पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में बवाल खड़ा हो गया है। सोमवार को यूनिवर्सिटी के 4 विभागाध्यक्षों (HODs) और 3 डीन (Deans) ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद राज्य के शिक्षा मंत्री को वहाँ पहुँच कर स्थिति का जायजा लेना पड़ा। ये सामूहिक इस्तीफा 4 प्रोफेसरों को उनकी जाति को लेकर किए गए अपशब्दों के कारण दिया गया है। ये चारों अनुसूचित जाति से आते हैं। बताया जा रहा है कि तृणमूल कॉन्ग्रेस के छात्र संघ समर्थित छात्रों ने इन प्रोफेसरों के साथ जातिसूचक अपमानजनक अपशब्द कहे थे।
हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री पार्थ चटर्जी ने यूनिवर्सिटी के कुलपति सब्यसाची बासु रे चौधरी और अन्य प्रोफेसरों एवं छात्रों के साथ बैठक कर उनकी बातें सुनी और मामले की जाँच का आदेश दिया। तृणमूल समर्थित छात्रों के इस व्यवहार के कारण पूरे कैंपस में विरोध-प्रदर्शन हुए और उनके ख़िलाफ़ नारे लगे। कहा जा रहा है कि कुछ छात्र बार-बार क्लास बंक कर रहे थे, जिस कारण प्रोफेसरों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया था। इसके बाद छात्रों व प्रोफेसरों में तीखी बहस हुई थी।
चटर्जी ने कहा कि दोषियों को नहीं छोड़ा जाएगा। पिछले महीने दलित समुदाय से आने वाली भूगोल की प्रोफेसर सरस्वती केरकेटा ने आरोप लगाया था कि छात्रों व कर्मचारियों के एक वर्ग ने उनकी जातीय पृष्ठभूमि को लेकर अपशब्द कहे थे और क्लास में जानबूझ कर उन्हें बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी थी। ऑर्थपेडिक समस्या से जूझ रही सरस्वती ने कहा कि इस बारे में लोगों को पता होने के बावजूद उन लोगों ने उन्हें बैठने नहीं दिया। इसके बाद कुछ अन्य प्रोफेसरों ने इसी तरह के आरोप लगाए कि उनके साथ भी ऐसा ही व्यवहार समय-समय पर किया गया है।
4 HoDs, 3 deans in Bengal varsity resign over alleged casteist slurs..students hurled abuses at the staff. #WestBengalhttps://t.co/VR6aa467Qo
— Ketan (@ketan72) June 19, 2019
सोमवार को मामला तब प्रकाश में आया जब बंगाली, संस्कृत, अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान- इन चारों विभागों के प्रोफेसरों (HOD) ने अपने पद से सामूहिक इस्तीफा दे दिया। इनके अलावा स्कूल ऑफ लैंग्वेज एंड कल्चर, डिपार्टमेंट ऑफ़ विसुअल आर्ट और बी आर आंबेडकर स्टडी सेंटर के प्रोफेसरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। इस मामले पर बैठक करने के बाद पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा:
“मैंने इन प्रोफेसरों से निवेदन किया कि वे इस्तीफा न दें। मैंने उनसे कहा कि टैगोर के नाम पर स्थापित विश्विद्यालय में हमें इस तरह की घटनाओं को नहीं होने देना चाहिए। शिक्षक और छात्र के बीच के रिश्ते की हर क़ीमत पर रक्षा की जानी चाहिए। मैंने शिक्षकों एवं छात्रों से भी कहा कि उन्हें सभी क्लासेज में उपस्थिति दर्ज करानी ही चाहिए। जाँच समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट सबमिट करेगी और उसे सार्वजनिक किया जाएगा। मैंने छात्रों से यह भी कहा कि अपमानित किए गए प्रोफेसरों से माफ़ी माँगें।”
प्रोफेसर सरस्वती केरकेटा ने तो यूनिवर्सिटी आना ही बंद कर दिया है। जब शिक्षा मंत्री ने उन्हें कॉल किया, तो उनका फोन ऑफ पाया गया। चटर्जी ने कहा कि अगर उनका फोन लग जाता तो वह उनकी बात सीधे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कराते। तृणमूल शिक्षक संघ की सदस्य जोईता रॉय ने कहा कि उन्हें भी नहीं छोड़ा गया और जातिगत टिप्पणी करते हुए प्रताड़ित किया गया। शिक्षक संघ के सचिव ने बताया कि यह सब काफ़ी दिनों से चल रहा है और शिकायत करने के बाद ऐसी घटनाएँ बढ़ ही जाती हैं।