Sunday, December 22, 2024
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कहीं आप भी लोन के ऑनलाइन जाल में तो नहीं फँस रहे? देश में कई आत्महत्याओं का चीन कनेक्शन, समझिए कर्ज देने के नाम पर कैसे होता है सारा खेल

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 से 2020 तक सोशल मीडिया पर ऐसे एप्स की संख्या 12 गुना बढ़ी है। वहीं, साल 2021 में इन फर्जी एप्स की संख्या बढ़कर 1100 से ज्यादा हो चुकी है। ये फर्जी ऐप गूगल प्ले पर भी उपलब्ध हैं और इन्हें आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।

आजकल ठगी और ब्लैकमेल के कई तरीके शातिरों द्वारा अपनाए जा रहे हैं। इनमें से एक है कर्ज देने के नाम पर ठगी। कम समय में लोगों को कर्ज देने के नाम पर चीनी एप के माध्यम से ठगी आजकल आम बात हो गई है। पुलिस ने ऐसे कई अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। इसके शिकार लोग ब्लैकमेलिंग और धमकी के कारण बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं।

एप के माध्यम से कर्ज देकर बाद में लोगों को ब्लैकमेल कर ठगी करने वाले शातिरों ने पुलिस के बाद पूछताछ ने महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं। आरोपियों ने बताया कि कर्ज देने के लिए वे छह चीनी एप का इस्तेमाल करते थे। इन ऐप को डाउनलोड करते ही लोगों के मोबाइल का सारा डाटा उनके पास पहुँच जाता था। इसके बाद उनका ब्लैकमेल का काम शुरू हो जाता था।

दरअसल, मंगलवार (13 सितंबर 2022) को चंडीगढ़ पुलिस की साइबर सेल ने ब्लैकमेलिंग और ठगी करने गिरोह के 21 लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोपितों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उनसे 60 एजेंट भी जुड़े हुए थे। खुलासा होने के बाद पुलिस ने पूछताछ के लिए इन्हें नोटिस भेजा है।

पुलिस ने जिन 21 लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें गिरोह का मास्टरमाइंड और चीनी नागरिक चेंगुआ भी शामिल है। चेंगुआ से इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की टीम भी पूछताछ कर रही है। उससे पूछताछ के लिए टीम ने मंदारिन भाषा के अनुवादक का सहयोग लिया।

चेंगुआ ने पूछताछ में बताया कि वह लोगों को हूग लोन एप, एए लोन एप, जीतू लोन एप, कैश फ्री लोन एप, कैश क्वाइन और फ्लाई कैश लोन एप डाउनलोड करवाता था। इन एप को चीन में तैयार किया गया है। इसके बाद वह डाउनलोड करने वालों का डेटा उसके पास चला जाता था। जो लोग लोन लेने के बाद आनाकानी करते थे, उन्हें धमकी दी जाती थी और ब्लेकमेल किया जाता था।

पिछले सप्ताह भी हैदराबाद में ऐसे ही कई चीनी ऐप कंपनियों द्वारा घोटालों के मामले सामने आए थे। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में बेंगुलुरु स्थित छह जगहों पर छापेमारी कर 17 करोड़ रुपए से अधिक की राशि बरामद की थी। इसके साथ ही कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था।

ब्लैकमेल और धमकी

दरअसल, ये चीनी कर्ज दाता ऐप बिना किसी गारंटी के छोटी-छोटी रकम लोगों को उपलब्ध कराती हैं। इसके बदले में वह बहुत ही ऊँची दर पर ब्याज वसूल करती हैं। जो लोग ब्याज या मूलधन चुकाने में देर करते हैं, उनके साथ इस ऐप से जुड़े लोग ब्लैकमेल शुरू कर देती हैं।

दरअसल, कर्ज की वसूली के लिए ये चीनी ऐप स्थानीय गुंडों-मवालियों को हायर करती हैं और एक निश्चित प्रतिशत पर कर्ज की वसूली का टेंडर देती हैं। इसके बाद आपराधिक किस्म के ये लोग कर्ज लेने वालों के साथ गाली-गलौज और मारपीट शुरू कर देते हैं।

कर्ज लेने वालों को सार्वजनिक तौर पर जलील कर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। इस तरह की धमकी और जलालत से परेशान होकर कई लोग आत्महत्या कर लेते हैं। चीनी ऐप के जरिए कर्ज लेने वाले लोगों द्वारा आत्महत्या करने वाले लोगों के आंकड़ों में बेतहाशा वृद्धि देखी जा रही है।

