केरल की कोझिकोड अदालत ने यौन उत्पीड़न के मामले में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को अग्रिम जमानत देते हुए अटपटी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अगर पीड़िता ने घटना के समय कोई भड़काऊ ड्रेस पहनी थी तो फिर ये यौन शोषण का मामला नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने एक युवा लेखिका की शिकायत पर यह मानने से भी इनकार किया कि कोई बुजुर्ग व्यक्ति जबरदस्ती शिकायतकर्ता को अपनी गोदी में बैठा सकता है।
#BREAKING | If provocative dress is worn, then no case of sexual harassment: Kerala Session Court makes outrageous remarks @Neethureghu and @anany_b share more details.
— News18 (@CNNnews18) August 17, 2022
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कोझिकोड कोर्ट ने 12 अगस्त को चंद्रन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “अगर शिकायतकर्ता ने तब भड़काऊ कपड़े पहने हुए थे तो प्रथम दृष्टया में ये मामला यौन उत्पीड़न का नहीं होगा।” कोर्ट ने कहा, “ये मानने के बाद कि फिजिकल कॉन्टैक्ट हुए, ये मानना असंभव है कि एक 74 साल के बुजुर्ग आदमी ने शिकायकर्ता ने जबरदस्ती अपनी गोदी में बैठाया।”
Even admitting that there was physical contact, it is impossible to believe that a man, aged 74, and physically disabled can forcefully put the defacto complainant in his lap – the court further observed. (2/2)
— ANI (@ANI) August 17, 2022
जानकारी के मुताबिक, अपनी बेल माँगते हुए चंद्रन ने कोर्ट में पीड़िता की कुछ तस्वीरों को साझा किया था। इन्हीं तस्वीरों को देख अदालत ने अपनी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने खुद ऐसे कपड़े पहने थे जो यौन उत्तेजक हैं, इसलिए प्रथम दृष्टया में धारा 354 आरोपित के खिलाफ प्रभावी नहीं होगी।
बता दें कि सिविक चंद्रन के खिलाफ एक युवा लेखिका ने कोइलांडी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई थी। पीड़िता का कहना था कि फरवरी, 2020 में शहर में एक पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित हुई थी, उसी में लेखक सिविक चंद्रन ने उसका यौन शोषण किया था।
गौरतलब है कि सिविक चंद्रन के खिलाफ ये पहला मामला यौन शोषण का नहीं दर्ज है। इससे पहले भी उन पर एक अन्य महिला लेखिका ने इसी प्रकार का केस दर्ज कराया था, जिसके बाद पुलिस ने उनपर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम सहित अन्य धाराओं में केस दायर किया था। महिला की शिकायत थी कि एक किताब रिलीज समारोह के दौरान चंद्रन ने उनका यौन शोषण किया।