हाल ही में अजीत डोभाल के कश्मीर से लौटने के तुरंत बाद, 27 जुलाई को केंद्र सरकार ने कश्मीर में आतंक की कमर तोड़ने के लिए 100 कंपनी अर्थात 10000 अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया। इसके बाद पता नहीं कहाँ से ये हवा उड़नी शुरू हुई कि मोदी-अमित शाह की जोड़ी 35A को ख़त्म करने की तैयारी कर रही है। कुछ बड़ा होने वाला है, कहकर तमाम कश्मीरी और अलगाववादी नेताओं ने इस पर बयानबाजी शुरू कर दी।
आज पीडीपी के 20वें स्थापना दिवस पर श्रीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महमबूबा मुफ्ती ने हमेशा की तरह 35A पर बात करते हुए आग उगलना शुरू कर दिया। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते कहा, “आर्टिकल 35A के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर है। जो हाथ 35A के साथ छेड़छाड़ करने के लिए उठेंगे, वो हाथ ही नहीं बल्कि सारा जिस्म जल कर राख हो जाएगा।”
Former J&K CM and PDP leader, Mehbooba Mufti, in Srinagar: 35A ke saath chhedd chhadd karna baarood ko haath lagaane ke baraabar hoga. Jo haath 35A ke saath chhedd chaadd karne ke liye uthenge wo haath hi nahi wo saara jism jal ke raakh ho jaega. #JammuAndKashmir pic.twitter.com/mKIU9Vmexw
— ANI (@ANI) July 28, 2019
उन्होंने कहा, “हमारे पास जो कुछ भी है, उसे बचाने के लिए हमें कश्मीरियों की जरूरत है, हमारा अपना संविधान है, हमारे पास एक ऐसा दर्जा है जो बाहर के लोगों को यहाँ संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं देता है। आज घाटी में जो हालात हैं, वे डरावने हैं, जम्मू कश्मीर बैंक खत्म हो चुका है और धीरे-धीरे वे सब कुछ खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।” उमर ने कहा कि दिल्ली को अनुच्छेद-35ए में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए लेकिन सुप्रीम कोर्ट को इससे निपटना चाहिए। हम दिल्ली को बताना चाहते हैं कि अनुच्छेद 35ए को छूना बारूद को छूने जैसा होगा।
इससे पहले कल भी महबूबा ने केंद्र सरकार को सलाह दिया था कि केंद्र को अपनी कश्मीर नीति पर पुनर्विचार और उसे दुरुस्त करना होगा। महबूबा ने ट्वीट कर कहा, “घाटी में अतिरिक्त 10,000 सैनिकों को तैनात करने के केंद्र के फैसले ने लोगों में भय पैदा कर दिया है। कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जिसे सैन्य तरीकों से हल नहीं किया जा सकता। भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और उसे दुरूस्त करने की जरूरत है।”
Centre’s decision to deploy additional 10,000 troops to the valley has created fear psychosis amongst people. There is no dearth of security forces in Kashmir. J&K is a political problem which won’t be solved by military means. GOI needs to rethink & overhaul its policy.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) July 27, 2019
आपको बता दें कि गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ऑर्डर में कहा गया है कि अतिरिक्त जवानों की तैनाती इसलिए की जा रही है ताकि राज्य में आतंकवादियों की बढ़ती सक्रियता के मद्देनज़र कानून-व्यवस्था बेहतर की जा सके।
खैर, तमाम कश्मीरी नेता इस कदम के संभावित कयास लगा कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। इस कड़ी में उनके कई बयान सीधे-सीधे केंद्र को धमकी है। महबूबा मुफ्ती ने तो यहाँ तक कह दिया, “हम अपनी आखिरी साँस तक कश्मीर का बचाव करेंगे।”