केंद्र शासित राज्य का दर्जा मिलने के बाद लद्दाख में जश्न का माहौल है। बीते दिनों लोकसभा में अपने भाषण से सुर्ख़ियाँ बटोरने वाले 34 वर्षीय सांसद जाम्यांग त्सेरिंग नामग्याल शनिवार (10 अगस्त) को लद्दाख पहुँचे। यहाँ पहुँचने पर लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया।
Received a very warm reception from the people of Ladakh on arrival near Leh Airport.
— Jamyang Tsering Namgyal (@MPLadakh) August 10, 2019
It was an exhilarating experience to interact with all present and share the vision of #NewLadakh pic.twitter.com/VcC92SlljV
लोगों का अभिवादन करने के बाद जाम्यांग लेह स्थिक मॉरवियन चर्च, मस्जिद और भगवान बुद्ध के मंदिर गए। इस दौरान उन्होंने लद्दाख के लोगों की समृद्धि के लिए प्रार्थना भी की। इसके बाद वो जामियांग लेह स्थित मुख्य बाज़ार गए जहाँ उन्होंने स्थानीय लोगों से बातचीत की।
Paid my homage of the Lord Buddha at New Temple Chowkhang Vihara, Main Market, Leh Ladakh. We prayed for the prosperity and equality of the people of #NewLadakh. pic.twitter.com/XdvuubLxOb
— Jamyang Tsering Namgyal (@MPLadakh) August 10, 2019
ग़ौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया है। सांसद जाम्यांग ने आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने पर हुई चर्चा के दौरान विरोध कर रही पार्टियों की पोल खोल कर रख दी थी।
लोकसभा में दिए उनके भाषण की तारीफ़ प्रधानमंत्री मोदी ने भी की थी। अपने भाषण में नामग्याल ने कई महत्वपूर्ण बिंदु गिनाए थे। उन्होंने शुरुआत पूर्व-प्रधानमंत्री नेहरू पर तंज़ कसते हुए की। उन्होंने कहा कि 70 साल से लद्दाख को कश्मीर के साथ रखने वालों को वहाँ की स्थानीय संस्कृति, वहाँ की सभ्यता, वहाँ की आकांक्षाओं के बारे में ज्ञान नहीं था; उनके लिए तो यह बंजर भूमि थी जिस पर घास का तिनका भी नहीं उगता।
मालूम हो कि अक्साई चिन पर चीन के कब्ज़े पर पंडित नेहरू ने संसद में कहा था कि अरुणाचल और लद्दाख के पहाड़ों पर तो एक पत्ता घास का भी नहीं उगता, तो ऐसे में उनकी समझ में नहीं आ रहा कि उसके पीछे संसद का कीमती समय बर्बाद करने का क्या मतलब है।
नामग्याल ने कहा था कि लद्दाख के लोगों ने शुरू से ही सरकार को बता दिया था कि उन्हें कश्मीर के अलावा किसी भी और तरीके से देश में रहना मंज़ूर है- भले ही वह केंद्र-शासित प्रदेश (UT) के रूप में हो। हिंदी में बोल रहे नामग्याल ने कहा कि हिंदुस्तान का हिस्सा बने रहने के लिए ही लद्दाख ने 70 साल UT बनने की लड़ाई लड़ी, लेकिन पिछली सरकारों ने लद्दाख को ‘फेंककर’ रखा।