अश्लील वीडियो या चैट से करते हैं प्रताड़ित

ऐप डाउनलोड होने के बाद फोन में मौजूद सारे कंटेंट चीनी कंपनियों के पास पहुँच जाते हैं। इनमें सारे चैट, वॉयस, ऑडियो-विडियो, फोटो और वीडियो भी शामिल होते हैं। कर्ज लेने वाले जो लोग पैसे लौटाने में देर करते हैं उन्हें साथ ये चीनी ऐप ब्लैकमेल का सहारा लेते हैं।

इंदौर के रहने वाले अमित यादव ने 26 अगस्त 2022 को अपनी पत्नी, तीन साल की बेटी और एक साल के बेटे के साथ आत्महत्या कर ली थी। अमित ने इसी चीनी ऐप से कर्ज लिया था। पुलिस को अमित की लाश एक कमरे में लटकती मिली थी। वहीं, दूसरे कमरे में परिवार के अन्य सदस्य मृत पाए गए थे।

अधिकारियों ने बताया कि अमित को इन चीनी ऐप्स के प्रतिनिधियों द्वारा लगातार धमकी दी जाती थी। इतना ही नहीं, चीनी ऐप वालों ने अमित की पत्नी से जुड़े अश्लील मैसेज को उसके फोन में मौजूद सभी कॉन्टेक्ट्स को भेज दिए थे। इससे अमित आहत हो गया था और आत्महत्या कर लिया था।

गैर-आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, चीनी कंपनियों के जाल में फँसकर देश में 55 से अधिक लोग आत्महत्या कर चुके हैं। ऐसे वो आँकड़े हैं, जिनकी जानकारी पुलिस को प्राप्त हुई हैं। माना जा रहा है कि इन ऐप के प्रताड़ना के शिकार होने वाले लोगों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है।

कैसे काम हैं चीनी ऐप

भारत में जिन चीनी ऐप का इस्तेमाल धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग के किया जा रहा है। उन्हें चीन में डेवलप किया गया है। भारत में ऑपरेट करने के बाद बावजूद इनका कंट्रोल चीन में ही बैठे व्यक्ति के हाथ में होता है।

दरअसल, ये लोग भारत के ही किसी व्यक्ति से संपर्क करते हैं और उन्हें उन्हें भारत में एक संस्था बनाने के लिए कहते हैं। चीनी शातिर कहते हैं इस संस्था में उन्हें निदेशक बनाया जाएगा, लेकिन सारी लेन-देन का नियंत्रण चीन के हाथ में रहेगा।

भारत के लोग कानूनी पक्ष को समझ नहीं पाते और इसके लिए तैयार हो जाते हैं। इसके बाद चीनी कंपनियाँ भारत में बैठे इन लोगों के नाम पर सारा धंधा ऑपरेट करती हैं। भारतीय व्यक्ति का काम सिर्फ लोगों को इन ऐप से जोड़ने का होता है, जबकि सारा लेनेदेन चीन में बैठा व्यक्ति स्वयं उस कथित निदेशक के खाते के जरिए करता है।

इसी डमी निदेशक के नाम पर चीनी व्यक्ति बैंक खाता भी खुलवाता है और उसका इस्तेमाल करता है। इस तरह वह आपराधिक तरीके से आय अर्जित करता है और इसे चीन में हस्तांतरित कर देता है।

करोड़ों लूट चुके हैं चीनी ऐप

हालाँकि, सरकार की ओर से कर्ज देने वाले चीनी एप के बारे में डिटेल साझा नहीं किया गया है, लेकिन कॉन्ग्रेस ने आरोप लगाया था कि अब तक 500 करोड़ रुपए से अधिक की राशि चीनी ऐप लूट चुके हैं। इसके साथ ही कई सौ लोग इनके ब्लैकमेल और प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर चुके हैं।

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 से 2020 तक सोशल मीडिया पर ऐसे एप्स की संख्या 12 गुना बढ़ी है। वहीं, साल 2021 में इन फर्जी एप्स की संख्या बढ़कर 1100 से ज्यादा हो चुकी है। ये फर्जी ऐप गूगल प्ले पर भी उपलब्ध हैं और इन्हें आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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