देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में इंडिया गेट पर स्थित अमर बलिदानियों के सम्मान में प्रज्वलित अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) का शुक्रवार (21 जनवरी 2022) को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) में विलय हो गया। इस समारोह के दौरान चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ एयर मार्शल राधा कृष्ण ने दोनों लौ को एक में मिलाया। मोदी सरकार के इस फैसले का पूर्व सैनिकों ने दिल से स्वागत किया।
#WATCH | Delhi: Merging of Amar Jawan Jyoti flame at India Gate with the flame at the National War Memorial is underway. pic.twitter.com/j7wMxpNWJS
— ANI (@ANI) January 21, 2022
इस अवसर को यादगार मानते हुए सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू (PJS Pannu) ने कहा, “यह सरकार द्वारा लिया गया एक बहुत अच्छा निर्णय है। स्थानांतरण का सवाल नहीं है, सम्मान वहाँ है, जहाँ सैनिकों के नाम लिखे हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ही एकमात्र स्थान है, जहाँ सैनिकों को सम्मानित किया जाना चाहिए।”
#WATCH | This is a very good decision taken by the govt, shifting is not the question, the honour lies where the names of the soldiers are written. The National War Memorial is the only place the soldiers should be honoured: Lt. Gen (Retd) PJS Pannu pic.twitter.com/ZR2DPXzP05
— ANI (@ANI) January 21, 2022
वहीं, सेवानिवृत चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (Satish Dua) ने भी सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इस पर विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “इंडिया गेट प्रथम विश्वयुद्ध में वीरगति पाने वाले हीरो को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बनाया गया था। सदियों से हमारे पास नेशनल वॉर मेमोरियल था ही नहीं, इसलिए हम उसी को मान रहे थे। 1971 के युद्ध के बाद 1972 में इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति लगाई गई। अब यही सही होगा कि अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल में विलय किया जाए। इसमें किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए।”
#WATCH | The merger of Amar Jawan Jyoti with the National War Memorial is the right decision to make. There should be no controversy. National War Memorial has a national character: Lt General Satish Dua (Retd), former Chief of Integrated Defence Staff pic.twitter.com/ZBSeTZL1I9
— ANI (@ANI) January 21, 2022
इस मसले पर 1971 के युद्ध के हीरो पू्र्व उप सेना प्रमुख (सेवानिवृत) जेबीएस यादव (JBS Yadav) कहते हैं, “हमारे पास वॉर मेमोरियल नहीं था, इसलिए इंडिया गेट का उपयोग किया गया था। अब हमारे पास नेशनल वॉर मेमोरियल है, इसलिए यही उचित होगा कि नेशनल वॉर मेमोरियल के अंदर ही अमर जवान ज्योति लगाई जाए। इस देश में एक रिवाज सा बन गया है कि जब भी कोई सरकार अच्छा काम करती है तो उसे राजनीति से जोड़ा जाता है। अंग्रेजों के बनाए गए स्मारक का इस्तेमाल हम क्यों करें? हमारे राष्ट्र का अपना सम्मान है।”
#WATCH| “There should be no politics on the merger of Amar Jawan Jyoti & National War Memorial. It has become a trend to give a political angle to every initiative done by the Centre: 1971 war veteran and former Army Dy Chief Lt Gen JBS Yadava (Retd) pic.twitter.com/G2hlorvVfB
— ANI (@ANI) January 21, 2022
राहुल गाँधी ने अमर जवान ज्योति को लेकर झूठ बोला
हालाँकि, देश के वीर जवानों के सम्मान में किए जा रहे कार्य का राजनीतिकरण करने से राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) नहीं चूके। उन्होंने ट्वीट कर मोदी सरकार पर आरोप लगाया, “बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!” जबकि, हकीकत ये है कि अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं गया, बल्कि उसकी लौ को दूसरी लौ से मिलाया गया था।
बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 21, 2022
कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…
हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!
गौरतलब है कि अमर जवान ज्योति को 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल करते हुए बांग्लादेश का निर्माण कराया था। इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने 26 जनवरी 1972 को किया था।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था। यहाँ ग्रेनाइट की गोलियों पर 25,942 सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं। इसमें 1947-48 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों से लेकर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुए युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए जवानों के नाम शामिल किए गए हैं।