उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश सरकार के सभी अधिकारियों को सुबह नौ बजे तक कार्यालय पहुँचने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री का सख़्त आदेश है कि प्रदेश के सभी कार्यालयों में इस नियम का कड़ाई से पालन किया जाए। इस जानकारी को ट्विटर पर शेयर किया गया है, इसमें साफ़तौर पर लिखा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूबे के अधिकारियों-ज़िलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को हर हाल में सुबह नौ बजे तक दफ़्तर पहुँचने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सख़्त निर्देश दिए कि सभी अधिकारी तत्काल प्रभाव से इसका पालन करें और ऐसा नहीं होने पर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है।
#UPCM श्री @myogiadityanath जी ने सूबे के अधिकारियों-जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षकों- को हर हाल में सुबह 9 बजे तक दफ्तर पहुंचने के निर्देश दिए हैं।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) June 27, 2019
उन्होंने सख्त निर्देश दिए कि सभी अधिकारी तत्काल प्रभाव से इसका पालन करें और ऐसा नहीं होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
ख़बर के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरिद्वार प्रवास के दौरान अलकनंदा घाट के किनारे यूपी पर्यटन निगम द्वारा निर्माणाधीन पर्यटक गृह भागीरथी का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से इसके डिज़ाइन को लेकर जानकारी प्राप्त की। बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने 29 मई 2018 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में अलकनंदा होटल के पास अलकनंदा घाट के किनारे 41 करोड़ की लागत से बनने वाले 100 कमरों के पर्यटक आवास गृह भागीरथी की आधारशिला रखी थी।
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से ही मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का कड़ा रुख़ देखने को मिल रहा है। प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए उन्होंने एक के बाद एक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अभी हाल ही में उन्होंने पुलिस विभाग को भी फ़टकार लगाते हुए सख़्त रवैया अपनाया था। आज़मगढ़ ज़िले की समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा था कि पुलिस प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कहा कि वर्दी के नाम पर कलंक बन चुके पुलिसकर्मियों के लिए विभाग में कोई जगह नहीं है।
कड़ा रुख़ अपनाते हुए उन्होंने 50 के पार हो चुके नकारा पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का रास्ता दिखा दिया था। इसी संदर्भ में एडीजी स्थापना पीयूष आनन्द ने पुलिस की सभी इकाईयों के प्रमुखों, सभी आईजी रेंज और एडीजी ज़ोन को ऐसे नकारा पुलिसवालों की सूची 30 जून तक भेजने का पत्र लिखा है।
इसके अलावा यूपी के सीएम ने भ्रष्टाचार और बेईमान अफ़सरों के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अपनाते हुए फ़रमान जारी किया था कि ऐसे अधिकारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है। भ्रष्ट और बेईमान अधिकारियों के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि ऐसे अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले अन्यथा उन्हें सेवानिवृत्ति के लिए बाध्य कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री के सख़्त रवैये के बाद सचिवालय प्रशासन द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए 30 भ्रष्ट अधिकारियों के नाम छाँटे जा चुके हैं।