जम्मू कश्मीर पर नरेंद्र मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया। इसके बाद केंद्र सरकार ने सोमवार (अगस्त 5, 2019) को सभी राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी की है। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। इसमें सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ सतर्क रहने की सलाह दी गई है। साथ ही हिंसा को रोकने के लिए पुलिस से मॉक ड्रिल चलाने का निर्देश भी जारी किया गया है।
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अर्धसैनिक बलों की करीब एक हजार कंपनियाँ घाटी में तैनात हैं। यानी राज्य में अर्धसैनिक बलों के करीब एक लाख जवान सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं। घाटी में इससे पहले इतने सुरक्षाबलों की तैनाती पुलवामा हमले के बाद और बालाकोट एयरस्ट्राइक से पहले की गई थी। सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों में धारा 144 लगा दी है। इंटरनेट और मोबाइल सेवाएँ स्थगित कर दी गई हैं।
जम्मू-कश्मीर को हाई अलर्ट पर रखने के मद्देनजर राज्य के सभी राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है। जिसमें PDP अध्यक्ष और पूर्व सीएम मेहबूबा मुफ्ती और NCP के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला का नाम भी शामिल है। सरकार का कहना है कि ऐसा माना जा रहा है कि आतंकी किसी घटना को अंजाम दे सकते हैं, इसलिए सरकार सुरक्षा की दृष्टि से ये सब कदम उठा रही है।