राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने साफ़ कर दिया है कि नीतीश कुमार को 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्ष का चेहरा बनाए जाने को लेकर राजनीतिक गलियारों में कोई चर्चा नहीं है। नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ते हुए फिर से राजद के साथ मिल कर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। प्रशांत किशोर ने कहा कि जदयू के ताज़ा कदम का राष्ट्रीय स्तर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने पूछा कि नीतीश कुमार को किसने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है?
साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ये सब सिर्फ मीडिया में चल रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी गठबंधन या मोर्चे ने उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार बनाने के लिए चर्चा नहीं शुरू की है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की चर्चा होती, तो उन्हें मालूम होता। प्रशांत किशोर ने बताया कि नीतीश कुमार जब कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे, तब अंतिम बार दोनों की बात हुई थी। उन्होंने इसे बिहार केंद्रित प्रयोग बताते हुए कहा कि देश के स्तर पर इस तरह के किसी महागठबंधन की कोई चर्चा नहीं है।
‘रिपब्लिक टीवी’ से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “अगर नई सरकार अच्छा कार्य करती है और तेज़ गति से विकास करती है, तब राष्ट्रीय स्तर पर इसका कोई असर हो सकता है। 2017-22 के बीच नीतीश कुमार भाजपा के साथ सहज नहीं थे। उनके इस कदम के पीछे कोई राष्ट्रीय एजेंडा नहीं है। 2012-13 और नरेंद्र मोदी के उभरने के बाद से ही बिहार में अस्थिरता की स्थिति थी। उस समय से लेकर अब तक ये सरकार गठन का छठा प्रयोग है।”
प्रशांत किशोर ने कहा कि सभी 6 प्रयोगों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे और बिहार की राजनीतिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। उन्होंने आशा जताई कि नई सरकार कुछ अच्छा करेगी। उन्होंने बताया कि कैसे 2010 में उन्होंने लोगों को नीतीश कुमार की इज्जत करते हुए देखा है। उन्होंने 2015 के चुनाव प्रचार अभियान का उदाहरण देते हुए कहा कि तब महागठबंधन को वोट न देने वाले लोग और नरेंद्र मोदी के समर्थक भी नीतीश कुमार को भला-बुरा नहीं कहते थे।
बताते चलें कि 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में लालू यादव और नीतीश कुमार साथ थे। प्रशांत किशोर ने तब महागठबंधन के चुनाव प्रचार अभियान की रणनीति की कमान सँभाली थी। उन्हें जदयू में पद ही मिला था, लेकिन नीतीश कुमार से अनबन के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ दी। प्रशांत किशोर ने कहा कि वो पहली बार लोगों को नीतीश कुमार और उनकी सरकार व प्रशासनिक स्टाइल को लेकर लोगों को वो बातें कहते हुए सुन रहे हैं, जो वो पिछली सरकारों के लिए कहते थे।
#EXCLUSIVE Poll Strategist, Prashant Kishore (@PrashantKishor) says ‘Nitish Kumar wasn’t comfortable in that alliance hence he joined another one’@JournoKSSR with more details
— News18 (@CNNnews18) August 10, 2022
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प्रशांत किशोर ने बिहार में एक नए अभियान की घोषणा करते हुए कहा कि जदयू में पुनः शामिल होने की उनकी कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार उन्हें क्या ऑफर देंगे और वो उन्हें क्या देंगे, इसका अब कोई मतलब नहीं है। IPAC के संस्थापक ने बिहार में नए राजनीतिक दल की स्थापना के लिए 3000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा और 18,000 लोगों को अपने साथ जोड़ने की योजना बनाई है। इसकी घोषणा वो पहले ही कर चुके हैं।