Tuesday, November 5, 2024
Homeराजनीतिकभी साइकिल तक नहीं थी, अब संसद में पहुँचे: सपा के गढ़ में मुलायम...

कभी साइकिल तक नहीं थी, अब संसद में पहुँचे: सपा के गढ़ में मुलायम परिवार को दी पटखनी, संघर्षों के सुपरस्टार हैं निरहुआ

बेहद साधारण परिवार से आने वाले दिनेश लाल यादव निरहुआ के पिता कोलकाता में 3500 रुपए मासिक की एक नौकरी करते थे, जिससे उन्हें पत्नी के अलावा 5 बच्चों की परवरिश करनी होती थी। निरहुआ का एक भाई भी है। साथ ही उनकी 3 बहनें भी हैं।

दिनेश लाल यादव निरहुआ – भोजपुरी बोलने या समझने वाले लोग इस नाम से जरा भी अनभिज्ञ नहीं हैं, क्योंकि 2010 का दशक शुरू होते-होते इस नाम ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में वो जगह बना ली थी, जो मनोज तिवारी और रवि किशन जैसे सुपरस्टार्स को ही नसीब था। अब 2019 लोकसभा चुनाव में अखलेश यादव से मिली हार का बदला उन्होंने उनके भाई धर्मेंद्र यादव को हरा कर चुकाया है। सपा के प्रभाव वाले आज़मगढ़ में निरहुआ ने भगवा लहराया है, भाजपा का झंडा बुलंद किया है।

दिनेश लाल यादव निरहुआ मूल रूप से गाजीपुर के बिरहा परिवार से ताल्लुक रखते हैं। निरहुआ को पहली फिल्म ‘हमका अइसा-वइसा न समझा’ मिली थी, लेकिन 2006 में ‘चलत मुसाफिर मोह लियो रे’ उनकी पहली रिलीज थी। इस फिल्म में उनका नाम ‘निरहुआ’ ही होता है। कुमार यादव और चंद्रज्योति यादव के बेटे दिनेश को असली पहचान मिली 2007 में आई ‘हो गइल बा प्यार ओढ़निया वाली से’ फिल्म के बाद। इस फिल्म के गाने उस जमाने में यूपी-बिहार और झारखंड के लोगों की जबान पर थे।

वो 27 मार्च, 2019 को भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन उसके बाद भी उनका फ़िल्मी सफर जारी रहा। 2021 की होली में उन्होंने एक गाना भी रिलीज किया था, जिसमें राम मंदिर के निर्माण की तारीफ़ की गई थी। कुछ गानों में उन्होंने राजनीति का छौंक भी लगाया था। बचपन में कराटे की ट्रेनिंग ले चुके निरहुआ का एक्शन लोगों को इतना पसंद आता था कि उनकी फ्लॉप फ़िल्में भी आराम से 3 सप्ताह चल जाती थीं। डेब्यू के 3 वर्षों के भीतर वो भोजपुरी के ‘जुबली स्टार’ बन गए थे।

उस दौर में उन्होंने फिजी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में स्टेज शो भी किए। 2007 में ही उनकी फिल्म ‘निरहुआ रिक्शा वाला’ आई थी, जो सुपरहिट रही थी। साथ ही इसके गाने भी जबरदस्त हिट हुए थे। 2014 में आई ‘निरहुआ हिंदुस्तानी’ उनकी 50वीं फिल्म थी। ये फिल्म मल्टीप्लेक्सों तक पहुँची। 2016 में यूपी सरकार ने उनके योगदान को ‘यश भारती सम्मान’ देकर सराहा। 2018 में आई उनकी मूवी ‘बॉर्डर’ ने 19 करोड़ रुपए कमाए, जो भोजपुरी फिल्मों के लिए एक रिकॉर्ड है।

बेहद साधारण परिवार से आने वाले दिनेश लाल यादव निरहुआ के पिता कोलकाता में 3500 रुपए मासिक की एक नौकरी करते थे, जिससे उन्हें पत्नी के अलावा 5 बच्चों की परवरिश करनी होती थी। निरहुआ का एक भाई भी है। साथ ही उनकी 3 बहनें भी हैं। तब उनके पास एक साइकिल तक नहीं हुआ करती थी और कई किलोमीटर तक पैदल चलते थे। उनका मन बचपन से ही गीत-संगीत में लगता था और चचेरे भाई विजय लाल उनकी प्रेरणा थे, जो उस इलाके के एक प्रभावशाली बिरहा गायक थे।

आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के प्रचार के दौरान मुक्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दिनेश लाल यादव निरहुआ

वैसे निरहुआ ने फिल्मों में आने से पहले ही भोजपुरी गीत-संगीत सुनने वालों के बीच अपना नाम बना लिया था, क्योंकि 2003 में आया उनका एल्बम ‘निरहुआ सटल रहे’ खासा लोकप्रिय हुआ था। चुनावी हलफनामे उन्होंने उन्होंने अपनी संपत्ति लगभग 6 करोड़ रुपए बताई है। उनके पास रेन्ज रोवर और फॉर्च्यूनर गाड़ी भी है। 2019 में उन्होंने OTT डेब्यू भी किया और भोजपुरी की पहली वेब सीरीज ‘हीरो वर्दी वाला’ में अभिनय किया।

2012 में आई ‘गंगा देवी’ फिल्म में वो अमिताभ बच्चन के साथ भी काम कर चुके हैं। 2018 में आई ‘निरहुआ चलल लंदन’ पहली भजपुरी फिल्म थी, जिसकी शूटिंग विदेश में हुई। 2012 में वो ‘बिग बॉस’ संस्करण का हिस्सा भी रह चुके हैं। 2016 में आई उनकी मूवी ‘पटना से पाकिस्तान’ भी खासी लोकप्रिय हुई थी। उनकी आने वाली फिल्म ‘वीर योद्धा महाबली’ को हिंदी, बांग्ला, तमिल और भोजपुरी – 4 भाषाओं में रिलीज करने की तैयारी है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कनाडा की सड़कों पर सनातनियों का सैलाब, लगे ‘जय श्रीराम’ के नारे: हिंदू मंदिर पर हमले को लेकर PM मोदी ने दिया सख्त संदेश,...

कनाडा में सैंकड़ों हिंदुओं ने सड़कों पर उतर अपना गुस्सा जाहिर किया। वहीं जोर-जोर से 'जय श्रीराम' की नारेबाजी भी हुई।

नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ सूर्य उपासना का 4 दिन का अनुष्ठान: विस्तार से जानिए क्यों होता है छठ, क्या हैं इसके तात्पर्य

5 नवंबर, 2024 से नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत हो चुकी है। 7 नवंबर तारीख को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 8 नवंबर को उगते सूर्य को।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -