Sunday, September 8, 2024
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पुराने वीडियो से काट-छाँट पर सुदर्शन के एडिटर इन चीफ ने चेताया, ट्रोल्स कर रहे थे सुरेश चव्हाणके की पिटाई का दावा

ऑनलाइन न्यूज इंडिया द्वारा बनाया गया वीडियो अकेला नहीं है जिसमें सुरेश चव्हाणके को लेकर ऐसे दावे हैं। सोशल मीडिया पर तमाम वीडियोज ऐसे मिले हैं जिसमें बताया गया कि दिल्ली पुलिस ने सुरेश चव्हाणके को पीटा।

सुदर्शन न्यूज के एडिटर-इन-चीफ सुरेश चव्हाणके ने एक यूट्यूब चैनल की वीडियो का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए चेतावनी दी है कि वो उनकी पुरानी वीडियो को फर्जी दावों के साथ न शेयर करें, वरना उन पर कानूनी कार्रवाई होगी। इस वीडियो में दावा किया गया था कि उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया।

वीडियो को ‘ऑनलाइन न्यूज़ इंडिया’ ने शेयर करते हुए इस पर पूरा प्रोग्राम बनाया था। इसमें तमाम सोशल रिएक्शन दे देकर ये प्रमाणित करने का प्रयास हुआ है कि वाकई सुरेश चव्हाणके की पिटाई हुई है। वीडियो के होस्ट शिवम, सुदर्शन न्यूज़ को गोदी मीडिया बोलते हैं और आरोप लगाते हैं कि सुदर्शन न्यूज सिर्फ हिंदू-मुस्लिम करता है और गोदी मीडिया के एंकर की हैसियत बस इतनी है कि कोई भी उन्हें मार-पीट दे।

अब बता दें कि ये वीडियो और इस वीडियो को लेकर किए गए हालिया दावे पर खुद न्यूज़ चैनल के एडिटर इन चीफ ने बात रखी। उन्होंने कहा कि ये वीडियो फर्जी है और उनके साथ ऐसा कोई प्रसंग घटित नहीं हुआ और अगर इसके बावजूद किसी ने वीडियो शेयर की तो उसकर विरुद्ध कार्रवाई होगी।

उन्होंने लिखा, “यह खबर पूर्णतः फर्जी है। वर्षों पुराने प्रदर्शन के वीडिओ को काट छाँट कर किसानों के बीच का बताकर इसे वायरल किया जा रहा है। मेरे जीवन में ऐसा कोई प्रसंग कभी नहीं घटा हैं। अभिसार शर्मा का इस चैनल पर शो है। मालिक सलमान हैं। जो भी इसे फैलाएगा उस पर क़ानूनी कार्रवाई करूँगा।”

उसी दावे के साथ अन्य वीडियो

उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन न्यूज इंडिया द्वारा बनाया गया वीडियो अकेला नहीं है जिसमें सुरेश चव्हाणके को लेकर ऐसे दावे हैं। सोशल मीडिया पर तमाम वीडियोज ऐसे मिले हैं जिसमें बताया गया कि दिल्ली पुलिस ने सुरेश चव्हाणके को पीटा। वीडियो को कॉन्ग्रेस नेता कमालुद्दीन अंसारी ने भी झूठे दावे के साथ शेयर किया है।

कब का वीडियो है?

ये वीडियो 1 नवंबर 2020 को आयोजित हुए जनता मार्च का है। इसका आह्वान निकिता तोमर की हत्या के बाद किया गया था। उस दौरान कई लोग, पत्रकार, नेता और आमजन मार्च में आए थे। उस मार्च को सुदर्शन न्यूज चीफ ने ही आयोजित किया था। इसका मकसद सिर्फ जागरुकता फैलाना था कि आखिर कैसे हिंदू लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है। उस समय भी यही वीडियो वायरल हुई थी जिसमें पुलिस सुरेश चव्हाणके को मार्च से अपने साथ ले जा रही थी। वहीं सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे थे कि आखिर दिल्ली पुलिस ने इतनी सक्रियता शाहीन बाग के समय क्यों नहीं दिखाई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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