना है कि इस बाबत पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है, इसीलिए सरकार की ये कार्यवाही गलत है।

उक्त मंदिर 1970 की दशक में खुद ही काफी बुरी स्थिति में हुआ करता था। लेकिन, भक्तों ने इस मंदिर को समृद्ध बनाया। स्थानीय लोगों ने इस मंदिर के पुनरुद्धार में बड़ी भूमिका निभाई। मालाबार देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि मंदिर के कर्मचारियों को काफी कम रुपया मिल रहा है और केरल में इस तरह की चीजों की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने मंदिर को परंपरा और आस्था का स्थल बताया।

मुरली ने कहा कि उन्होंने यहाँ के कर्मचारियों से बात की है और पता चला है कि उन्हें मात्र 13,000 रुपए प्रति महीने मिलते हैं, जबकि मंदिर इससे कहीं अधिक देने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के संरक्षण में इस समस्या को सुलझाया जाएगा। एक्टिविस्ट राहुल ईश्वर ने कहा कि भारत भले 1947 में आज़ाद हो गया हो, मंदिरों को स्वतंत्रता नहीं मिली। उन्होंने कहा कि सन् 1812 का अंग्रेजों वाला सिस्टम अब तक चला आ रहा, जब उन्होंने लोगों को दबाने के लिए मंदिरों का प्रबंधन ब्रिटिश सरकार के हाथों में दे दिया गया था।

उन्होंने कहा कि मुस्लिमों और ईसाईयों की तरह हिन्दुओं को ही उनके धर्मस्थल के नियंत्रण, प्रबंधन और प्रशासन का अधिकार मिलना चाहिए। बता दें कि केरल में सभी मंदिरों को कोचीन, त्रावणकोर, मालाबार और गुरुवायुर बोर्ड्स के जरिए सरकार ही नियंत्रित करती है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के अलावा सद्गुरु जग्गी वासुदेव भी मंदिरों की मुक्ति के लिए आंदोलन चलाते रहे हैं। उत्तरी केरल में स्थित इस मंदिर पर राज्य सरकार पिछले एक दशक से कब्ज़ा जमाने पर तुली थी।

हिन्दू संगठनों ‘विश्व हिन्दू परिषद (VHP)’ और ‘हिन्दू आइका वेदी’ ने इसके विरोध में एक सप्ताह लंबे विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। मंदिर प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आपत्ति दर्ज कराएगा। मंदिर कमिटी के अध्यक्ष सीएच मोहनदास ने कहा कि सरकार द्वारा एकपक्षीय ढंग से मंदिर पर कब्ज़ा जमाया गया है। मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्त कराने के लिए दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही सुनवाई चल रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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