मद्रास हाई कोर्ट (Madrass High Court) ने पालननकुप्पम स्थित रामनादेश्वर मंदिर की जमीन पर किए गए अवैध अतिक्रमण (Encroachment On Temple Land) को लेकर तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Government) के हिन्दू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने विभाग को मंदिर की अतिक्रमण की गई जमीन को वापस लेने के लिए कार्यवाही करने का आदेश दिया है।
लॉ बीट की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने श्री रामनादेश्वर मंदिर के एक भक्त की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने मंदिर की साढ़े तीन एकड़ की जमीन पर किए गए अवैध कब्जे को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने के लिए मानव संसाधन और सीई के आयुक्त को आदेश देने की माँग की थी। मामले की सुनवाई के दौरान मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा कि हिन्दू धार्मिक धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग मंदिर की संपत्तियों और उसके सामान की रक्षा करने के लिए बाध्य है।
कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता ने शिकायत की कि मंदिर की संपत्तियों पर बिना किराया दिए भी अतिक्रमण किया जा रहा है और इसकी संपत्तियों को इससे अलग किया जा रहा है। ऐसे में अधिकारी मंदिर की संपत्तियों की जाँच कर सुरक्षा के उद्देश्य से सभी उचित कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं।”
शिकायतकर्ता के हलफनामे से इसका पता चलता है कि कुछ लेनदेन को अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया था। इसी को देखते हुए अदालत ने मानव संसाधन और सीई के आयुक्त को कानून के मुताबिक, मंदिर की संपत्तियों की रक्षा और अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने और मंदिर की संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कमिश्नर को आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से 12 सप्ताह की डेडलाइन भी दे दी है।
कोर्ट का आदेश
मद्रास हाई कोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने अदालत को ये आरोप लगाया है कि मंदिर को कोई किराया दिए बिना मंदिर की संपत्ति पर कब्जा किया जा रहा है और अतिक्रमणकर्ता मंदिर की जमीन को अवैध रूप से बेचने का कोशिशें भी कर रहे थे। इसके साथ ही राजस्व के रिकॉर्ड में भी हेरफेर की कोशिशें की जा रही थीं। कोर्ट को बताया गया कि इसकी शिकायत एचआर एंड सीई सहित अधिकारियों की गई थी। हालाँकि, कमिश्नर ने कोई एक्शन नहीं लिया।
याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के मानव संसाधन और सीई विभाग को फटकार लगाते एक्शन लेने का आदेश दिया।
राज्य सरकार को दी कड़ी चेतावनी
गौरतलब है कि इससे पहले पिछले साल भी मद्रास हाई कोर्ट ने मानव संसाधन और सीई विभाग को मंदिर की संपत्तियों के दुरुपयोग के बारे में अदालत में बढ़ती शिकायतों पर कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि अगर विभाग एक्शन नहीं लेता है तो फिर अदालत को खुद जमीन पर उतरना पड़ेगा। उस दौरान मुख्य न्यायधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति ने सीनियर अधिकारियों के खिलाफ नुंगमबक्कम में अगथेश्वर मंदिर की अतिक्रमित भूमि को फिर से हासिल करने में विफल रहने के लिए दायर अदालत की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियाँ की थी।