Saturday, May 4, 2024
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‘मुस्लिम नहीं हो तो क्या हुआ, नमाज तो पढ़नी चाहिए’: पल्लवी जोशी ने बताया वो अनुभव जो कश्मीर में शिकारा पर हुआ था

दरअसल, ये 2018 की बात है। तब पल्लवी जोशी 'भारत की बात' नाम से एक शो बना रही थीं। इस शो को 'I Am Buddha' नाम के यूट्यूब चैनल पर प्रसारित किया गया था।

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ सिनेमाघरों में धमाल मचा रही है और कई भाजपा शासित राज्यों में इसे टैक्स फ्री भी घोषित किया गया है। इस फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री हैं और उनकी पत्नी पल्लवी जोशी ने इसमें राधिका मेनन नाम की एक वामपंथी प्रोफेसर का किरदार अदा किया है। सोमवार (14 मार्च, 2022) को नई दिल्ली में फिल्म को लेकर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने पल्लवी जोशी ने कश्मीर और नमाज को लेकर एक वाकया साझा किया।

दरअसल, ये 2018 की बात है। तब पल्लवी जोशी ‘भारत की बात’ नाम से एक शो बना रही थीं। इस शो को ‘I Am Buddha’ नाम के यूट्यूब चैनल पर प्रसारित किया गया था। इसकी शूटिंग के दौरान पल्लवी जोशी कश्मीर भी गई थीं। उन्होंने उसी दौरान का एक वाकया साझा करते हुए बताया कि वहाँ वो लोग एक ‘शिकारा’ (एक प्रकार की लकड़ी की नाव, जिसे डल झील में आपने अक्सर देखी होगी) में शूटिंग कर रहे थे।

पल्लवी जोशी ने बताया, “मेरे साथ उस दौरान कुछ बच्चे भी थे। उन्हीं में एक छोटी सी बच्ची भी थी, जो काफी प्यारी लग रही थी। वो खूब बातें कर रही थीं। जब मैंने उससे बातें करनी शुरू की तो उसने मुझसे पूछा कि आप कहाँ रहती हो। फिर वो मुझसे पूछने लगी कि आप मुंबई में कहाँ नमाज पढ़ने जाती हो? मैंने कहा कि बेटा, मैं नमाज नहीं पढ़ती हूँ। उसने पूछा क्यों? तो मैंने कहा कि क्योंकि मैं मुस्लिम नहीं हूँ। फिर उसने कहा – तो क्या हुआ, नमाज तो पढ़ना चाहिए न आपको?”

बकौल पल्लवी जोशी, उस समय 4-5 साल की रही उस छोटी सी प्यारी सी बच्ची को भी नहीं पता था कि देश में अन्य समुदायों के लोग भी हो सकते हैं और उनके प्रार्थना करने का ढंग अलग हो सकता है। फिल्म ‘वो छोकरी (1992)’ और ‘द ताशकंद फाइल्स (2019)’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकीं अभिनेत्री ने बताया कि विविधता भारत की सबसे खूबसूरत चीज है, लेकिन हमने उसे ही निकाल दिया है। उन्होंने कहा कि यही बच्ची जब बड़ी होगी और 18 वर्ष की उम्र में मतदान करेगी तो इसके सामने क्या मुद्दे होंगे और किस आधार पर ये अपने राज्य में सरकार चुनेगी?

पल्लवी जोशी ने कहा, “हमने कभी पिछले 32 वर्षों में कश्मीरी पंडितों के दर्द को नहीं समझा। हमने कभी इनकी सच्चाई को स्वीकारा नहीं। और आज देखिए, हमने उस राज्य को भी क्या बना कर रखा है। मुझे लगता है कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद हम सब वहाँ जाकर घर बना सकते हैं। रह सकते हैं। कश्मीरी पंडितों को हम कश्मीरी इसीलिए कहते हैं, क्योंकि वहाँ कोई और जा नहीं सकता था। वो सबसे पहले भारतीय हैं। उस बच्ची के बारे में सोच कर मुझे दुःख हुआ। उस प्यारी सी बच्ची को पता चलना चाहिए कि इस देश की क्या खूबियाँ हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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