कन्हैया कुमार ने मुज़फ्फरपुर के अस्पताल श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (SKMCH) में समर्थकों सहित दौरा किया है। रिपब्लिक टीवी की खबर के मुताबिक 100 से ज्यादा समर्थकों को साथ लेकर हालिया लोकसभा निर्वाचन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के उम्मीदवार रहे कन्हैया कुमार पूरे दल-बल के साथ ‘मरीजों का हालचाल लेने’ पहुँचे। कुछ मीडिया रिपोर्टों ने तो बाकायदा उनका वहाँ ‘माल्यार्पण’ होने की भी बात कही है।
कन्हैया के खिलाफ प्रदर्शन
एईएस से 170 मौतें हो जाने के बावजूद डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन पर पड़ रहे दबाव व तीमारदारों की मानसिक हालत की परवाह किए बगैर नेताओं का अस्पताल पहुँच कर अराजक स्थिति बनाना बदस्तूर जारी है। इसी शृंखला में पहुँचे कन्हैया की संवेदनहीनता से क्षुब्ध हो अस्पताल में भर्ती बीमारों के रिश्तेदारों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने उनके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकर्ताओं के मुताबिक कन्हैया के साथ आया हुजूम इतना बड़ा था कि अस्पताल के कर्मचारियों और सफाई कर्मचारियों के लिए भी अस्पताल में प्रवेश करना मुश्किल हो गया।
लेकिन मर रहे बच्चों के माहौल में हुए इस ‘शक्ति प्रदर्शन’ के बारे में जब कन्हैया कुमार से बात की गई तो उन्होंने पहले तो सवालों से कन्नी काटने का प्रयास किया, और जब ऐसा नहीं कर पाए तो कहते नज़र आए, “मैं अकेले आया हूँ। मेरे साथ कोई नहीं आया। ये अस्पताल है, यहाँ प्रार्थना कीजिए, कोई बात मत कीजिए।”
‘यहाँ आने से अच्छा गाँवों में जागरुकता फैलाएँ’
महज़ तीन दिन पहले ही SKMCH के अधीक्षक सुनील कुमार शाही ने राजनीतिक पार्टियों से आग्रह किया था कि अस्पताल में आकर अव्यवस्था फ़ैलाने और मरीजों व स्टाफ़ के लिए परेशानी खड़े करने से बेहतर होगा वे गाँवों में जाकर जागरुकता फैलाएँ। लेकिन इस अपील के बाद 20 जून की सुबह जब शरद यादव अस्पताल दौरे पर पहुँचे तो उन्हें VVIP सुविधा देने के लिए न केवल अस्पताल के दरवाज़े बंद कर दिए गए, बल्कि मरीजों तक को अस्पताल में प्रवेश के लिए संघर्ष करना पड़ा। शरद यादव को यह VVIP ट्रीटमेंट देने के पीछे राजनीतिक दबाव के कयास लगाए जा रहे हैं।
वहीं मरीजों का आरोप है कि शरद यादव का प्रतीकात्मक दौरा कतई ज़रूरी नहीं था क्योंकि अस्पताल की सुविधाएँ बनाए रखने में और भी समस्या हो गई। रिपब्लिक टीवी से बात करते हुए एक मरीज के घर वालों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर कोई मीडिया से बात करेगा तो उसके बच्चों को अस्पताल से निकाल दिया जाएगा। क्रुद्ध प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों की असंवेदनशीलता का भी पर्दाफाश किया।
राज्य सरकार पर भी एईएस के बढ़ रहे मामलों और उसके परिणामस्वरूप हो रहीं मौतों का कोई असर पड़ता हुआ नहीं दिख रहा है। बिहार में इस जानलेवा बीमारी से हो रही मौतों पर असंवदेनशीलता के शर्मनाक प्रदर्शन में बिहार के स्वास्थ्य-मंत्री मंगल पांडे 17 जून को कैमरे के सामने राज्य की बदतर होती स्थिति की बजाय भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को लेकर ज्यादा चिंतित नज़र आए। इसके पहले पत्रकारों अंजना ओम कश्यप और TV9 भारतवर्ष के अजीत अंजुम को भी आईसीयू में घुस जाने को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। बिहार सरकार अपने प्रबंधन की कमी और महामारी को रोक पाने में नाकामी को लेकर आलोचनाओं के केंद्र में है। आज ही संवेदनहीनता और लापरवाही की एक घटना सामने आई जब पोस्टमॉर्टम विभाग की लावारिस लाशों के कई कंकाल अस्पताल परिसर की पीछे पड़े मिले।