Thursday, November 14, 2024
Homeदेश-समाजत्रिपुरा में अब सार्वजनिक जगहों पर नहीं कटेंगे पशु, सड़कों पर माँस की बिक्री...

त्रिपुरा में अब सार्वजनिक जगहों पर नहीं कटेंगे पशु, सड़कों पर माँस की बिक्री भी नहीं होगी: हाई कोर्ट ने लगाई रोक

निर्देशों को लागू करने के लिए अगरतला नगर निगम और राज्य सरकार को छह महीने का समय दिया गया है। इसके तहत केवल बूचड़खाने ही स्थापित नहीं किए जाएँगे, बल्कि कचरे के वैज्ञानिक तरीके से निपटान की व्यवस्था भी करनी होगी।

त्रिपुरा में अब सार्वजनिक जगहों पर पशु वध नहीं किया जा सकेगा। साथ ही हाई कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों या सड़कों के किनारे माँस उत्पादों की बिक्री पर भी रोक लगा दी है। नए निर्देशों के अनुसार बूचड़खाने शुरू होने से पहले वैकल्पिक जगह उपलब्ध कराने के निर्देश भी राज्य सरकार को दिए गए है।

हाई कोर्ट ने पिछले सप्ताह ये निर्देश वकील अंकन तिलक पॉल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में राजधानी अगरतला सहित पूरे राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर माँस की बिक्री और पशु वध पर रोक लगाने की अपील की गई थी। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती और जस्टिस एसजी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने राज्य सरकार को इस बा​बत एक दीर्घकालीन योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। निर्देशों को लागू करने के लिए अगरतला नगर निगम और राज्य सरकार को छह महीने का समय दिया गया है। इसके तहत केवल बूचड़खाने ही स्थापित नहीं किए जाएँगे, बल्कि कचरे के वैज्ञानिक तरीके से निपटान की व्यवस्था भी करनी होगी।

इससे पहले नवंबर 2021 में दो अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए त्रिपुरा हाई कोर्ट ने अगरतला में चल रही अवैध दुकानों को बंद करने के निर्देश नगर निगम और पशुपालन विभाग को दिए थे। इनमें से एक याचिका में कहा गया था कि राजधानी की सड़कों और फुटपाथों पर कई जानवरों मछलियों को बिना लाइसेंस के मारकर बेचा जा रहा है।

जब बलि प्रथा बैन करने को दिए अजीब तर्क

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने सितंबर 2019 में एक फैसला बलि प्रथा पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाने को लेकर भी दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला किया था। हाई कोर्ट ने इस फैसले के पीछे अजीब तर्क दिए थे जिससे फैसला देने वालों की सोच में हिन्दू रीति-रिवाजों को न समझ पाने की असमर्थता साफ झलकती थी। पूर्वाग्रह से ग्रसित अपने इस जजमेंट में कोर्ट ने पूछा था- कौन सा धर्म या संप्रदाय जानवर पर बेवजह दर्द और पीड़ा डालने की बात करता है? किस धर्म में कहा गया है कि वध से पहले जानवर को मानसिक या शारीरिक कष्ट मुक्त नहीं करना चाहिए? कौन सा ऐसा धर्म है जो अपने अनुयायियों को जानवरों पर इंसानियत के नाते दया दृष्टि न रखने के लिए कहता होगा?

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कश्मीर को बनाया विवाद का मुद्दा, पाकिस्तान से PoK भी नहीं लेना चाहते थे नेहरू: अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा, अब 370 की वापसी चाहता...

प्रधानमंत्री नेहरू पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर सौंपने को तैयार थे, यह खुलासा अमेरिकी दस्तावेज से हुआ है।

‘छिछोरे’ कन्हैया कुमार की ढाल बनी कॉन्ग्रेस, कहा- उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया: चुनावी सभा में देवेंद्र फडणवीस की पत्नी को लेकर की...

कन्हैया ने फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा, "हम धर्म बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और डेप्युटी सीएम की पत्नी इंस्टाग्राम पर रील बना रही हैं।"

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -