हामिद अंसारी लगातार 2 बार देश के उप-राष्ट्रपति रहे। अगस्त 2007 से लेकर अगस्त 2017 तक लगातार उन्होंने इस पद पर रहे। उप-राष्ट्रपति को राज्यसभा का सदन भी चलाना होता है, ऐसे में इन 10 वर्षों में वो राज्यसभा के सभापति भी रहे। लेकिन, जैसे ही हामिद अंसारी उप-राष्ट्रपति नहीं रहे और देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार आ ही चुकी थी, उन्हें अचानक से सब कुछ अच्छा नहीं लगने लगा। उनके भीतर का कट्टर मुस्लिम अचानक से जाग गया।
1961 में ‘भारतीय विदेश सेवा (IFS)’ का हिस्सा बने हामिद अंसारी ने लगभग अगले 4 दशकों में ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों में भारत के राजदूत के अलावा कई पद सँभाले। 90 के दशक में उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी प्रतिनिधि बनाया गया। फिर वो ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU)’ के कुलपति बने और फिर ‘राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NMC)’ के अध्यक्ष। फिर एक दशक तक उप-राष्ट्रपति रहे।
ताकतवर परिवार से हैं हामिद अंसारी, मुख़्तार अंसारी उनका भतीजा
ऐसे किसी व्यक्ति को इस देश से या हिन्दुओं से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए। लेकिन, हामिद अंसारी ऐसे नहीं हैं। हामिद अंसारी के बारे में बता दें कि वो 1927-28 में कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे मुख़्तार अहमद अंसारी के परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो ‘ऑल इंडिया मुस्लिम लीग’ के अध्यक्ष और ‘जामिया मिल्लिया इस्लामिया’ यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रहे थे। मऊ का माफिया पूर्व विधायक मुख़्तार अंसारी भी इसी परिवार से सम्बन्ध रखता है।
जब मुख्तार अंसारी पंजाब के जेल में बंद था और पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार उसे बचाते हुए यूपी नहीं भेज रही थी, तब सुप्रीम कोर्ट में उसने अपने बचाव में गिनाया था कि वो हामिद अंसारी का भतीजा है। हामिद अंसारी पर एक-दो नहीं, बल्कि कई ऐसे आरोप हैं जो राष्ट्रवाद से उनकी खुन्नस को दिखाते हैं। वो भारत के ‘डरे हुए’ मुस्लिमों में से एक होने का दावा करते हैं। मोदी सरकार में ‘मुस्लिमों पर अत्याचार’ के अंतरराष्ट्रीय प्रोपेगंडा का हिस्सा उन्हें भी माना जा सकता है।
नंबी नारायणन का करियर तबाह करने के तार उनसे भी जुड़े, पूर्व रॉ अधिकारी ने किया था दावा
आर माधवन की फिल्म ‘रॉकेट्री’ के सामने आने के बाद लोगों को ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन के बारे में पता चला। वही प्रतिभावान एयरोस्पेस इंजीनियर, जिनका करियर देश विरोधी साजिश के तहत बर्बाद कर दिया गया और इस दिशा में भारत कितना पीछे चला गया। उन पर और उनके साथी वैज्ञानिकों पर पाकिस्तान के साथ मिलने होने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था। कई यातनाएँ दी गई उन्हें। अब उन्हें दोषमुक्त किया जा चुका है, लेकिन खुद को निर्दोष साबित करने की कीमत उन्होंने अपना करियर और जीवन की एक बड़ी अवधि देकर चुकाई। 24 साल की लड़ाई के बाद उन्हें न्याय मिला।
पूर्व रॉ अधिकारी NK सूद ने बताया था, “रतन सहगल नामक व्यक्ति हामिद अंसारी का सहयोगी रहा है। किसी को नहीं पता है कि नंबी नारायणन के ख़िलाफ़ साज़िश किसने रची? ये सब रतन सहगल ने किया। उसने ही नाम्बी नारायणन को फँसाने के लिए जासूसी के आरोपों का जाल बिछाया। ऐसा उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि बिगाड़ने के लिए किया। रतन जब IB में था तब उसे अमेरिकन एजेंसी CIA के लिए जासूसी करते हुए धरा जा चुका था। अब वह सुखपूर्वक अमेरिका में जीवन गुजार रहा है। वह पूर्व-राष्ट्रपति हामिद अंसारी का क़रीबी है और हमें डराया करता था। वह हमें निर्देश दिया करता था।”
क्या इस मामले की जाँच नहीं होनी चाहिए? भारतीय जाँच एजेंसियों के साथ इस तरह का खिलवाड़ और उसमें ऐसे व्यक्ति को बिठाना जो यहाँ के वैज्ञानिकों का करियर तबाह कर के दुश्मन मुल्कों को फायदा पहुँचाए – ये किस साजिश का हिस्सा था? इससे हामिद अंसारी के तार कहाँ तक और कितने जुड़े हुए हैं? कई पुस्तकें लिख चुके पूर्व उप-राष्ट्रपति को एक किताब लिख कर इन सवालों के जवाब भी दे देने चाहिए। रतन लाल से उनका क्या रिश्ता था?
ISI के ‘जासूस’ को बनाया मेहमान, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ उगला ज़हर
सबसे ताज़ा खुलासे को ही ले लीजिए। पाकिस्तान के कॉलमनिस्ट नुसरत मिर्जा ने बताया कि कैसे वो हामिद अंसारी के उप-राष्ट्रपति रहते उनके मेहमान बन कर भारत आए थे और 15 राज्यों का दौरा कर के पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के लिए सूचनाएँ इकट्ठी की, जासूसी की। उन्होंने दावा किया कि उस दौरान 56 मुस्लिम सांसद थे भारत में, जो उनके दोस्त हैं और काफी मददगार रहे। वो 5 बार भारत आए थे। यही लेखक भारत में अलगाववादी आंदोलनों का पाकिस्तान द्वारा फायदा उठाने की बातें भी करता है।
The Congress made Hamid Ansari VP, not unexpected.
— Sankrant Sanu सानु संक्रान्त ਸੰਕ੍ਰਾਂਤ ਸਾਨੁ (@sankrant) July 11, 2022
But the BJP just lets all this pass without holding them to account, disappointing. @narendramodi https://t.co/7Lj2ZrYs7h
हामिद अंसारी के एक साथ नेता ने ही उनके बारे में खुलासा किया था। ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC)’ के कार्यक्रम में भारत को लेकर जहर उगलने वाले पूर्व उप-राष्ट्रपति के बारे में IFS में उनके जूनियर और प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार दीपक वोहरा ने बताया था कि हामिद अंसारी के विदेशी व इस्लामी लिंक्स की जाँच शुरू हो गई है। उन्होंने बताया था, “ये चेतावनी हमारी कई खुफिया एजेंसियों द्वारा भारत सरकार को दी जा चुकी है कि हामिद अंसारी की प्राथमिकताएँ कभी भी भारत के पक्ष में नहीं थीं। वह हमेशा इस्लाम से जुड़ी थीं। उनकी ईमानदारी पड़ोसी मुल्कों के साथ दिखती थीं।”
सोचिए, जिस व्यक्ति के बारे में देश की ख़ुफ़िया एजेंसियाँ ही कह रही हैं कि उसके लिंक कट्टर इस्लामी समूहों से रहे हैं और देश के हित में रहे ही नहीं, उस व्यक्ति ने इस देश का 10 साल उप-राष्ट्रपति रहते हुए हमारा कितना नुकसान किया होगा। राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद भारत की शासन प्रणाली में यही है। किसी देश में ऐसा नहीं हो सकता कि उस देश के खिलाफ सोचने वाला व्यक्ति वहाँ किसी बड़े पद पर आसीन रहे।
रॉ के नेटवर्क का खुलासा करने के आरोप, ‘डरा हुआ मुस्लिम’ नैरेटिव को आगे बढ़ाया
अगर कॉन्ग्रेस की सरकार 2014 में फिर से आती, तो लगभग तय था कि हामिद अंसारी को राष्ट्रपति बनाया जाता। इसी साल गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के मौके पर हामिद अंसारी ने देश के लोकतंत्र की आलोचना की और कहा कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और ये अब संवैधानिक मूल्यों से हट गया है। हिंदू राष्ट्रवाद पर उन्होंने चिंता जता दी। इसी तरह जनवरी 2021 में अमन चोपड़ा को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने दावा कर दिया था कि भारत में मुस्लिम असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और ‘धर्म से प्रेरित होकर’ उनकी लिंचिंग की जा रही है।
हामिद अंसारी पर ये भी आरोप लग चुके हैं कि जब वो 1990-92 के दौरान ईरान के राजदूत थे तो उन्होंने गल्फ कंट्री में रॉ के सेटअप को उजागर कर रॉ के अधिकारियों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया था। रॉ के पूर्व अधिकारी एनके सूद ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हामिद अंसारी के रोल की जाँच करने की माँग की थी। सूद ने 1991 में भारतीय अधिकारी संदीप कपूर के अपहरण का भी जिक्र किया था। इस मामले में हामिद अंसारी पर लापरवाही का आरोप भी लगा था।
भारत के संवैधिनिक पदों पर रहा कोई व्यक्ति भला दुश्मन मुल्क की ख़ुफ़िया एजेंसी से जुड़े कार्यक्रम में कैसे शामिल हो सकता है? विदेशी मंच पर भारत की छवि धूमिल करने वाला व्यक्ति इस देश का उप-राष्ट्रपति था, कइयों को तो इसी पर यकीन नहीं होता। त्रिपुरा में हुए दंगों में जिस संस्था का हाथ सामने आया, उसके मंच पर हामिद अंसारी ने भारत विरोधी भाषण दिया। पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के साथ भी इस संस्था के लिंक्स सामने आए थे।
उपराष्ट्रपति पद से विदा होने के बाद से हामिद अंसारी ‘बेहद डरे हुए’ ,हो गए, उस पहले पद का उपयोग कर एजेंडा फैलाने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आती थी तो सब ठीक था। 2020 में ही वो ‘धार्मिक कट्टरता’ और ‘आक्रामक राष्ट्रवाद’ को महामारी बताते हुए रटने लगे थे कि गणतांत्रिक संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं। एक गणतंत्र दिवस पर उन्हें राष्ट्रध्वज को सलामी न देने के भी आरोप लगे। इसकी तस्वीर वायरल भी हुई थी। जून 2015 में पहले ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के कार्यक्रम से भी वो नदारद रहे थे। बालाकोट एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों का भी उन्होंने समर्थन किया था।