Sunday, September 8, 2024
Homeविविध विषयअन्य'पिछले 7 सालों में देश की नीतियाँ महिलाओं को लेकर और अधिक संवेदनशील हुईं':...

‘पिछले 7 सालों में देश की नीतियाँ महिलाओं को लेकर और अधिक संवेदनशील हुईं’: पीएम मोदी ने राष्ट्रीय महिला आयोग के 30 वर्ष पूरे होने पर दी बधाई

"सदियों से भारत की ताकत हमारे छोटे स्थानीय उद्योग रहे हैं, जिन्हें आज हम MSME कहते हैं। इन उद्योगों में जितनी भूमिका पुरुषों की होती हैं, उतनी ही महिलाओं की भी होती हैं। आजकल महिलाएँ लोगों को रोजगार दे रही हैं।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (31 जनवरी 2022) को राष्ट्रीय महिला आयोग के 30वें स्थापना दिवस के मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्हें बधाई दी। उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “30 वर्ष का पड़ाव, चाहे किसी व्यक्ति के जीवन का हो या फिर किसी संस्था का हो, ये बहुत अहम होता है। ये समय नई जिम्मेदारियों का होता है, नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का होता है। मुझे विश्वास है, अपनी स्थापना के 30वें वर्ष को राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा भी इसी रूप में देखा जा रहा होगा।”

पीएम मोदी ने कहा, “सदियों से भारत की ताकत हमारे छोटे स्थानीय उद्योग रहे हैं, जिन्हें आज हम MSME कहते हैं। इन उद्योगों में जितनी भूमिका पुरुषों की होती हैं, उतनी ही महिलाओं की भी होती हैं। आजकल महिलाएँ लोगों को रोजगार दे रही हैं। सरकार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं की सहायता कर रही है।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “भारत के लिंग अनुपात में भी वर्षों बाद काफी सुधार हुआ है। स्कूलों से लड़कियों की ड्रॉपआउट दर कम हुई है। ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि महिलाएँ बेटी बचाओ, बेटी पढाओ अभियान से खुद जुड़ गई हैं। आज जिन 9 करोड़ महिलाओं को पहली बार गैस कनेक्शन मिला है, वे महिला सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति हैं। आज जिन करोड़ों महिलाओं ने शौचालय बनवाया है, वे महिला सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 7 सालों में देश की नीतियाँ महिलाओं को लेकर और अधिक संवेदनशील हुई हैं। आज भारत उन देशों में है, जो अपने यहाँ सबसे अधिक मातृत्व अवकाश देता है। कम उम्र में शादी बेटियों की पढ़ाई और करियर में बाधा न बने, इसलिए बेटियों की शादी की उम्र 21 साल करने का प्रयास है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -