Saturday, November 23, 2024
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107 वर्ष बाद काशी विश्वनाथ धाम में माँ अन्नपूर्णा की प्राण-प्रतिष्ठा, CM योगी ने उठाई पालकी

माँ अन्नपूर्णा की इस प्रतिमा के एक हाथ में खीर का कटोरा तो दूसरे हाथ में चम्‍मच है। माँ अन्नपूर्णा के इस स्वरूप पीछे काशी में मान्यता है कि यहाँ कभी कोई भूखा नहीं रहता।

वाराणसी से 107 साल पहले चोरी हुई माँ अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुँची जहाँ विधि-विधान से माँ प्राचीन प्रतिमा की पुनर्स्थापना सोमवार (15 नवंबर, 2021) को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में मुख्य मंदिर के ईशान कोण पर कर दी गई है। CM योगी आदित्यनाथ ने वैदिक मंत्रोच्चार, माँ अन्नपूर्णा के जयकारे और हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच मंदिर के मुख्य द्वार पर प्रतिमा यात्रा की अगवानी की। भव्य रूप से सजाए गए मंदिर परिसर में सीएम योगी की उपस्थिति में काशी विश्वनाथ मंदिर का अर्चक दल द्वारा काशी विद्वत परिषद की निगरानी में प्राण प्रतिष्ठा की संपूर्ण प्रक्रिया को पूर्ण कराया गया।

बाबा विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के अनुसार, बाबा काशी विश्वनाथ की रंगभरी एकादशी की रजत पालकी और सिंहासन को माँ अन्नपूर्णा के स्वागत के लिए भेजा गया। माँ की प्रतिमा ज्ञानवापी के प्रवेश द्वार से इसी पालकी में सिंहासन पर विराजमान होकर काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश कीं। जहाँ मुख्यमंत्री योगी सहित तमाम गणमान्य लोगों ने पालकी को कन्धा देकर स्थापना स्थल तक ले गए। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद CM योगी आदित्यनाथ ने बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर बाबा से विश्व के कल्याण के लिए आशीर्वाद माँगा।

बता दें कि माँ अन्नपूर्णा की शोभायात्रा उत्तर प्रदेश के 18 जिलों से होती हुई आज सुबह ही काशी पहुँची थी।

माँ अन्नपूर्णा की इस प्रतिमा के एक हाथ में खीर का कटोरा तो दूसरे हाथ में चम्‍मच है। माँ अन्नपूर्णा के इस स्वरूप पीछे काशी में मान्यता है कि यहाँ कभी कोई भूखा नहीं रहता। माँ स्वयं अपने हाथों के चम्मच से खीर का प्रसाद भक्तों के बीच बाँटकर उन्हें धन-धान्‍य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद दे रही हैं।

गौरतलब है कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ परिसर से ही 1913 के आसपास माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति चोरी हुई थी। चोरी होने के बाद मूर्ति तस्करों द्वारा गुपचुप तरीके से यह मूर्ति कनाडा ले जाई गई और फिर मैकेंजी आर्ट गैलरी में सैलून तक रखी रही। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिमा का अध्ययन करने के बाद दिव्या मेहरा ने भारतीय दूतावास को इस प्राचीन मूर्ति बारे में सूचित किया। मूर्ति का इतिहास सामने आने के बाद PM मोदी के आग्रह पर कनाडा सरकार ने इसे भारत सरकार को शिष्‍टाचार भेंट के तौर पर लौटाने की पेशकश की। जिसके बाद ही यह मूर्ति एक लम्बी दूरी तय करके आज अपने मूल स्थान काशी पहुँची है। जहाँ आज विधिवत पुनः स्थापना की गई है।

जानकारी के लिए बता दें कि चुनार के बलुआ पत्‍थर से बनी माँ अन्नपूर्णा की यह प्राचीन प्रतिमा कई मायनों में खास है। औरंगजेब द्वारा काशी के कई मंदिरों और मूर्तियों को नुकसान पहुँचाने और नष्ट करने के बाद जब पुनः काशी में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा हुई यह मूर्ति भी तब की है। वाराणसी में आज भी इसी काल की कई मूर्तियाँ हैं, जो काशी के प्रस्‍तर कला की पहचान हैं। वैसे मूर्ति विशेषज्ञों ने माँ अन्नपूर्णा की इस प्रतिमा को 18वीं सदी का बताया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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